साभार - ग्रोक/एआइ
आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सुरक्षा को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगले दस साल, यानी 2035 तक, भारत के हर अहम सामरिक और नागरिक ठिकाने को ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ के तहत हाई-टेक सुरक्षा कवच से लैस किया जाएगा।
यह सिर्फ सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि अस्पताल, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थल, बड़े बाजार और सार्वजनिक भीड़-भाड़ वाले सभी प्रमुख स्थान इसमें शामिल होंगे। पीएम मोदी ने कहा कि इस मिशन की प्रेरणा भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से ली गई है। जैसे वह चक्र दुश्मन के वार को रोककर तुरंत पलटवार करता था, वैसे ही यह आधुनिक सुरक्षा कवच भी काम करेगा।
क्या है मिशन सुदर्शन चक्र और कैसे करेगा काम
मिशन सुदर्शन चक्र एक अत्याधुनिक बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य किसी भी हवाई, ड्रोन, मिसाइल या रॉकेट हमले को पहले ही पहचानकर उसे निष्क्रिय करना है। इसकी खासियत यह होगी कि यह ‘डिटेक्ट डिफेंड काउंटर अटैक’ के सिद्धांत पर काम करेगा।
इस सिद्धांत के तहत पहले खतरे का पता लगेगा, फिर उसे नष्ट किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर हमलावर पर जवाबी कार्रवाई भी होगी। इसमें रडार नेटवर्क, हाई-स्पीड डेटा प्रोसेसिंग, इंटरसेप्टर मिसाइलें और लेजर डिफेंस सिस्टम शामिल होंगे।
मिशन के तहत देश भर में एकीकृत सुरक्षा ग्रिड बनाया जाएगा, जो सभी बड़े शहरों, संवेदनशील क्षेत्रों और सीमा इलाकों को आपस में जोड़ेगा। जैसे ही किसी भी दिशा से हमला करने वाली मिसाइल, ड्रोन या हवाई जहाज का संकेत मिलेगा, यह ग्रिड तुरंत सक्रिय हो जाएगी।
सेकंडों में खतरे की पहचान होगी, लक्ष्य का ट्रैकिंग होगा और फिर उसे नष्ट करने के आदेश जारी होंगे। इस पूरी प्रक्रिया में AI और मशीन लर्निंग तकनीक का बड़ा योगदान होगा, जो पिछले हमलों के पैटर्न के आधार पर भविष्य के खतरों को भी भांप लेगी।
एस-400 – सुदर्शन से मिली प्रेरणा
इस मिशन की अवधारणा भारतीय वायुसेना के पास मौजूद एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के अनुभव से आई है। भारत ने रूस से 2018-19 में 35,000 करोड़ रुपए में पाँच एस-400 स्क्वाड्रन खरीदने का समझौता किया था।
अब तक तीन स्क्वाड्रन भारत को मिल चुके हैं और बाकी दो 2026 तक आ जाएँगे। इस सिस्टम को भारतीय वायुसेना ने ‘सुदर्शन’ नाम दिया है। एस-400 की ताकत का सबसे बड़ा प्रदर्शन मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ, जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई ठिकानों को निशाना बनाया।
इस ऑपरेशन में सुदर्शन ने 300 किलोमीटर दूर से पाँच पाकिस्तानी लड़ाकू विमान और एक AEW&C की निगरानी विमान को मार गिराया। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का अब तक का सबसे लंबी दूरी का सफल हमला था।
इसके अलावा, इस सिस्टम ने दर्जनों ड्रोन और मिसाइल हमलों को भी नाकाम किया। पाकिस्तान के कई कमांड सेंटर, रडार स्टेशन और आतंकी ठिकाने तबाह हुए। इस घटना ने साबित कर दिया कि लंबी दूरी की और तेज प्रतिक्रिया देने वाली एयर डिफेंस प्रणाली देश की सुरक्षा के लिए कितनी अहम है।
2035 तक का लक्ष्य
पीएम मोदी के अनुसार, मिशन सुदर्शन चक्र का लक्ष्य अगले दस सालों में पूरा होगा। इस अवधि में देश के सभी रणनीतिक और संवेदनशील स्थानों पर यह सुरक्षा कवच लगाया जाएगा।
पहले चरण में सेना के ठिकाने, वायुसेना स्टेशन, नौसेना के बेस, परमाणु संयंत्र, रॉकेट लॉन्च स्टेशन और रक्षा उद्योग केंद्रों को जोड़ा जाएगा। इसके बाद रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन, एयरपोर्ट, अस्पताल, धार्मिक स्थल, बड़े स्टेडियम और भीड़-भाड़ वाले बाजारों को भी इस प्रणाली से कवर किया जाएगा।
#WATCH | Delhi: PM Modi says, "In the next ten years, by 2035, I want to expand, strengthen, and modernise this national security shield. Drawing inspiration from Lord Shri Krishna, we have chosen the path of the Sudarshan Chakra...The nation will be launching the Sudarshan… pic.twitter.com/cQRaYeSLvp
— ANI (@ANI) August 15, 2025
इस मिशन के लिए बड़े पैमाने पर घरेलू रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग की जाएगी। इसके लिए सरकार ने ‘प्लस वन नीति’ अपनाने का फैसला किया है, जिसमें हर विदेशी तकनीक के साथ एक भारतीय तकनीक का विकास अनिवार्य होगा।
यानी अगर कोई उपकरण बाहर से खरीदा जाएगा, तो उसका एक स्वदेशी संस्करण भी तैयार किया जाएगा। इससे तकनीकी आत्मनिर्भरता के साथ-साथ निर्यात की संभावनाएँ भी बढ़ेंगी।
क्यों जरूरी है यह मिशन
भारत की भौगोलिक स्थिति और सुरक्षा चुनौतियाँ इस मिशन को बेहद अहम बनाती हैं। एक ओर पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देश हैं, जिनसे सैन्य तनाव बना रहता है, वहीं दूसरी ओर ड्रोन और मिसाइल तकनीक का प्रसार आतंकवादी संगठनों तक भी पहुँच चुका है।
हाल के वर्षों में पाकिस्तान की ओर से कई बार ड्रोन के जरिये हथियार और विस्फोटक भेजे गए हैं। 2021 में जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमला इसका उदाहरण है। इसके अलावा, देश के भीतर भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा खतरे बढ़ते जा रहे हैं।
#WATCH | Bengaluru, Karnataka | Speaking on Operation Sindoor, Chief of the Air Staff, Air Chief Marshal AP Singh says, "...Our air defence systems have done a wonderful job. The S-400 system, which we had recently bought, has been a game-changer. The range of that system has… pic.twitter.com/16DJkn8E8T
— ANI (@ANI) August 9, 2025
ऐसे में सिर्फ फिजिकल सुरक्षा इंतजाम काफी नहीं हैं। एक ऐसी ऑल-इन-वन तकनीक की जरूरत है जो खतरे को दूर से भांपकर तुरंत प्रतिक्रिया दे सके। मिशन सुदर्शन चक्र इस कमी को पूरा करेगा और देश को एक आधुनिक सुरक्षा कवच प्रदान करेगा।
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