गुजरात ATS का खुलासा :जिस जहर से डोनाल्ड ट्रंप को मारने की हुई थी साजिश, उसी के इस्तेमाल की थी तैयारी

जिस तरह अब जिन आतंकियों को पकड़ा जा रहा है वह कोई बेरोजगार या पंचर लगाने वाले नहीं शिक्षित सामने आ रहे हैं। जो कहते हैं कि आतंकवाद का कोई मजहब/धर्म नहीं होता, बताएं इन आतंकियों का कौन-सा मजहब है। आखिर भारत में बैठे इनके आका जिन्हें हम भावी नेता कहकर सम्मान देते कुछ बोलेंगे। क्या ऐसे नेताओं का सामाजिक बहिष्कार करने का भी समय आ गया है? अपना नाम छुपाकर हिन्दू देवी-देवताओं का नाम रख ढाबे चलाने वालों को जब अपना असली नाम लिखने को कहने पर पाखंडी नेता और सुप्रीम कोर्ट भी बचाव में खड़ी हो जाती है। लेकिन सच्चाई को छुपाने में सुप्रीम कोर्ट का अपराधियों के साथ खड़े होने का ही अंजाम है कि भारत में आतंकवाद पनप रहा है।       

हादसे और विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े गए लोगों के नाम और पेशे पढ़ रहा था- ना जाने कितने डॉक्टर है, सब पढ़े लिखे है। फ़ोटो वाला आदमी भी डॉक्टर है जो ज़हर बनाने की तैयारी में जुटा था। ऐसे डॉक्टर भी समाज में एक्सिस्ट करते है जिनकी शक्ल देख कर ही आम इंसान पास ना फटके- किंतु है ये डॉक्टर ही।
जब खबरें आती हैं — डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर जैसे शिक्षित लोग विस्फोटक बनाते पकड़े जाते हैं — तो दिल एक अजीब सवाल पूछता है: क्या शिक्षा वाक़ई इंसान को विवेक देती है, या सिर्फ़ साधन देती है जिसके सहारे वह अपने अंधविश्वास को और नुकीला बना लेता है?
अब यदि कोई बोले- शिक्षा की कमी से ये कट्टरपन पनपता है- तो एक बार फिर ये बात सरासर ग़लत साबित हुई है। क़ौम के किसी नेता, बड़े आदमी, सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर, लंबरदार, मज़हबी आलिम ने एक भी बयान जारी कर इस सब की भर्त्सना नहीं की, एक शब्द भी नहीं कहा- ये लोग हमारे समुदाय को रिप्रेजेंट नहीं करते। माफ़ी तो घुस गई ऐसी तैसी में, उल्टे कुतर्क देने में लगे है कि आरडीएक्स नहीं अमोनियम नाइट्रेट था, सिलिंडर फटा है, सरकार क्या कर रही थी, मंत्री क्या कर रहे थे, गुप्तचर एजेंसी क्या कर रही थी। तमाम बहाने किंतु एक भी शब्द संवेदना का नहीं, एक भी अल्फ़ाज़ माफ़ी का नहीं, एक भी हर्फ़ अफ़सोस का नहीं।
और ऐसा ना होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है- बहुसंख्यक समाज के चुनिंदा सेक्युलर लोग जो अब भी उस पक्ष के लिए बैटिंग कर रहे है, चुनाव के लिए ये विस्फोट करवाया गया, जैसे इल्ज़ाम लगा रहे है। जब सब नाम पेशे वाले लोग फ़ोटो समेत मीडिया में घूम रहे है- उसके बावजूद भी बेशर्मी से बहुसंख्यक सेक्युलर इन्हें वो कवर फायर दे रहे है जिसे अनेकों वर्षों से बढ़िया इस्तेमाल किया जा रहा है।
गुजरात एटीएस ने देश में बड़े आंतकी हमले की साजिश रच रहे संदिग्धों के पास से राइसिन (ricin) को बरामद किया है। यह वही जहर जिससे दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति डोनाल्ड ट्रंप को मारने की कोशिश की गई थी। राइसिन को बेहद खतरनाक जहर माना जाता है। दुनिया में इसकी कोई दवा नहीं है। सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप ही नहीं बल्कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी राइसिन के जरिए मारने की कोशिश हुई थी। इस जहर को दो बार लिफाफों में भेजा गया था। गुजरात एटीएस की गिरफ्त में आए तीन संदिग्धों में एक जहां एमबीबीएस डॉक्टर है तो वहीं अन्य में एक छात्र और दूसरा सिलाई का काम करता है।

कैसे तैयार होता है रिसिन?
अरंडी के बीच में जहरीला प्रोटीन राइसिन पाया जाता है। अरंडी के एक बीच यह 5 से 10 फीसदी तक हो सकता है। यह जहर शरीर की जिस कोशिका के संपर्क में आता है। उसके अंदर प्रोटीन सिंथेसिस को बंद कर देता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस जहर से अगर किसी तरीके से व्यक्ति बच भी जाए तो उसके अंग काम करने बंद कर देते हैं। दुनिया में अभी कोई इस जहर से बचाने के लिए कोई एंटीडोट नहीं बनी है। इस जहर की सबसे खास बात यही है कि इसे बनाना बेहद आसान है। केमिस्ट्री की ठीक-ठाक जानकारी रखने वाला कोई भी आम इंसान इसे बना सकता है. इसके लिए ना किसी हाई-फाई केमिकल की जरूरत होती है, और ना ही इक्विपमेंट्स से लैस हाई-टेक लैब की। एटीएस अधिकारी के अधिकारी के अनुसार हैदराबाद के डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद ने बड़ी मात्रा में राइसिन तैयार किया था। वह अपने पाकिस्तान स्थित आकाओं से आतंकवादी हमले में बड़े पैमाने पर जनहानि के लिए इसका इस्तेमाल करने के निर्देश का इंतज़ार कर रहा था। अधिकारी ने कहा आरोपी से पूछताछ की जा रही है।
इस बार साजिश इतनी प्रचंड थी कि यदि आतंकी सफल हो जाते तो समूचा विश्व एक ऐसा विनाश भारत में देखता जिसे आज तक कभी सोचा भी न गया हो मगर दुआएं दीजिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिनकी सजग चौकीदारी की वजह से आप और आपका परिवार एक बहुत बड़े विनाश से सुरक्षित बच पाया है। 

