प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू खुद पूरी कैबिनेट के साथ अभिनंदन करते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 को मालदीव की राजधानी माले में ऐतिहासिक और भव्य स्वागत किया गया। जैसे ही पीएम मोदी का विमान वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू खुद अपनी पूरी कैबिनेट के साथ उनका अभिनंदन करने पहुंचे। राष्ट्रपति के साथ मालदीव के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री आदि सभी प्रमुख मंत्री मौजूद रहे और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
मोदी के स्वागत में एयरपोर्ट पर बच्चों ने पारंपरिक सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया, जिसे देखकर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू ने ताली बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। मोदी जी खुद बाल कलाकारों से मिलने उनके बीच पहुंचे और उनका हौसला बढ़ाया। एयरपोर्ट के बाहर भारी संख्या में प्रवासी भारतीय हाथों में तिरंगा लहराते हुए वंदे मातरम और भारत माता की जय के साथ मोदी-मोदी के नारे लगा रहे थे।
पिछले दो सालों में भारत और मालदीव के रिश्तों में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। 2 साल पहले मालदीव में ‘इंडिया आउट’ के नारे सुनाई पड़ रहे थे। भारत की मौजूदगी का विरोध मालदीव का एक तबका करता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के चलते मालदीव का फोकस झगड़ों से हटकर सहयोग पर आ गया है।
2 साल के भीतर ही मालदीव को समझ आ गया कि उसे भारत के साथ अपने रिश्तों को सुधारना होगा। मालदीव को समझ आया कि हमेशा उसके साथ भारत खड़ा रहा है, और जब ऐसा नहीं हुआ है तो वह संकट में पड़ा है।
बीते 2 सालों में रिश्तों में खटास के एक दौर के बावजूद भारत ने मालदीव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद की है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 400 मिलियन डॉलर (3,320 करोड़ रूपए) की करेंसी स्वैप के जरिए मालदीव की मदद की। वहीं भारतीय स्टेट बैंक ने 100 मिलियन डॉलर (830 करोड़ रूपए) के मालदीव के ट्रेजरी बॉन्ड सबस्क्राइब किए।
मालदीव को समझ आया है कि आसपास के देशों में भारत ही मालदीव का सबसे भरोसेमंद और अहम पार्टनर है।
मालदीव का ऐतिहासिक साझेदार है भारत
भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से हिंद महासागर में व्यापार, सांस्कृतिक रिश्ते और सुरक्षा को लेकर सहयोग रहा है। मालदीव की रणनीतिक स्थिति और महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग के पास होने की वजह से यह भारत के लिए समुद्री सुरक्षा में एक अहम साथी है।
1965 में मालदीव की आजादी के बाद भारत पहला ऐसा देश था जिसने उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए जाए थे। भारत ने उसे देश के तौर पर मान्यता दी थी। 1988 में जब मालदीव में तख्तापलट का प्रयास हुआ था, तब भारत ने ऑपरेशन कैक्टस के जरिए समय पर मदद की, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और प्रगाढ़ हो गए।
भारत ने जरूरत खत्म होने पर अपनी सेना वापस भी बुला ली, जिससे मालदीव में भारत के प्रभुत्व को लेकर चिंताएँ कम हुईं। 2004 की सुनामी और 2014 के जल संकट के वक्त भी भारत सबसे पहले मदद के लिए आगे आया।
ये तीनों संकट दिखाते हैं कि भारत हर मुश्किल में मालदीव और उसकी जनता के साथ खड़ा रहा है। जनवरी 2020 में भारत ने मालदीव को खसरे के टीके की 30,000 डोज भेजकर महामारी से लड़ने में मदद की।
‘इंडिया आउट’ अभियान
मालदीव में विपक्षी दलों द्वारा चलाए गए ‘इंडिया आउट’ आंदोलन ने भारत को मालदीव के अंदरूनी और सुरक्षा मामलों में दखल देने वाला बताया। इंडिया आउट चलाने वालों का दावा था कि भारत की मालदीव के भीतर सैन्य मौजूदगी उसकी संप्रभुता के लिए खतरा है। सच्चाई यह थी कि भारतीय सुरक्षाबल मालदीव भीतर राहत बचाव जैसे कामों में लगे हुए थे।
फरवरी 2021 में विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा के दौरान, भारत और मालदीव ने उथुरु थिलाफल्हू (UTF) बंदरगाह के निर्माण पर सहमति जताई थी। इस परियोजना से मालदीव के तटरक्षक बल की क्षमता मजबूत होगी और दोनों देश विकास और सुरक्षा में साझेदार बनेंगे।
उसी समय भारत ने मालदीव को हथियारों की खरीद के लिए 50 मिलियन डॉलर (₹415 करोड़) का लोन भी दिया था। इस दौरान भी भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने की कोशिश भारत विरोधी कुछ समूहों ने की थी।
उन्होंने दावा किया था कि भारत ने मालदीव को जो गश्ती पोत (Patrol vessels) दी हैं, उन पर भारतीय सैनिक तैनात हैं। इस दावे को पूर्व रक्षा मंत्री मारिया दीदी ने खारिज किया और बताया कि भारतीय दल केवल प्रशिक्षण के लिए वहाँ थे, अब नाव पूरी तरह मालदीव के नियंत्रण में है।
राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के सत्ता में आने के बाद नवंबर 2023 में मालदीव ने भारत से दूरी बनाना शुरू किया और चीन के करीब आने का रुख अपनाया। मुइज़्ज़ू ने अपने चुनाव अभियान में ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था, ताकि देश में भारत के प्रभाव को कम किया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी की जनवरी 2024 में हुई लक्षद्वीप यात्रा के बाद दोनों देशों के रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए। मुइज़्ज़ू के तीन उप-मंत्रियों द्वारा सोशल मीडिया पर मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी ने स्थिति को और खराब कर दिया।
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