तिरुपति मंदिर में हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ (फोटो साभार: leonardo.ai)
तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद की शुद्धता से छेड़छाड़ का मामला कोई साधारण मामला नहीं है। सामने आई रिपोर्ट बताती है कि जो प्रसाद भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ता था उसमें पिछले कुछ समय से जानवर की चर्बी वाला घी इस्तेमाल होता था। मामला गरमाया तो घी की जाँच रिपोर्ट सामने आई और ये पता चला कि घी में मछली का तेल, गोमांस और सूअर की चर्बी सब डली हुई थी।
Breaking: Test report confirms beef fat, fish oil used in making laddus at Tirupati Temple.
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) September 19, 2024
Massive betrayal of Hindu Aastha! pic.twitter.com/J1hdV2J9MW
Another shocking story from Tirupati Temple. pic.twitter.com/WpX5oQu4kf
— Harshit Yadav (@HarshitY09) September 19, 2024
समूचा देश इस रिपोर्ट को देख सन्न रह गया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि इतने बड़ा आस्था का केंद्र तिरुपति मंदिर साजिश का शिकार होगा। सवाल उठने शुरू हुए, लोगों ने विरोध करना शुरू किया। लेकिन इन सबके बीच एक गैंग और एक्टिव हुई- लिबरल, वामपंथियों और इस्लामी कट्टरपंथियों की।
कुछ ने तो खुलेआम खुशी जताई कि आखिरकार हिंदुओं ने बीफ का सेवन कर ही लिया, लेकिन वहीं दूसरी कुछ लोग तर्क देते दिखे कि जो हो गया वो हो गया अब मामले पर आगे नहीं बोला जाना चाहिए क्योंकि ये कोई बड़ी बात नहीं है। उनके मुताबिक कई मंदिरों में घटिया क्वालिटी के घी का प्रयोग होता है और तमाम हिंदू मांसाहारी भी हैं तो इसलिए इस खुलासे से इतना फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
बड़ी चालाकी से इस मामले को हिंदुओं के खान-पान से जोड़कर हल्का दिखाने का प्रयास हो रहा है जबकि विवाद खान-पान का नहीं आस्था और विश्वास का है।
भारत में विभिन्न वर्ग के लोग रहते हैं। सबका अपना खान-पान है। कोई शाकाहारी है कोई मांसाहारी। हिंदू भी ऐसे ही हैं। इनमें कुछ लोग हैं जो प्याज लहसुन को भी हाथ नहीं लगाते, लेकिन वही कुछ हैं जो नॉनवेज चाव से खाते हैं। अब खान-पान के हिसाब से इनकी तुलना की जाए तो इन्हें दो वर्गों में रखा जा सकता है, लेकिन आस्था की बात आते ही ये एक होते हैं।
हिंदू धर्म में गोमांस वर्जित है और सनातन मानने वाले इससे पूरा परहेज करते हैं…। फिर आखिर किस तरीके से ये कहा जा सकता है कि जो मांसाहारी हैं वो इस मुद्दे का बवाल न बनाएँ। खान-पान निजी मामला हो सकता है लेकिन उन्हें धोखे में रखकर ऐसी चीजें उन्हें खिलाना कहाँ तक उचित होता है?
जांच रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि तिरुपति मंदिर में वितरित प्रसाद के लड्डू बनाने में बीफ चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया ।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) September 19, 2024
जब सरकार हिंदू विरोधी होती है तो वह सबसे पहले आस्था पर हमला करती है। pic.twitter.com/e0Bk8g3vvh
घर में भगवान की पूजा करते समय प्रयास किए जाते हैं कि भगवान को लगने वाला प्रसाद शुद्ध तरीके से निर्मित हो, फिर इतने बड़े मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के साथ ऐसा खिलवाड़ बर्दाश्त योग्य कैसे योग्य हो सकता है।
इतनी बड़ी घटना के बाद भी हिंदू शांत हैं। उनके लिए शायद विरोध का अर्थ केवल सोशल मीडिया पोस्ट करना है। यदि ज्यादा गंभीर मामला है तो धड़ाधड़ पोस्ट करते हैं और अगर छोटा-मोटा मामला है तो एक दो ट्वीट के बाद भूल जाते हैं। लेकिन क्यायही मखौल अगर किसी अन्य मजहब का उड़ता तो क्या आपको लगता है वो इस प्रकार नाराजगी व्यक्त करते…।
ब्रिटिश भी नहीं खिला पाए थे गोमांस
This is where we fall short. Liberalism, pseudo-Hindutva, and certain divisive ideologies have weakened us. Those who support these ideologies and consume beef have long desired this outcome. Their ultimate aim is to see Hindus abandon their faith and convert to other beliefs,… pic.twitter.com/RL7l3Ou4Rr
— Shashank Dubey (@Shashank_Dubey0) September 19, 2024
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