प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार - द हिंदू )
कांग्रेस ने अपने आपको सत्ता में बनाए रखने के हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाने का हर सामान रखा हुआ था, लेकिन समय कालचक्र के घूमते हर सामान बेनकाब होता रहा है। मुस्लिम तुष्टिकरण करते हर हिन्दू धार्मिक स्थल को विवादित बनाना, कोट पर जनेऊ पहन सनातन धर्म को अपमानित करना, फिरोज जहांगीर के वंशज होते हुए हिन्दू चोला पहनकर घूमना और मुस्लिम कट्टरपंथियों को समर्थन भारत विरोधी विदेशियों की कठपुतली बन उनके इशारे पर काम करना आदि आदि।
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने शनिवार (14 सितंबर 2025) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के बिहार राज्य अध्यक्ष महबूब आलम उर्फ महबूब आलम नदवी को गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई 2022 के फुलवारीशरीफ़ आपराधिक साजिश मामले से जुड़ी हुई है।
महबूब आलम, जो बिहार के कटिहार जिले के हसनगंज इलाके के रहने वाले हैं, उनको किशनगंज से पकड़ा गया। वह इस मामले में गिरफ्तार और चार्जशीट किए गए कुल 26 आरोपितों में से 19वें व्यक्ति हैं। यह केस PFI की उन गतिविधियों से जुड़ा है, जिनका मकसद धार्मिक नफरत फैलाकर समाज में डर और आतंक का माहौल बनाना और देश विरोधी साजिशों को अंजाम देना था।
PFI Bihar State President Arrested by NIA in Phulwarisharif Criminal Conspiracy Case pic.twitter.com/PuHc5ibreU
— NIA India (@NIA_India) September 13, 2025
NIA के मुताबिक, यह मामला शांति और सौहार्द बिगाड़ने, लोगों में असंतोष फैलाने और देश के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने से जुड़ा है। यह मुकदमा सबसे पहले स्थानीय पुलिस ने 26 संदिग्धों के खिलाफ दर्ज किया था। एजेंसी ने बताया कि आरोपित अवैध और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, जिनका लक्ष्य था, धार्मिक उन्माद भड़काना, समाज में अशांति फैलाना और हिंसा को हथियार बनाकर अपने मकसद पूरे करना।
जाँच एजेंसी ने खुलासा किया कि महबूब आलम और दूसरे आरोपित PFI के उस विजन डॉक्यूमेंट पर काम कर रहे थे, जिसे 11 जुलाई 2022 को फुलवारीशरीफ़ स्थित अहमद पैलेस से बरामद किया गया था। इसी दस्तावेज में संगठन की गुप्त योजना का जिक्र था।
NIA ने बताया कि महबूब आलम इस साजिश का हिस्सा था और उसने भर्ती, ट्रेनिंग, बैठकों और अन्य देशविरोधी गतिविधियों में भाग लिया। इतना ही नहीं, उसने फंड भी जुटाया और इसे अपने साथियों और PFI कार्यकर्ताओं तक पहुँचाया। एजेंसी ने कहा कि इस मामले की जाँच BNS और UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत जारी है।
जाँच में पता चला कि आलम और उसके साथी एक गुप्त विजन डॉक्यूमेंट पर काम कर रहे थे। इसका नाम इंडिया विजन 2047 था।
क्या है इंडिया विजन 2047
बिहार पुलिस ने जुलाई 2022 में आठ पन्नों का एक दस्तावेज जब्त किया था। जिस दस्तावेज का मकसद साफ था, वे 2047 तक भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने की योजना बना रहे थे। इसमें कहा गया कि अगर कुल मुस्लिम आबादी का मात्र 10% भी उनका साथ दे दे तो वे बहुसंख्यक समुदाय को दबाकर अपना वर्चस्व कायम कर लेंगे।
डायरेक्ट रोडमैप में भर्ती और प्रशिक्षण पर जोर था। खासकर एक PE विंग बनाकर उन्हें तलवार, डंडे और अन्य हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि आक्रमक व रक्षात्मक दोनों काम कर सकें। साथ ही सरकारी विभागों, कोर्ट, पुलिस और सेना में विश्वासी मुसलमान घुसाने की रणनीति बताई गई थी। दस्तावेज ने विरोधियों को अलग-थलग करने और जरूरत पड़ी तो हटा देने तक की बात कही थी।
PFI का डॉक्यूमेंटरणनीति में मीडिया-आउटरीच, हर इलाके में PFI की मौजूदगी और संघ या परिवार के नेताओं के खिलाफ जानकारी इकट्ठा करने जैसे कदम भी बताए गए थे। आखिरी हिस्से में कहा गया कि सीधी लड़ाई की स्थिति में विदेशों, खासकर तुर्की जैसे मित्र इस्लामी देशों से मदद ली जाएगी।
इस दस्तावेज में लिखा था कि 2047 तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की योजना है। इस दस्तावेज में पीएम मोदी पर हमले की साजिश का भी जिक्र था। दस्तावेज में साफ लिखा था कि सिर्फ 10% मुस्लिमों की मदद से भी ‘कायर हिंदुओं’ को दबाया जा सकता है।
योजना में विदेशी इस्लामी देशों, खासकर तुर्की से मदद लेकर भारत के खिलाफ हथियारबंद विद्रोह खड़ा करने की बात थी। इसके बाद NIA ने 17 राज्यों में छापेमारी की। इसमें बम बनाने के मैनुअल, ट्रेनिंग मॉड्यूल, विजन 2047 डॉक्यूमेंट और एक सीडी जब्त की गई।
इन सबका मकसद था भारत में दहशत फैलाना और इस्लामी शासन थोपना। इन खुलासों के बाद सितंबर 2022 में केंद्र सरकार ने PFI और उसके सहयोगी संगठनों पर 5 साल का बैन लगा दिया।
सरकार ने साफ कहा कि ये सभी संगठन यूएपीए कानून के तहत अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। बैन किए गए संगठनों में ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), रहाब इंडिया फाउंडेशन, NCHRO, नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रहाब फाउंडेशन, केरल भी शामिल हैं।
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