विश्व चर्चित नरेंद्र श्रीवास्तव, जिन्हे स्वामी विवेकानंद के नाम से जाना जाता है, कहते थे कि "कभी उपदेशक पर मत जाओ उसके उसके उपदेशों पर जाओ" जो आज की राजनीति उर्फ़ सियासत पर सटीक पर बैठता है, विशेषकर INDI Alliance पर। माना राहुल गाँधी विदेशों में जाकर अपने गठबंधन साथियों के दाना-पानी का इंतजाम कर आते हैं लेकिन चुनावों में सक्रियता पसंद नहीं। क्योकि राहुल तो क्या परिवार का कोई भी सदस्य जिस चुनाव में प्रचार के लिए जाता है सबकुछ मलियामेट हो जाता है।
अरविन्द केजरीवाल और ममता बनर्जी तो राहुल से दूरी बनाये रखना चाहते हैं। क्योकि जो सीटें ये अपने दम पर निकाल पातें हैं राहुल के प्रचार से नुकसान ही होता है। अभी दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में नई दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित के जीतने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन राहुल के मैदान में आते ही एकदम पासे पलट गए यानि चुनाव हाथ से निकल गया। प्रवेश वर्मा से कहीं ज्यादा दीक्षित की स्थिति मजबूत थी। लोकसभा चुनावों में "खटाखट" के लालच में लोगों विशेषकर महिलाओं के वोट से 99 सीटें लेकर राहुल अपने आपको सुरमा भोपाली ही समझने लगा। हालाँकि उसका फायदा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को भी मिला।
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में चारों खाने चित्त होने के बाद आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल मानो अज्ञातवास में चले गए थे। ना किसी के खिलाफ कोई आरोप और ना ही मनगढ़ंत बयानबाजी। दिल्ली की जनता ने उनको इतना करारा झटका दिया कि उनकी बोलती ही बंद हो गई थी। अब उपचुनाव में केवल दो सीट मिलने से ही केजरीवाल ‘अंधे के हाथ बटेर लगने’ की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। वे इस छोटी से जीत के बाद फिर से मीडिया की चौखट पर दस्तक देने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा का मुकाबला करने के मकसद से कई विपक्षी दलों ने इंडी अलायंस (INDI Alliance) बनाया था। लोकसभा के बाद विधानसभा चुनावों में भी मिली हार के बाद अब इंडी गठबंधन अंतिम सांसें गिन रहा है। हवा में उड़ रहे आम आदमी पार्टी संयोजक केजरीवाल ने ऐलान किया है कि आप बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी। इंडी गठबंधन के अन्य नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए केजरीवाल ने कहा कि I.N.D.I.A. सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। अब हमारा किसी से कोई गठबंधन नहीं है।
परिवारवादी और भ्रष्टाचार में लिप्त दलों ने बनाया इंडी अलायंस
दरअसल, पीएम मोदी अपार लोकप्रियता से घबराए परिवारवादी और भ्रष्टाचार में लिप्त दलों ने अपनी स्वार्थों की पूर्ति के लिए इंडी अलायंस बनाया था। लेकिन अब इंडी अलायंस एक-एक बिखरने लगा है। अलायंस के सभी दल अपनी बची-खुची सीटें बचाने की जुगत में लगे हैं। नीतीश कुमार और जयंत चौधरी एनडीए में आ चुके हैं तो ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, उमर अब्दुल्ला इंडी अलायंस से अलग सियासत कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने तो इंडी अलायंस के नेतृत्व राहुल गांधी से छीनकर उन्हें देने तक की मांग कर डाली है। हालांकि जनवरी में तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि इंडी अलायंस सिर्फ लोकसभा के लिए था, लेकिन मजबूरी में अब बिहार में कांग्रेस-राजद एक-दूसरे को सपोर्ट करने में लगे हैं। अब केजरीवाल ने भी बिहार विधानसभा चुनाव में इंडी अलायंस से अलग होकर चुनाव लड़ना तय किया है।