अविमुक्तेश्वरानंद के चरणों में अखिलेश यादव बैठा दिखाई दिया जबकि इन पर और इनके चेलों पर कभी अखिलेश ने ही लाठियां बरसाई थीं जिसके लिए अखिलेश ने उनसे माफ़ी भी मांगी थी और आज ये अखिलेश के सुर में सुर मिला कर कुंभ में हुई भगदड़ पर राजनीति खेल रहे है। अविमुक्तेश्वरानंद ने मुख्यमंत्री योगी का त्यागपत्र मांग लिया और एक अन्य बयान में इन्होने प्रधानमंत्री को “कसाई” कहा क्योंकि मोदी ने गोहत्या पर बैन नहीं लगाया।
यह व्यक्ति अजीब चरित्र का आदमी है, कुछ हिंदुओं की बातों का समर्थन कर देता है और कहीं हिंदू नेताओं पर आग बरसता है। कभी मोहन भागवत का समर्थन करता है और कभी अडानी की प्रशंसा करता है उनके महाकुंभ में प्रसाद वितरण के लिए। ऐसा इसलिए करता है जिससे यह निष्पक्ष लगे।
लेकिन एक प्रश्न पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य है भी क्योंकि उन्हें पूर्व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने कभी अपना उत्तराधिकारी नियुक्त ही नहीं किया था। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर, 2022 को अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति (Coronation) पर रोक लगा दी थी जो आज तक जारी है। यह रिपोर्ट प्रिंट मीडिया में कई जगह प्रकाशित हुई थी, गूगल पर देख सकते हैं।
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लेखक चर्चित YouTuber |
उनकी ताजपोशी के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में गोवर्धन मठ के स्वामी निश्चलानंद ने एक हलफनामा देकर कहा था अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य बनने पर समर्थन नहीं दिया गया है (It has not been endorsed) और इसी हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी ताजपोशी पर रोक लगा दी थी, ऐसे में उनको अपने को शंकराचार्य कहना मर्यादा के विरुद्ध है और किसी को भी उन्हें शंकराचार्य नहीं कहना चाहिए।
इसलिए अविमुक्तेश्वरानंद को एक “फर्जी” शंकराचार्य कहना उचित होगा, उन्होंने बाकी अन्य शंकराचार्यों के साथ मिलकर नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान राम के अभिषेक में शामिल होने से मना कर दिया था। बाद में शायद 2 ने तो अभिषेक का समर्थन कर दिया था।
ये फर्जी शंकराचार्य घोर भाजपा/मोदी विरोधी हैं और इसलिए योगी विरोधी भी है। उनके द्वारा योगी के त्यागपत्र मांगने पर मिथिलेश नन्दिनी शरण जी महाराज ने जमकर उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि -
“जिस सरकार और पुलिस व्यवस्था का हम उपयोग करते हैं और चांदी की कुर्सी पर बैठ कर हम घूमते हैं, उसकी निंदा करना कहां तक उचित है? आप उस मुख्यमंत्री का त्यागपत्र मांग रहे हो जो श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराता है। इस्तीफ़ा तब मांगना चाहिए था जब अयोध्या में रामभक्तो पर गोलियां चली और पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या की गई। आप उस मुख्यमंत्री से इस्तीफ़ा मांग रहे हो जो अखाड़ों में पैदल जा जा कर संत महात्माओं से पूछता फिर रहा है कि आपको को कोई कष्ट तो नहीं है। आप क्या समझते हैं योगी कोई सहस्त्रबाहु है जो सारी भीड़ को गोद में उठाकर नहलाएंगे और घर पहुंचाएंगे”।
अविमुक्तेश्वरानंद एक पाखंडी हैं जिसे ढ़ोगाचार्य और धूर्ताचार्य कहना उचित होगा, शंकराचार्य नहीं क्योंकि इसका लक्ष्य केवल मोदी/योगी विरोध है। ये पूर्व शंकराचार्य स्वरूपानंद का ही अनुसरण कर रहे हैं यानी कांग्रेस और अखिलेश जैसे लोगों को लाभ पहुंचाने का। स्वरूपानंद ने भी राममंदिर निर्माण में हर जगह रोड़े अटकाए थे।
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