ये बात जगजाहिर है कि अमेरिका कभी किसी का दोस्त नहीं सकता। सिर्फ super power होने की वजह से कोई अमेरिका के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता। विश्व में भारत ही ऐसा पहला देश है जो अमेरिका को उसकी औकात दिखने की हिम्मत है, भारत के अमेरिका के खिलाफ खड़े होने की वजह से अन्य देश भी भारत के कदमों पर चलने लगे हैं। अगर अमेरिका ने अपने दोगली नीतियों को नहीं छोड़ा अमेरिका super power की सूची में बहुत जल्दी नीचे आ सकता है। वैसे इसका शंखनाद हो भी चूका है।
ट्रम्प जवाब दे जब आतंकवाद का समर्थन देने के आरोप में सैमी हम्दी को गिरफ्तार किया जा सकता है फिर क्यों दुनिया में आतंकवाद के लिए कुख्यात पाकिस्तान को क्यों समर्थन देता है अमेरिका? अब इसे अमेरिका का दोगलापन नहीं कहा जाए तो क्या कहा जाए? झूठ बोल-बोलकर अमेरिका की जितनी साख ट्रम्प ने गिराई है किसी अन्य राष्ट्रपति ने नहीं। Operation Sindoor पर युद्ध विराम के लिए कितनी बार झूठ बोला, क्या किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को शोभा देता है? आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान को गोदी में बैठाया जा रहा है, ब्लैकलिस्ट होने से बचाया जा रहा है फिर किस मुंह से आतंकवाद का विरोध किया जा रहा है?
ब्रिटिश मुस्लिम पत्रकार सैमी हम्दी को इस्लाम के नाम पर इज़रायल विरोध के आरोप में अमेरिका के ICE (Immigration & Custom Enforcement) ने सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर लैंड करते ही गिरफ्तार कर लिया। उसे टेररिज्म का समर्थन करने के आरोप में पकड़ा गया है।
हम्दी को Council On American-Islamic Relations (CAIR) ने Pro-Palestine theme पर बोलने के लिए बुलाया था और उसकी गिरफ़्तारी को फ्री स्पीच का उल्लंघन बताया और कहा कि यह इज़रायल की आलोचना की सजा है। हम्दी अमेरिका में बोलने के टूर पर था, जहां वो गाज़ा में इज़रायल की कार्रवाई पर बात कर रहा था। अमेरिका ने उसका वीसा रद्द कर दिया और उसे Deport किया जाएगा। CAIR का Deputy Director Edward Ahmed Mitchel भी मुस्लिम ही लगता है जिसने इस्लामिक आतंकवाद को समर्थन देने की बात से इंकार किया।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
पत्रकारिता के नाम पर इस्लामिक आतंकवाद का समर्थन और गाज़ा में इज़रायल के मिलिट्री अभियान की आलोचना करना हम्दी का पेशा है। मैं कई बार लिख चुका हूं कि ये लोग फिलिस्तीन के नाम पर हमास का समर्थन करते हैं और CAIR ने भी उसे Pro- Palestine theme पर बोलने के लिए बुलाया था लेकिन बेहतर होता theme का नाम ही Pro-Hamas होता क्योंकि मकसद तो वही था। अब भारत के JNU में कुछ दिन पहले भोंकने वाले सोचें कि फ्री स्पीच के नाम पर उन्हें हुड़दंग मचाने के लिए गिरफ्तार कर लिया जाता तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट संविधान का अनुच्छेद 19 खोल कर प्रवचन शुरू कर देते।
अमेरिका में भी फिलिस्तीन के नाम पर हमास के समर्थन में बहुत दिनों तक प्रदर्शन हुए और कई यूनिवर्सिटी उसकी चपेट में थी। हमें किसान आंदोलन के लिए संयम बरतने की सलाह देने वाले अमेरिका ने उनके आंदोलन को कुचल दिया था।
Charlie Kirk, Conservative Activist (जो ट्रंप के करीबी थे) की जनवरी में हत्या के बाद अमेरिका कई Immigrants का वीसा रद्द कर चुका है और उन्हें डिपोर्ट कर चुका है जो फिलिस्तीन के समर्थन में इज़रायल के विरोध में हरकतें कर रहे थे लेकिन हमास के विरोध में एक शब्द नहीं बोलते थे।
अमेरिका अपने खिलाफ बात करने वालो और इज़रायल को गाज़ा के लिए टारगेट करने वालों पर तो कार्रवाई करता है लेकिन अमेरिका में बैठे भारत विरोधी आतंकवादियों को छुपाए रखता है और खुली छूट देता है जिनमें गुरपतवंत सिंह पन्नू भी शामिल हैं। इधर से राहुल गांधी आये दिन अमेरिका में जाकर George Soros और भारत विरोधियों के साथ मिलता है और भाषणबाजी करता है, वह अमेरिका को बहुत अच्छा लगता है। अमेरिका को भारत विरोधियों को अपने धरती को मंच देना उचित लगता है तो वह भारत के साथ कभी सामान्य संबंध नहीं बना सकता।
अवलोकन करें:-
राहुल गांधी अमेरिका या किसी देश में जाकर कभी हमास की निंदा नहीं करता और न कभी पाकिस्तान के आतंकवाद पर कुछ बोलता है वो केवल भारत का विरोध करता है और सोनिया गांधी भारत में बैठ कर कभी हमास की निंदा नहीं करती, वो भी फिलिस्तीन की आड़ में हमास के आतंक का समर्थन करती है।


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