पंजाब और गुजरात के उपचुनाव में दो सीटें जीतने के बाद केजरीवाल गुजरात के दो दिन के दौरे पर अहमदाबाद पहुंचे थे। यहां उन्होंने पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत की। केजरीवाल ने कहा कि गुजरात के विसावदर उपचुनाव में हमने कांग्रेस से अलग लड़कर तीन गुना ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। यह जनता का सीधा संदेश है कि कांग्रेस की हालत खस्ता हो चुकी और अब विकल्प आम आदमी पार्टी है। आम आदमी पार्टी आगे भी गुजरात में चुनाव लड़ेगी। दिल्ली में हार पर केजरीवाल ने कहा कि ऊपर-नीचे होता रहेगा। उन्होंने आरोप मढ़ा कि कांग्रेस पार्टी को बीजेपी को जीत दिलाने के लिए ठेका दिया जाता है। अब आम आदमी पार्टी आ गई है। लोग इसे एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। विसावदर में इसी तरह से लोगों ने वोट दिया। बीजेपी ने कांग्रेस को भेजा था कि इनके वोट काटो। कांग्रेस ने ठीक से काम नहीं किया। बीजेपी से कांग्रेस वालों को खूब डांट पड़ी। इंडी गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में केजरीवाल ने कहा- वह अलायंस लोकसभा के लिए था। अब हमारी तरफ से कुछ नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की भी इंट्री हो गई है। ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने साफ कहा कि अब न कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन है, न ही INDIA गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाएगा। INDIA गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक था। अब कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है। अगर गठबंधन होता, तो कांग्रेस ने विसावदर उपचुनाव में हमारे खिलाफ उम्मीदवार क्यों उतारा? वो हमें हराने आए थे। ध्यान रहे कि AAP और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन राज्यों में दोनों पार्टियां अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ती रही हैं। दिल्ली और हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी दोनों ने अलग-अलग लड़ाई लड़ी थी। कांग्रेस पार्टी को उस वक्त और बड़ा झटका लगा था, जब इंडिया अलायंस के सहयोगी दलों शिवसेना यूबीटी, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में आप को समर्थन दे दिया। बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दिल्ली में गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि, कांग्रेस एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चौतरफा मुसीबतों में घिरे नजर आ रहे हैं। एक ओर राहुल गांधी पर अमेरिकी उद्योगपति जॊर्ज सोरोस के साथ कनेक्शन का बड़ा खुलासा हुआ है, तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॊक के अंदर से ही राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर बगावत जैसे हालात पैदा हो गए हैं। राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता को लेकर जांच पहले से ही चल रही है। इंडिया ब्लॊक की पांच प्रमुख पार्टियों ने गठबंधन की कमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपने का समर्थन कर कांग्रेस खासकर, राहुल गांधी के लिए ऐसी मुसीबत खड़ी कर दी है, जिससे पार पाना मुश्किल होगा। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने राहुल गांधी के खिलाफ खुल्लम-खुल्ला मोर्चा खोल दिया है। दावा यही है कि अब इंडिया गठबंधन का कप्तान बदलने का वक्त आ गया है। राहुल गांधी की कैप्टेंसी में इंडिया गठबंधन के लिए लगातार मजबूत हो रही भाजपा को हराना असंभव होगा।
लोकसभा चुनाव में टीम एनडीए का स्कोर कार्ड 293 रहा था, जो स्पष्ट बहुमत से कहीं ज्यादा है। एनडीए के कप्तान नरेन्द्र मोदी ने अपनी टीम को शानदार जीत दिलाई। वहीं, टीम इंडिया गठबंधन का स्कोर 235 ही रहा। लगातार तीसरी हार के बाद अब विपक्षी टीम की कैप्टेंसी को लेकर नई जंग छिड़ गई है। टीएमसी की मांग है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस का स्कोर कार्ड ऐसा है कि अब टीम इंडिया का कप्तान बदलना होगा। मतलब टीम इंडिया में कैप्टन की कुर्सी को लेकर अंदरूनी झगड़ा शुरू हो गया है। हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की बुरी हार के बाद पांच प्रमुख दल राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा चुके हैं। नवंबर में हरियाणा और दिसंबर में महाराष्ट्र के चुनाव में कांग्रेस की बुरी करारी हार होते ही ममता बनर्जी कैंप से राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने में तनिक भी देरी नहीं की है।
