ईरान मात खाएगा इजराइल से नहीं पाकिस्तान से; आसिम मुनीर ने खोद दी पाकिस्तान की कब्र, डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात पर भड़क गया ईरान, ट्रम्प ने वसूली नमक खिलाने की कीमत
पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असिम मुनीर ने साबित कर दिया कि भिखारी भिखारी ही रहेगा। क्योकि उसके दिल और दिमाग में सिर्फ अपना पेट और तिजोरी तक ही रहता है। अब तक पाकिस्तान में जितने भी आर्मी चीफ से लेकर प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति तक सत्ता से बाहर होकर विदेशों में कैसे रहते हैं? पाकिस्तान की जनता समझती है ये हमारे रहनुमा है, जबकि अपने रहनुमा से कभी ये पूछने की हिम्मत नहीं करते कि विदेशों में इतना मोटा पैसा कहाँ से जमा हो रहा है? ताजा मिसाल सबके सामने है। रूस द्वारा धमकी देने के बाद ट्रम्प ने बिकाऊ पाकिस्तान को मोहरा बनाकर अमेरिका को बचाकर उस इजराइल की गोदी में बैठा दिया जिसे मुसलमान गाली देता है।
ट्रम्प के मकड़जाल में फंसकर मुनीर ने चीन, रूस, ईरान और कई देशों को अपना दुश्मन बना लिया है। इसमें मुनीर का कसूर है दरअसल मदरसे से तालीम लेने वाली की सोंच हो भी क्या सकती है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक उच्च-स्तरीय कूटनीतिक कदम के तहत बुधवार को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असिम मुनीर के साथ एक बंद दरवाजे के लंच का आयोजन किया. वाशिंगटन में टॉप डिप्लोमैटिक सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक केवल औपचारिक नहीं थी क्योंकि ट्रंप क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को साकार करने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कई व्यापक मांगें और प्रस्ताव उनके आसिम मुनीर के सामने रखे. इसमें से कुछ तो उन्हें फंसाने वाला भी हैं.
यह 15 वर्षों में इस तरह की पहली मुलाकात थी और इसने अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव की तरफ इशारा किया. यह लंच उस वक्त हुआ जब इज़राइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है. राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया कि आने वाला सप्ताह निर्णायक होगा और इस बीच उन्होंने लंच की टेबल पर उस मुस्लिम देश के फील्ड मार्शल को बैठा रखा था, जो कुछ दिन पहले तेहरान से सहयोग के राग अलाप रहा था.
अमेरिका ने मांगा नमक का कर्जा
मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव और ईरान-इजरायल संघर्ष की आशंकाओं के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान से बिना शर्त सैन्य और रणनीतिक समर्थन मांगा है. ट्रंप ने मांग की है – ‘अगर अमेरिका ईरान के साथ युद्ध में जाता है, तो हम पाकिस्तान को अपने पक्ष में चाहते हैं’, इस बात की पुष्टि एक टॉप डिप्लोमैटिक सोर्स ने की है. इस समर्थन में हवाई अड्डों तक पहुंच, जमीनी लॉजिस्टिक्स और संभावित समुद्री मार्ग भी शामिल होंगे, जो किसी भी पाकिस्तान को सैन्य मोर्चे पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना देगा. खबर है कि ट्रंप ने लंच के बाद आसिम मुनीर से कहा – ‘पाकिस्तान ईरान को अधिकांश देशों से बेहतर जानता है. वे जो हो रहा है उससे खुश नहीं हैं. पाकिस्तान के रिश्ते इजरायल के साथ भी बुरे नहीं हैं. वे दोनों पक्षों को जानते हैं.’ मुनीर भी उनके इस बयान में छिपे इशारे को समझ गए होंगे.
रूस और चीन से तोड़े ‘दोस्ताना’
बातचीत के दौरान ट्रंप का जो मुख्य संकेत था, उसके तहत उन्होंने पाकिस्तान को चीन और रूस से दूर रहने को कहा. खबर ये है कि ट्रंप ने मुनीर से पूर्वी गुटों, जिसमें BRICS शामिल है, उनसे पाकिस्तान को दूर रहने को कहा. इसके बदले उन्होंने पाकिस्तान को यूएस-नेतृत्व वाले सुरक्षा ढांचे में फिर से शामिल होने का का ऑफर दिया. शासन के करीबी एक सूत्र ने बताया कि वाशिंगटन की पाकिस्तान को चीन-रूस से दूर करने की कोशिश है. इसलिए उन्होंने मुनीर से कहा – ‘हम अपने पुराने साथी को वापस चाहते हैं.’
