जिस नूर वली महसूद को पाक ने ‘मार गिराने’ का किया दावा, उसने वीडियो जारी कर खोल दी झूठ की पोल

                           तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का लीडर नूर वली मेहसूद (साभार: द डिप्लोमेट)
पाकिस्तान की फौज ने 9 अक्टूबर 2025 को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हवाई हमला किया और दावा किया कि उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के कुख्यात सरगना नूर वली महसूद को मार गिराया है।

 पाकिस्तानी मीडिया ने इसे बड़ी जीत बताया, लेकिन सिर्फ एक हफ्ते बाद गुरुवार (16 अक्टूबर 2025) को TTP ने ऐसा वीडियो जारी किया जिसने पूरे पाकिस्तान की पोल खोल दी। 7 मिनट 55 सेकंड के उस वीडियो में नूर वली न केवल जिंदा नजर आया, बल्कि उसने खुलकर कहा कि वो अफगानिस्तान में नहीं, पाकिस्तान की खैबर पहाड़ियों में रह रहा है।

उसने दावा किया कि खैबर पख्तूनख्वाह की कुकी खेल और कंबर खेल कबीले उसके साथ हैं। यानी पाकिस्तान ने झूठे इनपुट पर हमला किया, रिश्ते बिगाड़े और आखिर में अपनी ही नाकामी का तमाशा दुनिया के सामने कर दिया।

पाकिस्तानी खुफिया की सबसे बड़ी चूक

काबुल पर एयर स्ट्राइक पाकिस्तान के इंटेलिजेंस इनपुट पर की गई थी। फौज को यकीन था कि नूर वली महसूद काबुल में है और उसकी गाड़ी को निशाना बनाया गया।

पाकिस्तान ने इसे सटीक ऑपरेशन बताया, लेकिन जब नूर वली का वीडियो सामने आया तो साफ हुआ कि वो न तो अफगानिस्तान में था, न ही हमले में मरा। इस एक गलती से पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ संबंध और भी खराब किए और खुद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर हँसी का पात्र बना लिया।

नूर वली महसूद: जन्म, तालीम और शुरुआती जीवन

नूर वली महसूद का जन्म 26 जून 1978 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिण वजीरिस्तान में तियारजा नामक गाँव में हुआ। वह पश्तून जनजाति के मेहसूद कबीले के मेचीखेल उपकबीले से ताल्लुक रखता है। उसने शुरुआती तालीम मदरसा सिद्दीकिया उस्पास में ली।

1990 के दशक में उसने फैसलाबाद, गुजरांवाला और कराची जैसे शहरों के अलग-अलग मदरसों में मजहबी तालीम ली। 1996-97 के दौरान उसने पढ़ाई बीच में छोड़ी और अफगानिस्तान चला गया, जहाँ उसने अफगान तालिबान के साथ रहकर अहमद शाह मसूद की नॉर्दर्न अलायंस के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा लिया।

काबुल और मजार-ए-शरीफ के मोर्चों पर उसने तालिबान के साथ लड़ाई लड़ी। बाद में अब्बू हाजी गुल शाह खान की सलाह पर पाकिस्तान लौटकर 1999 में इस्लामी अध्ययन में स्नातक किया और मुफ्ती की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उसने गोरगोराय में स्थित मदरसा इमदाद-उल-उलूम में 1999 से 2001 तक तालीम देने का भी कार्य किया।

तालिबान से जुड़ाव और नेतृत्व की ओर सफर

2003 में नूर वली महसूद ने पाकिस्तानी तालिबान (TTP) की मेहसूद शाखा में शामिल होकर सशस्त्र गतिविधियाँ शुरू कीं। उस समय पाकिस्तान फौज फाटा क्षेत्र में सैन्य अभियान चला रही थी, जिसे वह पश्तून परंपराओं और ‘पश्तूनवाली’ के खिलाफ मानता था। उसने इसे अमेरिका के प्रभाव के खिलाफ ‘रक्षात्मक जिहाद’ बताया।

2004 में वाना की लड़ाई के दौरान उसने पाकिस्तानी फौज पर कई हमले किए। जल्द ही वह बैतुल्लाह महसूद का भरोसेमंद साथी बना और संगठन में काजी (जज) के रूप में नियुक्त हुआ। बाद में उसे डिप्टी कमांडर का दर्जा भी मिला। बैतुल्लाह की मौत के बाद उसने गोरगोराय में एक प्रशिक्षण शिविर संचालित किया, उस वक्त उसके सिर पर 20 लाख रुपए का इनाम था।

2013 में उसे कराची चैप्टर का प्रमुख बनाया गया, जहाँ TTP ने फिरौती, अपहरण और बैंक लूट जैसी घटनाएँ अंजाम दीं। 2015 के बाद सुरक्षा अभियानों के कारण नेटवर्क कमजोर हुआ। इसके बावजूद नूर वली संगठन में प्रभावशाली बना रहा और खालिद महसूद का डिप्टी नियुक्त हुआ।

2018 में खालिद की मौत के बाद उसने मौलाना फजलुल्लाह के साथ काम किया और जून 2018 में फजलुल्लाह के मारे जाने के बाद उसे TTP का अमीर (मुखिया) घोषित किया गया उसके नेतृत्व में TTP ने अपनी रणनीति बदली। उसने आम नागरिकों को निशाना बनाना बंद किया और केवल सुरक्षा बलों पर हमले केंद्रित किए।

विचारधारा, लेखन और हाल की घटनाएँ

नूर वली महसूद मजहबी रूप से प्रशिक्षित विद्वान और सैन्य अनुभव रखने वाला कमांडर है। 9/11 के बाद उसने अफगान तालिबान का समर्थन किया। वह पहले TTP के प्रकाशन विभाग का प्रमुख था और 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या का जिक्र अपनी लिखी किताब में किया।

2017 में उसने ‘इंकलाब-ए-मेहसूद: साउथ वजीरिस्तान फिरंगी राज से अमेरिकी सम्राज्य तक’ नाम की 690 पेज की किताब लिखी, जिसमें उसने संगठन के इतिहास, विचारधारा और वित्तीय नेटवर्क का वर्णन किया।

अमेरिका ने 2019 में उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया और 2020 में संयुक्त राष्ट्र ने भी उसे प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में शामिल किया। 2021 के बाद TTP ने अफगानिस्तान से पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों पर हमले तेज कर दिए। 9 अक्टूबर 2025 को संगठन ने एक हमला किया जिसमें 11 पाकिस्तानी फौजी मारे गए।

इसके जवाब में पाकिस्तान ने काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले किए। कहा गया कि इन हमलों में नूर वली को निशाना बनाया गया, लेकिन तालिबान और TTP दोनों ने उसकी मौत की खबरों को झूठा बताया। बाद में TTP ने उसका एक ऑडियो जारी कर दावा किया कि नूर वली महसूद जिंदा है और सुरक्षित है।

निष्कर्ष: जिंदा नूर वली, मुसीबत में पाकिस्तान

नूर वली महसूद का जिंदा होना पाकिस्तान के लिए सिर्फ खुफिया नाकामी नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। उसकी मौजूदगी ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अपने ही देश में आतंक को खत्म करने में नाकाम रहा है। अब नूर वली महसूद सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि पाकिस्तान की असफल नीतियों और झूठे दावों का प्रतीक बन गया है।

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