“बटेंगे तो कटेंगे, एक रहोगे, नेक रहोगे” उसका जीवंत प्रमाण देख सकते हो; वोट न देना सर्वनाश ला सकता है; इस नारे के पोस्टर हटाने वाले “तानाशाह” संविधान की रक्षा करेंगे; मुस्लिम कट्टरपंथियों की एक मुश्त वोट देने की सौदेबाज़ी और संविधान की दुहाई देने वालों ने टेके घुटने

सुभाष चन्द्र

इस नारे के पोस्टर मुंबई के कुछ क्षेत्रों में लगाए गए लेकिन संविधान को बचाने का ढोंग करने वाले MVA के तानाशाह दलों की BMC ने ये पोस्टर हटा दिए। यानी अभी सत्ता में नहीं हैं तो बोलने की भी अनुमति नहीं देना चाहती उद्धव ठाकरे की शिवसेना और मोदी से लोकतंत्र को खतरा है, यह कहते नहीं थकते

ये नारा केवल कोई नारा नहीं है लेकिन इसके पीछे सच भी छुपा है और “बटेंगे तो कटेंगे” का एक जीवंत प्रमाण दे रहा हूं। इस लेख में दी गई घटना की सामग्री Youtuber श्री प्रदीप सिंह जी के एक वीडियो से ली गई है

श्री प्रदीप सिंह ने बताया कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक शहर है सियालकोट जो लाहौर से 135 और जम्मू से केवल 42 किलोमीटर दूर है। असम के स्वतंत्रता सेनानी गोपीनाथ बारदोलाई चाहते थे कि सियालकोट भारत में शामिल हो लेकिन उसके लिए जनमत संग्रह कराने का फैसला हुआ। सियालकोट में 1941 की जनगणना के अनुसार हिंदू आबादी 2 लाख 31 हजार थी। वोट डाले गए लेकिन लाइनें बहुत लम्बी थीं और हिन्दू मानस आदत के अनुसार कष्ट नहीं झेल सका और मौज मस्ती के लिए लोग घर चले गए। एक लाख हिंदुओं ने वोट न देकर अपना पैर कुल्हाड़ी पे मार लिया

वोट न देने का दुष्परिणाम क्या हुआ? हिंदू बहुल क्षेत्र सियालकोट पाकिस्तान में रह गया क्योंकि 55000 वोट से फैसला सियालकोट के पाकिस्तान में जाने का हुआ

उसके बाद 1951 की जनगणना में सियालकोट में हिंदू केवल 10 हजार बचे और 2017 के आंकड़ों के अनुसार हिंदू वहां केवल 500 थे

लेखक 
चर्चित YouTuber 
यह नतीजा हुआ बटने का, अब समझ लीजिए क्या गलत कहा गया है फिर इस नारे में। आज जिस तरह मुस्लिम हिंदुओं पर हावी हो रहे हैं, वह हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा खतरा है। मुस्लिम वर्ग का फोकस एकदम साफ़ है : “मोदी को हराना है”। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मोदी ने उन्हें क्या दिया और कांग्रेस ने उन्हें कुछ भी नहीं दिया। 

मुस्लिम पक्ष का यह रवैया देख कर हिंदू मानस का एक ही कर्तव्य है, हर हाल में मोदी को मजबूत करने के लिए उसे ही वोट करना है। ऐसा करने में यदि चूक होती है तो अंजाम कुछ भी हो सकता है जैसे कर्नाटक में हुआ और जो ऊपर सियालकोट का बताया

कुछ लोग छोटी मोटी शिकायत दिमाग में लिए मोदी को वोट देने से बचते हैं लेकिन आज एक समाचार दिया “आज तक” ने जिसमें बताया कि MVA के सामने मुस्लिम उलेमा ने मुस्लिम वोट लेने के लिए 5 शर्त रखी हैं, वह जानना जरूरी है : 

-किसी मुस्लिम को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए;

-मंत्रिमंडल में 25% मुस्लिम होने चाहिए;

-वक्फ संशोधन बिल पर केंद्र सरकार का पुरजोर विरोध करना होगा;

-महाराष्ट्र में उर्दू स्कूलों और मदरसों में विशेष वित्तीय सहायता दी जाएगी; और 

-मुस्लिम समाज को आरक्षण दिया जाएगा। 

मुस्लिम कट्टरपंथियों की कांग्रेस से सौदेबाज़ी आज कोई नई नहीं है। इसकी शुरुआत 1971 में पाकिस्तान तोड़ बांग्लादेश बनाने पर कांग्रेस से मुस्लिम वोटबैंक खिसकता देख मुस्लिम कट्टरपंथियों ने Muslim Personal Law Board एक NGO बनवाया। जब कट्टरपंथियों ने देखा कि कांग्रेस मुसलमान वोट के लिए हमारे आगे घुटने टेक सकती है उसी को अपना हथियार बना इनको हर चुनावों में घुटने टेकने को मजबूर कर देते है। जो पार्टियां अपनी कुर्सी के लिए सौदेबाज़ी कर सकती है कभी संविधान की रक्षा नहीं कर सकती। इनका एकमुश्त वोट लेती रहती है, आम मुसलमान को तत्कालीन जनसंघ से लेकर आज वर्तमान बीजेपी के विरुद्ध भड़का कर कट्टरपंथी इसीलिए विरोध करवाते हैं और आम मुसलमान इन कट्टरपंथियों की सौदेबाज़ी आज तक नहीं समझने की मूर्खता करता आ रहा है। 

एक और मौलाना हैं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जिनका महाराष्ट्र चुनाव से कुछ लेना देना नहीं है, वो भी कह रहे हैं कि मुसलमान वोट इस तरह करें कि भाजपा और मोदी की हार हो 

जब मुस्लिमों का जोर इस तरह मोदी को हराने के लिए लग रहा है तो हिंदुओं का जोर भी मोदी को जिताने के लिए लगना चाहिए।  

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