समाजवादी पार्टी से पीलीभीत बंगले का 20 साल का किराया बाजार भाव से वसूल होना चाहिए; सुप्रीम कोर्ट ने कहा - जब आप सत्ता में होते हो तो कानून याद क्यों नहीं रहता? कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई

सुभाष चन्द्र 
जब कानून की धज्जियां उड़ाने वालों को कानून का आईना दिखाया जाता है पागलों की तरह व्यवहार करता है। अपनी काली करतूतों को छुपाने या वहां से ध्यान हटाने सत्ता पक्ष पर सत्ता का दुरूपयोग करने का इल्जाम लगाती है। आज़म खान की भैंस को ढूंढ़ने उत्तर प्रदेश की पुलिस लग जाती है। मुज़फ्फरनगर जलता रहा लेकिन सैफई में जश्न मनता रहा। ये समाजवादी पार्टी की काली करतूतों की एक झलक है पूरी फिल्म तो बहुत लम्बी है।  

मुलायम सिंह के राज में मार्च, 2005 में समाजवादी पार्टी को पीलीभीत नगर पालिका का 1500 वर्ग फुट का भवन मात्र 150 रुपए प्रति माह किराए पर 15 साल के लिए लीज़ पर दे दिया गया था जो अभी तक खाली नहीं किया गया। 27 मई, 2025 को सपा के जिला अध्यक्ष को नगर पालिका ने 3 दिन में भवन खाली करने का नोटिस दिया ऐसा ही नोटिस 18 जून को दिया गया और 23 जून को भवन को ताला लगा दिया गया

सपा उसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट चली गई लेकिन 2 जुलाई को हाई कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी उसके बाद सपा सुप्रीम कोर्ट चली गई

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सुप्रीम कोर्ट में जुलाई 23 को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सपा की याचिका पर विचार करने से मना करते हुए कहा -

“If (party) misuse and abuse powers to get municipality building allotted to itself, then it you cannot complain when the allotment gets cancelled when it is not in power".

सुप्रीम कोर्ट ने सपा को भवन खाली करने के लिए और समय देने से मना करते हुए यह भी कहा कि: 

"You do not remember the law when you are in a position to abuse your power. Or else, how do you get a prime municipal

bungalow for Rs.150 monthly rent. We will not interfere with the Allahabad High Court order. People in the country should feel there is a rule of law which applies equally to everyone, including political parties". 

सपा के वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि पार्टी तो हर महीने किराया दे रही है लेकिन नगर पालिका मेरे मुवक्किल से भवन खाली कराने पर अडिग है

सुप्रीम कोर्ट ने सपा को नगर पालिका के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की अनुमति दे दी जबकि वहां से तो पहले ही सपा का मुकदमा ख़ारिज हो चुका है

सपा राज में सब कुछ उलट पुलट होता था आपको याद होगा अखिलेश राज में मथुरा जन्मभूमि  मंदिर की भूमि भी मुस्लिमों के कब्रिस्तान को दे दी गई थी आज(23 जुलाई) तो अखिलेश ने मस्जिद में ही अपनी पार्टी की मीटिंग कर ली। और मुसलमान पागलों की देखता रह गया। 

पीलीभीत का भवन सपा के पास मार्च, 2005 से है, कहीं इसका किराया 150 रूपया लिखा है तो कहीं 115 रुपया लेकिन इतने बड़े भवन को कौड़ियों के दाम के किराए पर देना अपने आप में बड़ा भ्रष्टाचार है इसलिए इस भवन का 20 साल का किराया बाजार भाव से (Market Rate) वसूला जाना चाहिए यह इसलिए जरूरी है क्योंकि सपा को उसकी कीमत पता है तभी तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पार्टी धक्के खा रही है और वकीलों पर पैसा खर्च कर रही है

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