कश्मीर मुद्दे पर भी चर्चा
ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच विवादास्पद मुद्दों—जिसमें कश्मीर, सीमा पार आतंकवाद और सिंधु जल संधि पर व्यक्तिगत रूप से मध्यस्थता करने की पेशकश की. ट्रंप ने एक बार फिर रटा-रटाया पहाड़ा सुनाते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान बड़ी परमाणु शक्तियां हैं और हम एक और युद्ध नहीं चाहते. उन्होने बताया कि फील्ड मार्शल मुनीर को भारत के साथ युद्ध में न जाने के लिए धन्यवाद दिया और एक बार फिर दोहराया कि ये परमाणु युद्ध बन सकता था.
मुनीर के प्रति ट्रंप की पहल को व्यापक रूप से पाकिस्तान को इस रणनीतिक ढांचे में लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. खासतौर पर जब अमेरिका ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच क्षेत्रीय समर्थन को मजबूत कर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह यूएस-पाकिस्तान संबंधों में 9/11 के बाद के आतंकवाद विरोधी गठबंधन के बाद सबसे महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है. हालांकि पाकिस्तान के लिए मुश्किल ये है कि वो चीन के साथ अपने संबंधों को इसके साथ कैसे बैलेंस कर सकता है.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में उनकी मुलाकात पाकिस्तान को ही मुसीबत में डाल देगी. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि मुनीर और ट्रंप की मुलाकात से ईरान भड़क गया है और उसने पाकिस्तान को चेतावनी भी दे डाली है. प्रेस ब्रीफिंग के दौरान शुक्रवार को मुनीर-ट्रंप के बारे में पूछे जाने पर भारत में ईरान के मिशन के उप प्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान हमारे साथ खड़ा रहेगा.”
असीम मुनीर की ट्रंप से मुलाकात और ट्रंप का यह कहना कि ‘वे ईरान को बेहतर जानते हैं’ से ईरान गुस्से में है और उसने साफ शब्दों में कह दिया है कि किसी तीसरे पक्ष को ईरान और इजरायल के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह भी कह दिया कि ईरान किसी भी सूरत में सरेंडर नहीं करेगा. ईरान ने आरोप लगाया कि इजरायल जंग की आड़ में आम लोगों को मार रहा है और उसने हमारे कई सैन्य अधिकारियों की भी हत्या कर दी है.
ईरानी न्यूक्लियर रिसर्च हेडक्वॉर्टर को इजरायल ने बनाया निशाना
दूसरी ओर, इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) ने शुक्रवार को घोषणा की है कि उसने गुरुवार रात को तेहरान में कई हवाई हमले किए, जिनमें ईरान के मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रमों से जुड़े कई ठिकानों को निशाना बनाया गया. इन हमलों में मिसाइल बनाने वाली सैन्य औद्योगिक इकाइयां, ईरान का डिफेंस इनोवेशन और रिसर्च संगठन (एसपीएनडी) का मुख्यालय शामिल था.
आईडीएफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “60 से अधिक वायु सेना के लड़ाकू जेट ने गुरुवार रात को ईरान में कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसमें लगभग 120 हथियारों का उपयोग किया गया. इसमें तेहरान इलाके में कई मिसाइल बनाने वाली औद्योगिक इकाइयां भी शामिल थीं.”
पोस्ट में आगे कहा गया, “ये ठिकाने कई सालों में बनाए गए थे और ये ईरान के रक्षा मंत्रालय का औद्योगिक केंद्र थे. हमले किए गए ठिकानों में मिसाइल घटकों के उत्पादन के लिए सैन्य औद्योगिक स्थल और रॉकेट इंजन बनाने के लिए कच्चे माल के उत्पादन स्थल शामिल थे.” आईडीएफ ने उल्लेख किया कि ईरान के परमाणु हथियार परियोजना को नुकसान पहुंचाने की अपनी कार्रवाइयों के तहत तेहरान में एसपीएनडी मुख्यालय की इमारत पर भी हमला किया गया.
आईडीएफ ने कहा, “एसपीएनडी मुख्यालय का इस्तेमाल ईरान के सैन्य क्षमताओं के लिए उन्नत तकनीकों और हथियारों के अनुसंधान और विकास के लिए किया जाता है, जिसे 2011 में ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम के संस्थापक फखरी जादेह ने स्थापित किया था.”
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