टीएमसी के सांसद कीर्ति आजाद ने पिछले सप्ताह ही यह बयान दिया था कि अब इंडिया ब्लॊक की कमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंप दी जानी चाहिए। क्योंकि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस खुद बुरी तरह हार का सामना कर रही है। ऐसे में वह इंडिया गठबंधन को आगे लेकर कैसे जा सकती है। अपने सांसद के इस बयान पर पहली प्रतिक्रिया ममता बनर्जी ने ही दी। उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि सभी दल राजी हों तो वे ‘इंडिया’ की कमान संभालने को तैयार हैं। इसके बाद तो ममता बनर्जी को समर्थन की झड़ी सी लग गई। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार, शिवसेना (उद्धव) और अब लालू यादव ने भी मांग कर दी कि इंडिया ब्लॊक की कमान ममता बनर्जी को सौंप दी जानी चाहिए।
इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां इसलिए कई कारणों से कांग्रेस और राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा रही है और ममता का समर्थन कर रही है। इनका कहना है कि कांग्रेस आज सभी दलों को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं। दूसरा दो राज्यों में मिली करारी हार के बाद भी कांग्रेस और राहुल गांधी का अहंकार टूटा नहीं है। इसलिए वह जमीनी वास्तविकता से पूरी तरह अनजान हैं। ममता बनर्जी किसी भी तरह अपना गढ़ बचा पा रही हैं, इसलिए वह इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। हालांकि, यह अलग बात है कि भाजपा भले ही पश्चिम बंगाल में ना जीत पाई हो, लेकिन पिछले दस साल से देश पर राज कर रही है। ऐसे में सिर्फ एक राज्य की सत्ता संभालने वाली ममता बनर्जी, लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी को कैसे चुनौती दे सकती हैं?
इंडिया गठबंधन में चल रही उठापटक के बीच कांग्रेस और राहुल गांधी की ओर से चुप्पी साध ली गई है। राहुल गांधी और उनकी पार्टी संसद के सत्र में गौतम अडानी का अपना वही पुराना मुद्दा उठा रहे हैं। इस मुद्दे पर टीएमसी और समाजवादी पार्टी का उसे समर्थन ना मिलने से समझा जा सकता है कि इंडिया के कई प्रमुख घटक दल राहुल गांधी को अपना नेता मानने को तैयार नहीं हैं। इंडिया ब्लॊक के प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी को इंडिया का नेतृत्व सौंपने की मांग कर एक प्रकार से कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। पटना में पत्रकारों ने जब लालू यादव से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा, “इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को दे देना चाहिए, हम सहमत हैं।” कांग्रेस की आपत्ति से जुड़े सवाल पर लालू ने कहा, “कांग्रेस के आपत्ति जताने से कुछ नहीं होगा। ममता बनर्जी को नेतृत्व दे देना चाहिए।”
भले ही कहने को कांग्रेस की ओर से इंडिया ब्लॊक की कमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संभाल रहे हैं, लेकिन सहयोगी दल मानते हैं कि इंडिया की कमान अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी के हाथों में ही है। मल्लिकार्जुन तो कठपुतली मात्र हैं। कांग्रेस की ओर से मुख्य चेहरा राहुल गांधी ही हैं। ऐसे में इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों का निशाना सीधे-सीधे राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर ही है। सहयोगी दलों ने एक प्रकार से राहुल गांधी के प्रति बगावत कर उनके प्रति अविश्वास व्यक्त कर दिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विपक्षी दलों के गठबंधन का नेतृत्व देने के लेकर कई दलों के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। अब सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेता इस बयानबाजी में शामिल हो गए हैं। इंडी गठबंधन के नेतृत्व पर लालू-शरद-उद्धव आदि नेताओं का साथ मिलने ममता बनर्जी फूली नहीं समा रही हैं। लालू यादव, शरद पवार से लेकर संजय राउत ने भी ममता बनर्जी को प्रमुख भूमिका देने की बात कही है। इस बीच ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व में बदलाव की चर्चाओं पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने इस पद के लिए उनका समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं को धन्यवाद दिया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी ममता बनर्जी को गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए सबसे बेहतर उम्मीदवार बताया।


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