हमास आतंकी महमूद अमीन याकुब अल मुहतादी को अमेरिकी जेल में मिलेगा हलाल खाना और शरिया वाली सुविधाएँ, 60 यहूदियों की हत्या में शामिल होने का आरोप

                                                   आतंकी को स्पेशल ट्रीटमेंट ( फोटो साभार- abc news)
हमास का मोस्ट वांडेट आतंकवादी महमूद अमीन याकूब अल मुहतादी को गिरफ्तार कर लिया है। इसने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हुए हमले का नेतृत्व किया था। 20 अक्टूबर 2025 को उसकी गिरफ्तारी हुई है। 33 वर्षीय महमूद वर्तमान में लाफायेट लुइसियाना में रह रहा था।

अटॉर्नी जनरल पामेला बोंडी ने कहा, “अमेरिका में छिपने के बाद, इस खूँखार आतंकी को खोज लिया गया और 7 अक्टूबर की आतंकी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। होलोकॉस्ट के बाद यहूदियों पर ये सबसे बड़ा हमला था।” इसमें दर्जनों अमेरिकी नागरिकों की जान गई। अटॉर्नी जनरल के मुताबिक, “हम यहूदी अमेरिकियों और विश्व भर के यहूदी लोगों के साथ यहूदी-विरोधी और आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ खड़े रहेंगे।”

17 अक्टूबर को जारी प्रेस रिलीज में नेशनल सिक्योरिटी के सहायक अटॉर्नी जनरल जॉन ए. आइज़ेनबर्ग ने कहा, “जैसा कि कल दायर दस्तावेजों में बताया गया है, 7 अक्टूबर को, जब अल-मुहतादी को इजराइल और कई देशों के नागरिकों, जिसमें अमेरिका शामिल है, पर हो रहे बर्बर हमले की जानकारी मिली, तो वह तुरंत सक्रिय हो गया। हथियारों से लैस होकर अपनी टीम में कुछ लोगों को शामिल किया और फिर इज़राइल में प्रवेश किया, उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत थे।”

अल-मुहतादी बाद में अमेरिका में प्रवेश के लिए गलत तरीके से वीजा प्राप्त किया। वह छिप कर रहने लगा। यह गिरफ्तारी उस दिन अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाने वालों को न्याय के कटघरे में लाने की दिशा में पहला सार्वजनिक कदम है।

हालाँकि न्याय विभाग ने हमास आतंकवादियों को नरसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराने की बात कही, लेकिन अब यह खुलासा हुआ है कि लुइसियाना में जेल में बंद इस हमास आतंकवादी को उसकी माँग पर धार्मिक सुविधाएँ दी गई हैं।

न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को महमूद अमीन याकूब अल-मुहतादी ने अदालत से अनुरोध किया कि यूएस मार्शल्स को उसे धार्मिक सुविधाएँ प्रदान करने और जेल में रहते हुए अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जाए। यह ध्यान देने योग्य है कि महमूद अमीन याक़ूब अल-मुहतादी ने न केवल इज़राइल में रक्तपात किया, बल्कि अमेरिकी वीजा आवेदन के वक्त भी झूठ बोला, जिसमें उसने 7 अक्टूबर के नरसंहार में अपनी संलिप्तता से इनकार किया था।

हमास आतंकवादी ने अदालत से हलाल माँस देने, उपवास करने और जेल में अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया।

अदालत ने आरोपी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा, “यूएस मार्शल्स को प्रतिवादी को वह सुविधाएँ देनी चाहिए, जो वे दे सकते हैं।” अदालत ने आतंकवादी के वकील को यूएस मार्शल्स के साथ संपर्क में रहने और इन माँगों को पूरा करने की उनकी क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए भी कहा।

महमूद अमीन याक़ूब अल-मुहतादी कौन है

महमूद अमीन याक़ूब अल-मुहतादी उस समय गाजा में रहता था। उसने 7 अक्टूबर के नरसंहार में हिस्सा लिया था, जिसमें इजराइल के कफर आजा किबुत्ज में रहने वाले 60 लोगों की हत्या की थी। शिकायत के अनुसार, 7 अक्टूबर के नरसंहार से पहले, उसने अपने एक साथी आतंकवादी से खुशी-खुशी कहा था कि यह नरसंहार ‘तीसरे विश्व युद्ध’ को भड़काएगा।

