सलमान रुश्दी एवं उनकी पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' (साभार: फर्स्टपोस्ट)
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि लेखक सलमान रुश्दी की विवादास्पद पुस्तक ‘The Satanic Verses ’ के आयात पर प्रतिबंध लगाने वाली सीमा शुल्क की अधिसूचना अस्तित्वहीन हो गई है। इसके साथ ही इसके आयात पर 36 सालों से लगा प्रतिबंध खत्म हो गया। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि प्रतिबंध वाली 1988 की इस अधिसूचना का अब कोई पता नहीं है।
जिस ईशनिंदा का वास्ता देकर The Satanic Verses पर ban लगाया गया था, उससे भी कहीं अधिक किताबे प्रकाशित हो गयी है। सलमान रुश्दी पर तो फतवा जारी करने की हिम्मत हो गयी लेकिन अनवर शेख पर किसी की हिम्मत नहीं हुई। The Satanic Verses तो अनवर शेख की किताबों के आगे कुछ भी नहीं। ऐसा नहीं चर्चा नहीं हुई, हुई थी जिसमे एक से बढ़ कर एक मौलवी, बड़े-बड़े मौलाना जिनके मुंह से निकली बात पर हर मुसलमान हर मानता था, सबकी बोलती बंद थी, कोई खोमैनी तक कुछ नहीं बोल पाया, सबकी बोलती बंद और अब अली सीना की किताब Understanding Mohammad And Muslim छाई हुई है, जो लगता है अनवर शेख की सारी किताबों को एक ही किताब में फिरो कर वर्तमान हालातों जैसे आतंकवाद, सिर तन से जुदा, दंगा-फसाद आदि में शामिल लोगों को मजलूम, भटका हुआ, दिमाग से कमजोर, नासमझ और गरीब आदि बचाव में जो victim card खेला जाता है, कोई नयी बात नहीं।
ऐसी अनेकों अधिसूचनाएं मिलेंगी जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिलेगा। तब लगता है शायद कांग्रेस का मुंह से बोलना ही कानून मान लिया जाता था। कुछ वर्ष पहले किसी ने केंद्र सरकार से पूछा कि महात्मा गाँधी को Father of the nation कब कहा गया था? भारत सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं। यही स्थिति नोट पर गाँधी की फोटो को लेकर है। यानि कांग्रेस कालखंड में लिखित कोई आर्डर से ज्यादा मुंह से निकले बोल ही कानून मान लिया जाता था।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने 5 नवंबर को इस प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका में इसकी वैधता पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने कहा, “अब हमारे पास यह मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई अधिसूचना मौजूद नहीं है। इसलिए हम इसकी वैधता की जाँच नहीं कर सकते।”
इस अधिसूचना को साल 2019 में संदीपन खान नाम के व्यक्ति ने कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने न्यायालय को बताया कि वे पुस्तक पर प्रतिबंध होने के कारण इसे आयात नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिसूचना न तो किसी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है और न ही किसी प्राधिकरण के पास उपलब्ध है। संदीपन खान ने RTI के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस संबंध में जवाब भी माँगा था।
गृह मंत्रालय ने जवाब में कहा था कि ‘The Satanic Verses’ (हिंदी में इसका अर्थ है- शैतानी आयतें) पर प्रतिबंध लगा है। इस मामले से केंद्र सरकार ने हाथ खींच लिए थे। गृह मंत्रालय ने आदेश के मुताबिक, सीमा शुल्क विभाग से भी याचिका का बचाव करने को कहा गया था। वहीं, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क के अधिकारी प्रतिबंध से संबंधित अधिसूचना कोर्ट में पेश नहीं कर पाए।
इसके बाद कोर्ट ने इसे अस्तित्वहीन मान लिया और खान को यह पुस्तक आयात करने की अनुमति दे दी। पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता उक्त पुस्तक के संबंध में कानून के अनुसार सभी कार्रवाई करने का हकदार होगा।” दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद The Satanic Verses के आयात पर 36 साल से लगा प्रतिबंध खत्म हो गया है। अब इसे कोई भी आयात कर सकता है।
साल 1988 में राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम समुदाय की शिकायत पर इस पुस्तक के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। मुस्लिमों का कहना था कि यह पुस्तक इस्लामी आस्था के खिलाफ है और यह किताब ईशनिंदा करती है। इस किताब पर सबसे पहले भारत ने ही प्रतिबंध लगाया था। माना जाता है कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति के तहत ऐसा निर्णय लिया था।
इस किताब को बैन करने का आह्वान तत्कालीन कांग्रेस सांसद सैयद शहाबुद्दीन और खुर्शीद आलम खान (कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के अब्बा) ने किया था। शहाबुद्दीन ने किताब के खिलाफ याचिका दायर कर इस पुस्तक को सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया था। इसके बाद राजीव गाँधी की सरकार ने 26 सितंबर 1988 को ब्रिटेन में पहली बार पब्लिश इस किताब पर 10 दिनों के भीतर बैन लगा दिया।
दिलचस्प बात ये है कि भारत ने कभी भी पुस्तक पर एकमुश्त प्रतिबंध नहीं लगाया। इसकी बजाए ‘सीमा शुल्क अधिनियम’ के तहत पुस्तक के आयात पर बैन लगाते हुए वित्त मंत्रालय के माध्यम से किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया। इतना ही नहीं, कांग्रेस सरकार ने रुश्दी के भारत आने पर भी रोक लगा दी। हालाँकि, साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसे हटा दिया।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने सलमान रुश्दी की पुस्तक ‘The Satanic Verses’ को लेकर उनके खिलाफ 14 फरवरी 1989 को फतवा जारी किया था। उन पर 6 मिलियन डॉलर (लगभग 48 करोड़ रुपए) का इनाम घोषित किया था। फतवे के साढ़े 33 साल बाद 13 अगस्त 2022 को न्यूयॉर्क में हादी मतार नाम के संदिग्ध ने रुश्दी को कई बार चाकू मार कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
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