पाकिस्तान की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स FATF ने साफ चेतावनी दी है कि ग्रे लिस्ट से बाहर आने का मतलब आतंकियों को फंड देने की छूट नहीं है। वहीं, संगठन का ये भी इशारा था कि पाकिस्तान अब भी आतंक फंडिंग के खतरे से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। अगर उसने सुधार नहीं किए तो उसे दोबारा ग्रे लिस्ट में डाला जा सकता है।
FATF ऐसी धमकी देकर आखिर क्या खेल खेल रहा है? विश्व में किसे नहीं मालूम कि पाकिस्तान आतंकवाद की जन्मभूमि है। जहां फौज आतंकवादियों के लाशों पर फातिया पढ़ती हो क्या वो मुल्क आतंकवाद छोड़ सकता है? दूसरे, आतंकियों को फंडिंग पाकिस्तान नहीं बल्कि आतंकवाद समर्थक मुल्क/लोग पाकिस्तान को फंडिंग कर रहे हैं। यही वजह है कि भूखा मरते मुल्क के नेताओं का विदेशों में तिजोरियों का अम्बार नहीं होता। यह धमकी अगर पाकिस्तान को समर्थन देने वालों को दी जाती तब लगता कि FATF आतंकवाद के खिलाफ है।
FATF की सख्त चेतावनी
जानकारी के अनुसार, पेरिस में हुए FATF के अधिवेशन में 200 से ज़्यादा देशों ने हिस्सा लिया। बैठक में कई देशों को ग्रे लिस्ट से हटाया गया। बैठक के बाद FATF अध्यक्ष एलिसा डे अंडा माद्राजो ने कहा कि किसी भी देश के लिए ग्रे लिस्ट से बाहर आना सुरक्षा की गारंटी नहीं है। FATF अध्यक्ष ने कहा, “जो देश ग्रे लिस्ट में रहे हैं, वे अपराधियों या आतंकियों की फंडिंग से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।” FATF ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि वह अभी भी एशिया पैसिफिक ग्रुप की निगरानी में है और उसे वित्तीय पारदर्शिता और आतंक फंडिंग पर सख्ती से नियंत्रण रखना होगा।
🚨 BIG STATEMENT 🚨
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) October 24, 2025
FATF President Elisa de Anda Madrazo on reports of terror financing via digital wallets in Pakistan: “We continue the process of follow -up after Pakistan’s EXIT from the grey list — the EXIT is NOT BULLETPROOF.” pic.twitter.com/TZ7t99sF4W
भारत में डिजिटल रास्तों से पहुँचा आतंक का पैसा
इस साल जुलाई 2025 में FATF ने खुलासा किया था कि भारत में हुए आतंकी हमलों में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से खरीदे गए थे। यह खुलासा पुलवामा और गोरखनाथ मंदिर हमले की जाँच के दौरान हुआ। आतंकी संगठन सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप्स और क्राउडफंडिंग साइट्स का इस्तेमाल फंड जुटाने के लिए कर रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए उन्हें पैसे, सामान और ट्रेनिंग की मदद मिल रही है।
2019 के पुलवामा हमले में जैश-ए-मोहम्मद ने बड़ी मात्रा में विस्फोटक जुटाए थे। जाँच में सामने आया कि हमले में इस्तेमाल हुए उपकरणों के पुर्जे ऑनलाइन खरीदे गए थे। इसी तरह, पहलगाम हमले में भी आतंकियों को बाहर से वित्तीय मदद और धन हस्तांतरण मिला था, जिसके बिना हमला संभव नहीं था। यही रिपोर्टें FATF के पास पहुँचीं और उसने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसने कार्रवाई नहीं की तो उसे फिर से ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
पहले भी झेल चुका है अंतरराष्ट्रीय दबाव
पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था, जब उस पर आतंकियों को फंड देने और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम रहने के आरोप लगे थे। करीब चार साल बाद 2022 में वह बाहर आया। लेकिन अब FATF की सख्त टिप्पणी से साफ है कि पाकिस्तान पर दुनिया का भरोसा फिर कमजोर पड़ रहा है।
अगर FATF किसी देश को हाई-रिस्क घोषित करता है, तो उस देश की अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग, निवेश और व्यापार पर बड़ा असर पड़ता है। पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था ऐसी सजा झेल नहीं पाएगी। इसलिए FATF की चेतावनी उसके लिए गंभीर आर्थिक खतरे का संकेत है।
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