CJI गवई को इतना तो ज्ञान होना चाहिए कि आक्रांताओं ने जिस तरह हिन्दू मन्दिरों और देवी-देवताओं की पवित्र मूर्तियों को खंडित कर धरती में दबा दिए जाने पर उनका क्या हश्र हुआ है दुनिया में किसी से छुपा नहीं। भारत में मुस्लिम कट्टरपंथियों और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टियों को छोड़ दुनिया में कोई उनका नामलेवा नहीं।
खजुराहो के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फुट लंबी मुग़लों द्वारा खंडित मूर्ति (जिसमें भगवान विष्णु का सिर तन से जुदा किया हुआ है) उसकी पुनर्स्थापना के लिए राकेश दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन मसीह की बेंच ने सुनने से मना कर दिया। यह मंदिर खजुराहों का हिस्सा है जो UNESCO की विश्व धरोहरों में शामिल है।
चीफ जस्टिस गवई ने भगवान विष्णु का मजाक उड़ाते हुए राकेश दलाल से कहा कि आप तो अपने को विष्णु भक्त कहते हैं तो भगवान विष्णु से ही प्रार्थना कीजिए कि वो ही कुछ करे। यह मामला ASI के अंतर्गत आता है और यह कोर्ट का मामला नहीं है। चीफ जस्टिस गवई के शब्द मीडिया में ये रिपोर्ट किए गए हैं -
“Go and ask the deity itself to do something now. You say you are a staunch devotee of Lord Vishnu. So go and pray now. It’s an archaeological site and ASI needs to give permission etc. Sorry” CJI Gavai told petitioner Rakesh Dalal -
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लेखक चर्चित YouTuber |
आप विष्णु भगवान से प्रार्थना करने को कह रहे हो, कभी भगवान बुद्ध से प्रार्थना कर पूछा है कि लाखों बौद्ध तिब्बत छोड़ कर भारत में क्यों बैठे है, तिब्बत को आज़ाद क्यों नहीं करते भगवान बुद्ध और अफगानिस्तान की बामियान में भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं क्यों तोड़ दी गई? आप नहीं पूछ सकते क्योंकि आप केवल हिंदू विरोध कर सकते हैं।
चीफ जस्टिस गवई आप भगवान विष्णु का मजाक तो उड़ा गए लेकिन भूल गए कि कभी कभी भगवान किसी को दंड देने के लिए उसकी जिह्वा पर सरस्वती को बिठा कर अपना ही अपमान करा देते है जो उसकी दुर्गति का कारण बनता है। आप विष्णु जी का मजाक उड़ाते हुए भूल गए कि वो किस तरह और कब आपका सर्वनाश करेंगे आपको पता भी नहीं चलेगा। कुछ वर्ष पहले एक Public Figure ने शनिदेव का मजाक उड़ाया था और फिर उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नाक रगड़ कर माफ़ी मांगनी पड़ी थी।
आपका क्या होगा, ये आप देखते जाएं लेकिन कुछ तो होगा। भगवान आपके द्वारा किये गए अपमान का दंड अवश्य देंगे, कब, कैसे और कहां देंगे, ये वो ही तय करेंगे।
बेंच में चीफ जस्टिस गवई अल्पसंख्यक बौद्ध समुदाय के थे और दूसरे जज अगस्टीन मसीह में अल्पसंख्यक ईसाई थे तो हिंदू भगवान विष्णु के लिए न्याय की आशा करना तो बेमानी था। गवई एक बौद्ध हैं और अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं में कुछ प्रतिज्ञाओं में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का सर्वप्रथम अपमान करते हुए कहा गया है -
1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा;
2- मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूं।
ऐसे प्रवचन जो विष्णु भगवान के दे दिए गवई साहेब, वो किसी अन्य धर्म के भगवान के लिए कहने की हिम्मत करो और फिर देखो आपका क्या हाल होता है। अपने धर्म के अनुसार आप विष्णु भगवान का अपमान कर सत्ता में बैठ कर धार्मिक राजनीति खेल गए, यह अत्यंत खेद का विषय है।
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