धन-त्रयोदशी या धनतेरस नहीं ये है आयुर्वेद के जनक ऋषि धन्वंतरी जयंती; आज के दिन तुलसी माता के आगे दीया जलाया जाता है। तुलसी माता का आयुर्वेद में बहुत बड़ा योगदान है।

                                                        आयुर्वेद के जनक ऋषि धन्वंतरी
तुष्टिकरण के पुजारियों ने सनातन का कितना अधिक धूमिल किया है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इस गंभीर मुद्दे पर कोई शंकराचार्य तक बोलने की हिम्मत नहीं करता। जबकि शंकराचार्य का मुख्य उद्देश्य सनातन की रक्षा करना है, तुष्टिकरण पुजारियों का महिमामंडन करना नहीं।  

वैद्य धन्वंतरि महाराज ने विश्व को आयुर्वेद का ज्ञान दिया, बड़े-बड़े ग्रंथों की रचना की है। बीते 300 वर्ष पहले अधिकतर चिकित्सक वैध होते थे हकीम नहीं। तुष्टिकरण पुजारियों ने मुस्लिम समाज को खुश करने यूनानी पद्धति को जन्म दिया जबकि दोनों उपचारों में इतना अंतर है जितना किसी original और उसके substitute दवाई में। यूनानी एक substitute है जबकि आयुर्वेद original. यही कारण है यूनानी और मुस्लिम तुष्टिकरण के पुजारी बाबा रामदेव के आड़ में आयुर्वेद का विरोध करते रहते हैं।       

ऋषि धन्वंतरी ने मरीज की नब्ज पढ़कर बीमारी को मालूम करना सिखाया, जबकि आज की चिकित्सा टेस्टिंग पर निर्भर है। नब्ज बता देती है मरीज को बीमारी कितनी घातक है और कितनी नहीं। मरीज ने क्या अपनी बीमारी के अनुसार खानपान किया या बीमारी में बदपरेजी। आज लोग डॉक्टर के जाते तो डॉक्टर पूछता है क्या तकलीफ है। और मरीज अपनी तकलीफ बता दवाई ले आता है। 

जिस आयुर्वेद को मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों ने दफ़न कर दिया था उसे जीवित करने का काम बाबा रामदेव ने किया है। मिसालें भरी पड़ी है। बाबा रामदेव के प्रयासों से पहले जो बड़ी-बड़ी नामी टूथपेस्ट कंपनियां नमक, कोयला, हल्दी आदि से नुकसान गिनाया करती थी आज वही अपने व्यापार को बनाए रखने के लिए बाबा रामदेव के नुक्से अपना रही है। ऋषि धन्वंतरी के बाद इस घोर कलयुग में आयुर्वेद को बाबा रामदेव ने नया जीवन दिया है।   

धन-तेरस नहीं है बर्तन🍴 गहने खरीदने का दिन 💰

धनतेरस बर्तन व गहने खरीदने का दिन नहीं अपितु वैद्य धन्वंतरि जयंती है जिसने दुनिया को आयुर्वेद का ज्ञान दिया | कुछ ने धन ऐंठने की नियत से जनता को गुमराह कर धनवंतरी शब्द का अपभ्रंश करके धनतेरस कर दिया। यही कारण है कि आज के दिन तुलसी माता के आगे दीया जलाया जाता है। तुलसी माता का आयुर्वेद में बहुत बड़ा योगदान है।  

धनतेरस वास्तव में ऋषि धन्वंतरी का जन्मदिन है जो आयुर्वेद के जनक हैं... किन्तु गुलामी काल में हम इस दिन का वास्तविक अर्थ भूल गए और इसे वस्तुएं खरीदने का दिन बना दिया !

परम्पराओं के विज्ञान को न समझने के कारण हम न जाने और कितने पाखण्ड में गिरेंगे !

ऋषि कहते हैं आयुर्वेद का पालन करो तो तुम्हारे जीवन मे स्वास्थ्य रूपी धन आएगा !

ऋषि धनवंतरी के जन्मदिन की शुभकामनायें ! 

हमारा जीवन आयुर्वेद के विरुद्ध नहीं बल्कि योगमय हो यही मेरी मंगल कामना है !

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