बिहार : लॉरेंस बिश्नोई की धमकी के बाद बाहर आई पप्पू यादव की अलगाव स्टोरी :जिस ‘टेनिस वाली लड़की’ के इश्क में मरना चाहते थे पप्पू यादव, क्या उसने ‘पूर्णिया के रंगबाज’ को छोड़ दिया?

                                             पप्पू यादव और रंजीत रंजन (फोटो साभार: asianet news)
बिहार में जब जंगलराज था तो वे ‘पूर्णिया के रंगबाज’ कहलाते थे। जेल में बंद थे तो टेनिस खेलती एक लड़की की तस्वीर देख इश्क हो गया। इश्क का नशा ऐसा चढ़ा की नींद की गोलियाँ खाकर जान देने की कोशिश की। फिर इश्क की इस कहानी को शादी का मुकाम मिला और दोनों पति-पत्नी हो गए। लेकिन एक गैंगस्टर की इस कहानी में एंट्री से लगता है कि अब ये इश्क अलगाव की राह पर है।

यह कहानी है पूर्णिया से लोकसभा के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और कॉन्ग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन की। अलगाव की यह कहानी रंजीत रंजन के उस बयान से सामने आई है जो उन्होंने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर पप्पू यादव को मिली धमकी को लेकर दिया है।

उन्होंने मीडिया में कहा, “मेरा और पप्पू यादव का राजनीतिक जीवन अलग-अलग रहा है। हमारे बीच बहुत मतभेद है और हम पिछले डेढ़-दो सालों से अलग-अलग रह रहे हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा है, उससे मेरा और मेरे बच्चों का कोई संबंध नहीं है। जो चल रहा है वो तो कानून व्यवस्था का मामला है। मेरे परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।”

पिछले दिनों बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद पप्पू यादव ने अपने ट्वीट में लिखा था कि अगर कानून द्वारा द्वारा अनुमति दी गई तो वह जेल में बंद गैंगस्टर बिश्नोई के पूरे नेटवर्क को 24 घंटे के भीतर खत्म कर देंगे।

इसी के बाद पप्पू यादव को कथिततौर पर बिश्नोई गैंग के सदस्य की ओर से कॉल आई और उसने उन्हें कहा, “सुधर जाओ नहीं तो आगे तो हम देख ही लेंगे…आगे हम फोन नहीं करेंगे… हमारे रास्ते में जो आएगा उसका वही होता रहेगा।”

इसी फोन कॉल के बाद जहाँ पप्पू यादव ने अपने सुरक्षा बढ़ाए जाने की माँग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से की तो वहीं उनकी पत्नी ने भी उनसे किनारा कर लिया जिनके प्रेम में उन्होंने कभी नींद की गोलियाँ खा ली थीं।

दोस्त की बहन को पप्पू यादव ने दिया दिल

पप्पू यादव ने अपनी आत्मकथा में खुद इस वाकये के बारे में बताया कि जब वह बांकीपुर जेल में बंद थे तो वहाँ उनकी मुलाकात विक्की से हुई थी। जब उन्होंने विक्की की बहन रंजीत को एल्बम में टेनिस खेलते देखा तो उन्हें वहीं उससे प्यार हो गया। इसके बाद पप्पू यादव रंजीत को देखने अक्सर टेनिस क्लब पहुँच जाया करते थे, जहाँ रंजीत उन्हें खेलती मिलती थीं। रंजीत को शुरू में ये सब पसंद नहीं था। उन्होंने कई बार पप्पू यादव को इस तरह आने से मना भी किया। मगर पप्पू यादव कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने अपने प्रयास जारी रखे।
आखिर में रंजीत मान गईं, लेकिन उनका परिवार सिख था और वो इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए। पप्पू यादव ने बहुत कोशिश की। फिर उन्हें कहा गया कि वह इस मामले में कॉन्ग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया से मदद माँगे।
पप्पू यादव को जैसे ही पता चला कि अहलूवालिया इसमें उनकी मदद करेंगे वो फौरन दिल्ली आ गए। यहाँ उन्होंने रंजीत से शादी के लिए कॉन्ग्रेस नेता को मनाया और फिर आखिर में 1991 में शुरू लव स्टोरी 1994 में शादी के अंजाम तक पहुँची। इन तीन सालों के बीच पप्पू यादव ने अपना प्यार पाने के लिए खूब कोशिश की।
वो इस कदर रंजीत के प्रेम में थे कि कोई रास्ता न दिखने पर उन्होंने नींद की गोलियाँ तक खा ली थीं और जब दोनों की शादी हुई तब भी रंजीत के शौक पूरे करने में पप्पू यादव ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बताया जाता है कि शादी के बाद रंजीत चार्टेड प्लेन में बिहार आई थीं और उसका सारा खर्चा पप्पू यादव ने ही दिया था। बाद में इस जोड़े के एक बेटा और बेटी हुए। इनकी कई तस्वीरें अक्सर मीडिया में चर्चा में रहीं हैं।

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