पिछले 11 साल से आतंकी हमलों से देश को बचा रखा था मोदी सरकार और उसकी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने; विस्फोट से पहले भी कई दहशतगर्द पकड़े गए लेकिन विदेश में देश के खिलाफ षड़यंत्र रचने वाला विपक्ष मोदी सरकार को कमजोर कह रहा है

सुभाष चन्द्र

GenZ, वोट चोरी और संविधान का रोने वाले दोनों भाई-बहन(राहुल और प्रियंका)  अपने आकाओं के पैरों में सिर पटकने विदेश भाग गए। कांग्रेस और विपक्षी दलों के भोंकने वाले लोग 10 नवंबर को दिल्ली ब्लास्ट होते ही चीखने लगे कि मोदी सरकार कमजोर है उसे त्यागपत्र दे देना चाहिए। कल्याण बनर्जी और पप्पू यादव समेत कई नेता है जो सरकार पर पिल पड़े हैं और संजय राउत जैसे दिमाग से पैदल नेता ये देखते हुए भी कि विस्फोट में सभी डॉक्टर शामिल हैं, कह रहा है कि शिक्षा की कमी और बेरोजगारी से लोग आतंकी बनते है। उधर आतंकियों के घर वाले पकड़े गए आतंकियों को निर्दोष कह रहे हैं। मीडिया ऐसे आतंकियों के घर क्या उन्हें पाक साफ़ साबित करने के लिए जाता है?

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जब कोई बिकाऊ व्यक्ति या देश अपनी अक्ल की बजाए अपने आकाओं की ऊँगली पर नाचता है तो उसका विनाश निश्चित है। इसकी जीती जगती मिसाल भारत का विपक्ष और पाकिस्तान है। जो मुल्क एयर और सर्जिकल स्ट्राइक से अपनी आंखें नहीं खोलता उसे बिकाऊ ही कहा जाएगा। दूसरे, भारत में विपक्ष इन स्ट्राइको पर सवाल उठाने को पाकिस्तान सरकार और मीडिया उछाल कर अपने बचाव में इस्तेमाल करते रहे। फिर Operation Sindoor पर हमारा बेशर्म विपक्ष दुश्मन द्वारा किये नुकसान को उछाल जनता को गुमराह कर पाकिस्तान के साथ हम प्याला हम नवाला बनते रहे। जो हमारा बेशर्म विपक्ष बोलता वही पाकिस्तान और जो पाकिस्तान बोलता वही हमारा विपक्ष। 

10 नवंबर के ब्लास्ट से पहले कितने डॉक्टर पकड़े गए जैश से संबंधित असला बारूद भी पकड़ा गया और इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि ख़ुफ़िया तंत्र सफल नहीं रहा। सफल था तब ही तो  11 साल से एक भी आतंकी हमला नहीं हुआ देश भर में कश्मीर के बाहर और वहां भी बहुत कमी आई है। अब पहले देखते हैं कि कांग्रेस सरकार आतंकी हमलों को रोकने में कितनी सफल थी।

कांग्रेस के 2004 से 2014 के कार्यकाल में कहां कहां और कब कब हमले हुए, ये नीचे दिए है -

-2005 : दिल्ली बम धमाके          - 62 मृतक;

-2006 : वाराणसी बम धमाके       - 28 मृतक;

-2006 : मुंबई ट्रेन धमाके             - 209 मृतक; (सभी 12 अभियुक्त हाई कोर्ट से बरी);

-2007 : हैदराबाद धमाके             - 42 मृतक;

-2008 : जयपुर धमाके                - 71 मृतक (हत्यारे बरी कोर्ट से);

-2008 : अहमदाबाद धमाके          - 56 मृतक; 

-2008 : दिल्ली धमाके                - 33 मृतक;

-2008 : असम धमाके                 - 88 मृतक;

-2008 : मुंबई 26/11 हमला          - 175 मृतक;

-2011 : मुंबई धमाके                   -  26 मृतक;

-2011 : दिल्ली हाई कोर्ट धमाका    - 15 मृतक;

-2013 : हैदराबाद धमाका             - 17 मृतक 

ये सब आतंकी हमले कांग्रेस और विपक्ष को याद नहीं है इनके अलावा भी और अन्य कई हमले हुए और कांग्रेस पाकिस्तान से डोजियर डोजियर खेलती थी जबकि मोदी ने डोजियर डोजियर खेलने की बजाए पाकिस्तान पर 3 बार प्रहार किया - सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट और ऑपरेशन सिन्दूर लेकिन कांग्रेस खुद बिना कोई कार्रवाई किए मोदी से हर बार की गई कार्रवाई के सबूत मांग कर पाकिस्तान को “निर्दोष” साबित करती रही

इस घटना के तार भी पाकिस्तान से जुड़े मिलेंगे और कार्रवाई भी होगी जो अबकी बार निर्णायक होगी डॉक्टर टेरर की नाम से जाना जाएगा कल का ये हमला और जो भी मूर्ख हैं यह कहने वाले कि शिक्षा की कमी और बेरोजगारी की वहज से आतंकी बनते है, उसके अपने अंधेपन का इलाज करा लेना चाहिए क्योंकि आतंकवाद एक इस्लामिक फितूर है और आतंक का वह ही एकमात्र धर्म है इसलिए यह कहना बंद कर देना चाहिए कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता

आतंकवाद के लिए “सेकुलर” दलों के अलावा न्यायपालिका और उसमे में प्रमुखता से सुप्रीम  कोर्ट जिम्मेदार है वहां बैठे बेशर्म और निर्लज्ज जज आतंकियों को बरी कर देते है और उन्हें जमानत दे देते हैं जयपुर और मुंबई हमलों के अपराधियों के खिलाफ अपील लेकर बैठ जाते हैं और कोई बड़ी बात नहीं वो छूटे हुए लोग भी नई कार्रवाई में शामिल हो 

सुप्रीम कोर्ट तो अभी उमर खालिद और शरजील इमाम को भी जमानत देने को तैयार बैठा है देश के आतंकवाद के लिए सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार कहना कुछ गलत नहीं होगा। बेशर्म जज आतंकियों के लिए देर रात अदालत खोलने को तैयार रहते हैं। सरकार को ऐसे जजों को तुरन्त बर्खास्त करने का समय आ गया है।  

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