हिंदू नाम से दुकान और मुस्लिम का QR Code; अबकी बार सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश स्टे नहीं किया, बस नोटिस दिया; वामपंथियों को मरोड़ लगे थे; सुप्रीम कोर्ट को स्वयं आदेश देना चाहिए कि अपना धर्म छुपा कर कोई भी व्यवसाय करना अपराध होगा

सुभाष चन्द्र

पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार ने कांवड़ मार्ग पर दुकान वालों को अपने नाम Display करने के लिए आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के जजों के दिलों में “सेक्लारिस्म” का दर्द उठा और आदेश पर स्टे लगा दिया उसकी अगली तारीख भी यात्रा समाप्त होने के बाद की लगाई थी

अबकी बार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने QR Code अपना ही लगाने के लिए कहा इसमें कुछ गलत भी नहीं था क्योंकि यह भी फ्रॉड हो रहा था कि मुस्लिम दुकान/ढाबा/होटल तो हिंदू नाम से चला रहे है लेकिन QR Code जिसके जरिए पैसा जा रहा है, वो एक मुस्लिम का है  इस तरह हिंदुओं को छल से दूषित भोजन खिलाने की पूरी संभावना थी 

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चर्चित YouTuber 

यह मामला भी लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी का एक वामपंथी प्रोफेसर अपूर्वानंद झा और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का अध्यक्ष आकार पटेल सुप्रीम कोर्ट चले गए और फर्जी दलील देते हुए यह भी दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के आदेश का सरकार ने  उल्लंघन किया है और इस पर रोक लगाई जाए

सोचिए, ये अपूर्वानंद झा दिल्ली का और आकार पटेल  गुजरात के नडियाद का रहने वाला है दोनों का उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कांवड़ मार्ग से कुछ लेना देना नहीं है और न ये स्वयं कांवड़ यात्रा में शामिल हैं और न इनके कांवड़ यात्रा मार्ग पर कोई ढाबे या होटल हैं, फिर इन्हे याचिका दायर करने का क्या अधिकार है, इनकी तो मामले में कोई Locus Standi है ही नहीं और इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इनकी याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार ही नहीं करनी चाहिए थी

याचिका दायर करने का अधिकार केवल उसका होता है तो सरकार के आदेश से पीड़ित हो (aggrieved party) अगर कोई मुस्लिम को कथित तौर पर सरकार के आदेश से आपत्ति थी तो वह जा सकता था कोर्ट लेकिन उसके लिए उसे पहले हाई कोर्ट जाना पड़ता और इसलिए झा और पटेल दोनों चौधरी बन गए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए वैसे भी वह कोर्ट जाने में डरता है क्योंकि कोर्ट ने अगर पूछ लिया कि ढाबा हिंदू नाम से है, तो तुम्हारा QR Code मुस्लिम नाम से क्यों है, तो इस बात का वो क्या जवाब देता?

इसलिए सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी इन दोनों फालतू दलालों झा और पटेल से भी सवाल पूछना चाहिए था कि ढाबा हिंदू नाम से और QR Code मुस्लिम का होने की कहानी क्या है, बस इतना समझा दो 

वामपंथी झा तो अपनी वामपंथी विचारधारा की वजह से देश का शत्रु ही है और आकार पटेल का NGO एमनेस्टी इंटरनेशनल भी भारत विरोधी है ये सरकार के खिलाफ हर बात में टांग अड़ाते हैं और देश के खिलाफ रहते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को 22 जुलाई तक जवाब देने को कहा है और 23 जुलाई को कांवड़ यात्रा समाप्त हो जाएगी 

अब 22 जुलाई की अगली सुनवाई पर किसी सरकार का वकील हिम्मत करके जजों को बस इतना कह दे, “मीलॉर्ड, एक बार कल्पना कीजिए कि थूक मिला खाना और पेशाब मिला शरबत/शिकंजी या अन्य पेय कैसा लगता है, आप चाहें तो पेश किए जाएं” सारा सेकुलर नशा उतर कर भागता नज़र आएगा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अब यह आदेश स्वयं देना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अपना धर्म छुपा कर कोई भी व्यवसाय नहीं करेगा, यहां तक, यदि कोई फर्जी हिंदू नाम रख कर किसी लड़की से भी संबंध बनाने की कोशिश करता है तो उसका यह अपराध माना जाएगा और गिरफ्तार होने पर जमानत भी नहीं होगी

फर्जी नामों से ढाबे होटल रेस्टोरेंट चला कर हिंदुओं के धर्म भ्रष्ट करना मुस्लिमों को अब बंद करना चाहिए और उसका सबूत देना चाहिए ईद पर तो मुस्लिम अपनी कौम के लोगों से ही खरीददारी करते है और हिंदुओं का बहिष्कार

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