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “अल-मुहतादी, जो नेशनल रेसिस्टेंस ब्रिगेड्स (NRB), डेमोक्रेटिक फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन (DFLP) की सैन्य शाखा में युवाओं का नेतृत्व करता था, ने उस दुखद दिन हमास कमांडर मोहम्मद देइफ के हथियार उठाने के आह्वान को सुना और पास के किबुत्ज़ पर हमला करने के लिए लोगों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जैसा कि फेड्स ने दावा किया।”

शिकायत में यह भी खुलासा हुआ कि केवल कफर आज़ा किबुत्ज़ में 60 लोग मारे गए और 19 को अगवा कर लिया गया। मारे गए लोगों में 4 अमेरिकी नागरिक थे। कफर आज़ा से अगवा किए गए 19 लोगों में एक अमेरिकी नागरिक था।

सेलफोन डेटा से पता चलता है कि अल-मुहतादी उस दिन सुबह कफर आज़ा में मौजूद था। उसने नरसंहार से पहले अपने साथी आतंकवादियों को राइफल, बुलेटप्रूफ वेस्ट और गोला-बारूद लाने का निर्देश भी दिया था।

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर की सुबह एक अन्य आतंकवादी के साथ फोन पर बातचीत में अल-मुहतादी ने कहा: “बहुत सारे इज़राइल डिफेंस फोर्सेस के सैनिक अगवा किए गए हैं, यह एक गेम है।”

उसने कॉल के दौरान कहा, “अगर सब कुछ ठीक रहा, तो सीरिया हिस्सा लेगा, लेबनान हिस्सा लेगा … यह तीसरा विश्व युद्ध होगा।”

आतंकवादी हमले के एक साल से भी कम समय में अल-मुहतादी अमेरिका चला गया। अपने वीजा आवेदन में, उसने दावा किया था कि वह किसी आतंकवादी समूह का हिस्सा नहीं था, उसने कभी किसी की हत्या नहीं की थी या किसी आपराधिक गतिविधि में भाग नहीं लिया था। ये साफ झूठ था। वह सितंबर 2024 में अमेरिका चला गया।

यह गौरतलब है कि हमास यहूदियों को नष्ट करना और इजराइल पर कब्जा करना अपना धार्मिक कर्तव्य मानता है। 1988 में अपनाया गया हमास चार्टर इजराइल, फिलिस्तीन, और यहूदियों और मुसलमानों के बीच व्यापक संघर्ष के बारे में हमास के वैचारिक दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। चार्टर का एक प्रमुख दावा यह है कि जॉर्डन नदी से भूमध्य सागर तक का पूरा इजराइल वक्फ भूमि है, जो विशेष रूप से मुसलमानों की है।

यहूदियों के कत्लेआम का इरादा जताया

हमास ने यहूदियों की हत्या का आह्वान भी किया और दावा किया कि ‘जजमेंट डेट’ तब तक नहीं आएगा, जब तक मुसलमान यहूदियों से लड़कर उन्हें मार नहीं डालते। हिंसा का समर्थन करने के लिए उसने इस्लामी ग्रंथों का हवाला दिया।
हमास चार्टर का अनुच्छेद 7 कहता है: “जजमेंट डे तब तक नहीं आएगा जब तक मुसलमान यहूदियों से लड़कर उन्हें मार नहीं डालते। तब यहूदी चट्टानों और पेड़ों के पीछे छिपेंगे, और चट्टानें और पेड़ पुकारेंगे: ‘ऐ मुसलमान, मेरे पीछे एक यहूदी छिपा है, आओ और उसे मार डालो।’”
हमास चार्टर में उल्लिखित इस्लामी आयत सहीह अल-बुखारी (हदीस और सुन्नत की किताब का संग्रह) से ली गई है, जिसमें लिखा है: “वह घड़ी तब तक नहीं आएगी जब तक मुसलमान यहूदियों से नहीं लड़ते और उन्हें मार नहीं डालते, जब तक कि यहूदी पत्थरों और पेड़ों के पीछे नहीं छिपते और पत्थर या पेड़ नहीं कहते, ‘ऐ मुसलमान, ऐ अल्लाह के दास, मेरे पीछे एक यहूदी है, आओ और उसे मार डालो।”

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