जामिया वाल्मीकि जयंती (साभार: X/subhi_karma)
2024 चुनावों में सनातन पर होते हमलों से हिन्दुओं ने आंखें नहीं खोली, जिस कारण सनातन विरोधियों को वोट अपने ही त्योहारों पर अंकुश का सामना करना पड़ रहा है। मुसलमान बीजेपी को हराने एकजुट वोट कर सकता है, लेकिन बेशर्म हिन्दू महंगाई, बेरोजगारी और जातपात के मकड़जाल में फंसा रहता है। अभी भी समय है हिन्दुओं एकजुट हो जाओ वरना वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं जब तुम्हे घरों में पूजा करने पर भी किसी अनहोनी सामना करना पड़ सकता है। अगर मुसलमानों के त्योहारों पर हिन्दुओं ने ऐसा उपद्रव किया होता जितने भी गंगा-जमुनी तहजीब जैसा भ्रमित नारा लगाने वालों ने आसमान सिर पर उठा लिया होता।
दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने वाल्मीकि जयंती मनाने वाले सफाई कर्मचारियों को परिसर में घुसने से रोक दिया। इससे विवाद गहरा गया है। इससे पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने हिंदू विद्यार्थियों को दीवाली मनाने से रोक दिया था। इसके बाद पुलिस ने बुधवार (23 अक्टूबर 2024) को करीब आधा दर्ज छात्रों को हिरासत में लिया था।
दरअसल, बुधवार (23 अक्टूबर 2024) की सुबह सफाई कर्मचारी वाल्मीकि जयंती मनाने जा रहे थे, लेकिन यूनिवर्सिटी के गार्ड ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि जयंती पिछले 6 साल से विश्वविद्यालय परिसर में मनाई जा रही है, लेकिन इस बार इजाजत नहीं दी गई। उन्होंने पूछा कि इस बार विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसा क्यों किया।
सफाई कर्मचारियों का कहना है कि कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली पुलिस से ली गई थी। सफाई कर्मचारी जब महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा लेकर विश्वविद्यालय परिसर में जाने लगे तो गेट पर गार्ड ने उन्हें रोक दिया। सफाई कर्मियों का आरोप है कि उनसे कहा गया कि मूर्ति यूनिवर्सिटी के अंदर ले जाने की इजाजत नहीं है।
दूसरी तरफ, विश्वविद्यालय के गार्ड ने कहा कि मूर्ति काफी बड़ी थी। इस वजह से वह परिसर में नहीं जा सकती थी। इसके बाद सरिता विहार से भाजपा पार्षद के पति मनीष चौधरी ने जामिया यूनिवर्सिटी पहुँचकर उसके मुख्य गेट के सामने महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति की पूजा की और जयंती मनाई। इस दौरान जामिया यूनिवर्सिटी के सफाई कर्मी भी मौजूद रहे।
New one from #JamiaMilliaIslamia
— Subhi Vishwakarma (@subhi_karma) October 24, 2024
This happens when a Central Govt funded institute falls in a "Muslim Area"
On October 23, the Bharatiya Valmiki Samaj organised the 'Valmiki Prakatotsav Diwas'. They had permission to hold the event on campus; however, when the organisers… pic.twitter.com/g5EQVa3bRI
एक सफाई कर्मचारी ने रिपब्लिक भारत को बताया, “गार्ड ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में मूर्ति में ला सकते। फोटो लेकर आओ और जयंती मनाओ।” उस व्यक्ति ने कहा कि उसने हर जरूरी विभाग से इस आयोजन के लिए अनुमति ले रखी थी। इसके बावजूद उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि रजिस्ट्रार नसीम हैदर ने मना किया था कि मूर्ति नहीं जाएगी।
उस व्यक्ति ने गाली देने का भी आरोप लगाया। उस व्यक्ति ने कहा, “जब हम वाल्मीकि के रूप में उनके (विश्वविद्यालय के अधिकारियों) घर जाकर काम करें, तब तो कई दिक्कत नहीं है। जीते-जागते आदमी से उन्हें दिक्कत नहीं है, लेकिन एक मूर्ति से उन्हें दिक्कत है।” वाल्मीकि समाज के लोगों ने कहा कि यह पूजा सिर्फ एक घंटे के लिए होना था, फिर भी उन्हें रोक दिया गया।
विश्वविद्यालय में ऐडहॉक के तौर पर काम करने वाले राजेश वाल्मीकि ने न्यूज नेशन को बताया कि विश्वविद्यालय में उनके समाज के करीब 200-250 कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया कि वे जामिया में लगभग 20 साल से काम कर रहे हैं। राजेश का कहना है कि परिसर में काम करने वाले वे तीसरी पीढ़ी के लोग हैं, फिर भी गेट पर एक व्यक्ति ने उनसे आई कार्ड दिखाने की माँग की।
वाल्मीकि समाज के लोगों ने कहा कि उनकी मूर्ति को बाहर रखवा करके उनकी आस्था पर चोट की गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह का बर्ताव उनके साथ पहले कभी नहीं किया गया था। पिछले 6 साल में यह पहली बार है, जब उनकी आस्था को चोट पहुँचाई गई। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कट्टरपंथी रूख से वाल्मीकि समाज के लोग काफी आक्रोशित नजर आए।
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