वोटर लिस्ट से घुसपैठियों और बोगस वोटें निकलने की बौखलाहट से सारे चोर सुप्रीम कोर्ट पहुँच शोर मचा रहे हैं कि "हे हमारी अन्नदाता सुप्रीम कोर्ट हमें तबाह और बर्बाद होने से बचाओं।" चुनाव आयोग में कितनी ताकत है यह बताया था सख्त प्रशासक और चुनाव आयुक्त रहे T N Sheshan ने। शेषन से पहले किसी भी चुनाव आयुक्त ने नियमावली को खोलने का कष्ट ही नहीं किया। शेषन जिस नियमावली को खोल कर गए हैं बंद होने का नाम ही नहीं ले रही। यदि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई भी अवरोध लगाने का मतलब वर्तमान विपक्ष की गुलाम होने का सबूत दे देगी। ऐसे भ्रष्ट मुद्दों पर कोर्ट भागने में कपिल, सिंघवी और प्रशांत और इनकी फौज पीछे नहीं रहती। क्योकि अगर से चौकड़ी ऐसे मुद्दों के खिलाफ कोर्ट नहीं भागेंगे इनको कौन पूछेगा? इनके घरों में रोटियों के लाले पड़ जाएंगे।
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में संशोधन के लिए जो 3 नियम बनाए हैं, उनके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एक के बाद एक जनहित याचिकाएं लगा दी गई है। विपक्ष इन नियमों से परेशान, तो जाहिर है उसी ने ये याचिकाएं लगाने के लिए कहा होगा और पैसा दिया होगा। यह नियम अभी बिहार चुनाव के लिए लागू किये गए है जो शायद पूरे देश में लागू किए जाएंगे और होने भी चाहिए जिससे बोगस वोटर मतदाता सूची से बाहर हो सके।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
चीफ जस्टिस गवई ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट पर आरोप रहता है कि वह कार्यपालिका के क्षेत्र में दखल देता है और चुनाव आयोग के कार्यों में टांग अड़ाना सबसे बड़ा दखल होगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस मामले को तूल नहीं देना चाहिए क्योंकि आयोग देश हित में काम कर रहा है।
एक तरफ सिंघवी ने कहा है कि 8 करोड़ में से 4 करोड़ मतदाताओं को इस प्रक्रिया से गुजरना होगा और सिब्बल ने कहा है यह काम नामुमकिन है।
उधर एक संस्था है ADR जिसने विगत में चुनाव आयोग के खिलाफ अनेकों याचिकाएं दायर की है, वह कर रहा है आधार कार्ड और राशन कार्ड को बाहर करने से marginalized groups (वंचित समुदायों के) जिनमे SC/ST और migrant worker शामिल है, वो सूची से बाहर हो जाएंगे। ADR ने कहा है कि 3 करोड़ लोग वोट देने से वंचित कर दिए जाएंगे खासकर जिनके पास गरीब होने या migrant होने की वजह से कोई डॉक्यूमेंट नहीं है और या जिनके पास 2003 की वोटर लिस्ट नहीं है।
ये migrant workers कौन हैं इसका भी खुलासा करते लेकिन उन्हें यह पता है ये रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं जो वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे।
आज ये गरीबों और कथित marginalized groups के डाक्यूमेंट्स की बात कर रहे हैं लेकिन वे लोग सरकार से मिलने वाली सभी सुविधाएं ले रहा हैं और चुनाव आयोग के अलावा आज यदि केंद्र सरकार यह कह दे कि जो चुनाव आयोग ने माँगा है वह सरकार से मिलने वाली सुविधाओं के लिए भी जरूरी है, तब ये क्या करेंगे?
आज हर राज्य में हालत यह है कि राजनीतिक दलों ने बड़ी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड आदि बनवा कर उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करा लिया है और उनकी वजह से सत्ता तक पहुँचने के सपने देखते हैं। दिल्ली के एक घर में 45 लोग वोटर लिस्ट में थे जबकि उस घर में केवल एक कमरा था।
जब दिल्ली में 60,000 सुहागन महिलाओं को विधवा पेंशन दे सकता था केजरीवाल तो समझ लीजिये कितना बड़ा फर्जीवाड़ा वोटर लिस्ट हो रहा होगा पूरे देश में? 2003 में जब वोटर लिस्ट संशोधित हुई थी, तब से क्या किसी ने भी किसी मरने वाले व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट से काटने के लिए कहा है। ऐसे मृत लोगों के वोट भी डाले जाते हैं क्योंकि आधार कार्ड फर्जी बन जाते हैं।
वोटर साधारणतया उसी जगह का रहने वाला होना चाहिए। लेकिन वोटर लिस्ट में नाम होगा बिहार में भी, महाराष्ट्र और बंगाल या उत्तर प्रदेश में, या रहता है दुबई में पर वोट डालने हर जगह पहुंच जाता है।
बंगाल में तो 28% मुसलमानों में 2 करोड़ से ज्यादा तो बांग्लादेशी होंगे और जब वोटर लिस्ट बंगाल में संशोधित होगी तो ममता बनर्जी बवाल काट देगी।
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग बहुत कम समय में यह काम पूरा करने की गलती कर रहा है। इसलिए मेरा सुझाव है कि चुनाव आयोग यह काम पूरे देश में शुरू कर दे।


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