रोहिणी ब्लास्ट के पीछे खालिस्तानी? दिल्ली पुलिस ने टेलीग्राम से माँगी जानकारी; क्या जनता ने विपक्ष मजबूत करने की आड़ में देश को दुबारा 2014 से पहले होते दंगों और आतंकी हमलों की आग में झोंक दिया है?


भारत की जनता लगता है शांति के माहौल में रहना नहीं चाहती। शायद यही वजह है कि जब से जनता ने देश में मजबूत विपक्ष के पक्ष में मतदान दिया तभी से नितरोज शोभा यात्रा की आड़ में तो कभी किसी न किसी बहाने दंगे हो रहे हैं। भारत विरोधी अराजक तत्वों ने सिर उठा लिया है। जब तक विपक्ष कमजोर था सब अपने-अपने बिलों में घुसे बैठे थे, मौका मिलते ही देश का माहौल ख़राब करने कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। सबूत सबके सामने है कोई प्रमाण देने की जरुरत नहीं। जिस संविधान बदलने का डर बैठा और खटाखट 8500 रूपए हर महीने मिलने के लालच में जनता ने अपना अनर्थ कर लिया। भारत को बांग्लादेश की तरह आग में झोंकने की पूरी कोशिश है। अगर भारत बांग्लादेश की तरह आग में झुलसा उसकी सारी जिम्मेदारी उन सभी मतदाताओं की होगी, जिन्होंने मजबूत विपक्ष में नाम पर उत्तेजक तत्वों को वोट दिया। अभी कश्मीर में नयी सरकार बने 5 ही दिन हुए 2 आतंकी हमले हो गए। बाकि तो सबके सामने है ही। मुग़ल और ब्रिटिश ताकतवर नहीं थे, इन्हे ताकत दी देश के गद्दार जयचन्दों और मीर ज़ाफरों ने। देख लो क्या हाल है उनका, कोई नाम लेवा तक नहीं। उनके ख़ानदान और पानदान तक का कुछ पता नहीं।    

CAA विरोध और तथाकथित किसान आंदोलन में किस तरह की नारेबाजी हुई, क्या जनता अंधी और बहरी थी? जेएनयू के 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' को समर्थन देने वाली पार्टियों से कैसे देश चलाने की बात सोंची? टूलकिट द्वारा प्रायोजित इन आंदोलनों में किसने रूपया पानी की बहाया, क्या जनता को नहीं मालूम? सबकुछ समाचारों में आने के बाद भी इन अराजकों को अपना समर्थन देने का मतलब है जनता ही गुलामी में रहने की आदी है, एक आज़ाद नहीं बल्कि एक गुलाम की भांति खुद और अपनी आने वाली पीढ़ियों को गुलामी में रहने को मजबूर कर रही है।          

जहाँ तक संविधान की बात है किसी ने राहुल गाँधी, कांग्रेस या अन्य किसी भी विपक्षी से यह पूछने की हिम्मत नहीं दिखाई कि संविधान को जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गाँधी तक संविधान में संसोधन कर देश को गजवा-ए-हिन्द की ओर धकेला जा रहा था तब संविधान खतरे में था या जब संविधान को जब संविधान निर्माताओं द्वारा रचित मूल संविधान की ओर लाया जा रहा है? यह वह गंभीर ज्वलंत प्रश्न है जिस पर हर शांतिप्रिय भारतीय विशेषकर हिन्दुओं को सोंचना होगा। फिर संविधान में कहाँ लिखा है कि टुकड़े-टुकड़े गैंग को समर्थन दो।     

     

 https://youtube.com/shorts/s4wltkrYlQ0?si=RIG106PIPNFDBCoM       

दिल्ली के रोहिणी में 20 अक्टूबर 2024 को हुए बम धमाके को लेकर चल रही जाँच में खालिस्तानी एंगल होने की आशंका जताई जा रही है। अभी तक उस हमले की किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन पुलिस अपनी जाँच कर रही है। खालिस्तानी एंगल की बात करें तो एक टेलीग्राम चैनल से सुराग मिला है।

कहा जा रहा है कि टेलीग्राम चैनल जस्टिस लीग इंडिया पर धमाके की सीसीटीवी फुटेज वीडियो मिली है। इसी चैनल पर दावा हुआ था कि हमले में खालिस्तान का हाथ था। चैनल में वीडियो के साथ दावा किया गया था कि खालिस्तान कार्यकर्ता हमले के पीछे और वो भारत के खिलाफ किसी भी समय हमला करने की क्षमता रखते हैं।

इस दावे के बाद बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने टेलीग्राम चैनल से जानकारी माँगी है ताकि आगे विस्तृत जाँच हो सके। ये भी मालूम हो कि इस टेलीग्राम चैनल पर जो दावा हुआ है वे पाकिस्तान द्वारा संचालित कई टेलीग्राम चैनलों पर भी किया गया है।

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