Gujarat ATS Arrested Hyderabad Doctor
                        डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैय्यद पर जहर बनाने का है आरोप 
गुजरात एटीएस के शिकंजे में आए संदिग्ध
1. अहमद मोहिउद्दीन सैय्यद (35)
पेशा: डॉक्टर, पता: पहली मंजिल, अशद मंजिल, स्ट्रीट नंबर 9, फोर्टव्यू कॉलोनी, स्कोडा शोरूम के सामने, राजेंद्रनगर, हैदराबाद, तेलंगाना।
2. आज़ाद सुलेमान शेख (20)
पेशा: सिलाई का काम, पता: क़स्बा जिंजाना, शेखा मेदान, सलारा, तालुका: कैराना, जिला: शामली, उत्तर प्रदेश।
3. मोहम्मद सुहैल मोहम्मद सलीम खान (23)
पेशा: छात्र, पता: वार्ड नंबर 1, पश्चिमी चमरौधा, कस्बा सिंगाही कलां, तालुका: निघासन, जिला: लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश।

इस बार कोई छोटी मोटी मछली नहीं बल्कि गुजरात ATS ने 11 नवंबर को आतंकी डॉक्टर मोहिउद्दीन के रूप में बहुत बड़े मगरमच्छ को पकड़ा है जिसने कैस्टर ऑयल से रेज़िन नाम का ऐसा तरल पदार्थ बनाया जो साइनाइड से भी 600 गुना ज़्यादा खतरनाक है। इस रेजिन की न तो कोई गंध है और न ही कोई स्वाद यदि इस रेजिन को फल सब्जियों के अंदर या मांस मछली के अंदर इंजेक्ट करके हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में यदि बेच दिया जाता तो क्या हश्र होता? यह जनसंहार सीधे सीधे मोदी जी के स्वर्णिम कार्यकाल पर एक बदनुमा दाग लगा जाता

गुजरात ATS के डिप्टी एसपी एस एल चौधरी को कुछ समय पहले एक खुफिया टिप मिली कि देश में खतरनाक आतंकी मॉड्यूल एक्टिव हो रहा है। अब पूरे भारत में कौन कहां कहां एक्टिव है यह मालूम करना भूसे में सुई ढूंढने जैसा था। मगर जब टिप के आधार पर जांच की गई तो पता चला कि कोई आंध्र प्रदेश का एक शख्स संदिग्ध है

उस संदिग्ध को मॉनिटर कर 24X7 निगरानी की गई शुरू में तो ये मेहनत बेकार लगी मगर एक दिन कुछ चीजे इनपुट से मेल खाती दिखी तो एक डॉक्टर का पता चला निगरानी और बढ़ाने पर उसका नाम डॉ मोहिउद्दीन अहमद सैयद मालूम हुआ। उसकी लोकेशन सर्विलांस पर लगा दी गई एक दिन उसकी लोकेशन गुजरात के मेहसाना से अहमदाबाद की तरफ मिली जिसके बाद गुजरात ATS एक्टिव हो गई

गुजरात ATS ने अड़ालज टोल प्लाजा पर घेराबंदी कर दी और एक फोर्ड गाड़ी को रोका। पूछताछ में गाड़ी में मौजूद उस शख्स ने अपना वही नाम बताया जिसकी निगरानी काफी समय से ATS कर रही थी। ATS ने तुरंत उसका फोन अपने कब्जे में लेकर फोन की जांच करनी शुरू की तो उसमें काफी डेटा डिलीट मिला जिसे रिकवर कर लिया गया। मगर कुछ ऐप डिलीट नहीं हो सकी थी क्योंकि डॉक्टर सैयद को ये अंदेशा ही नहीं था कि वो इस तरह से पकड़ा भी जाएगा। फोन की जांच से पता चला कि डॉक्टर अफगानिस्तान से ऑपरेट हो रहे ISIS के ही एक ग्रुप ISKP के कुछ बड़े लोगों के साथ कनेक्टेड था और उसके आका यानि आमिर का नाम 'अबू खदिजा' है

गाड़ी की चेकिंग के दौरान उसमें तीन हथियार मिले जिसमें दो Glock पिस्टल, एक बेरेट पिस्टल और 30 जिंदा कारतूस मिले पर इसके साथ 10 लीटर केमिकल भी मिला। पूछताछ में डॉक्टर ने बताया कि इस केमिकल से वो रेजिन बना रहा था जो केस्टर बीन्स से बनता है

हथियार के बारे में पूछताछ करने पर दो नाम सामने आए आजाद सैफी और मोहम्मद सुहेल जो कि उत्तर प्रदेश के रहने वाले है दोनों को ट्रेस करने पर उनकी लोकेशन राजस्थान बोर्डर के पास बनासकांठा में मिली जिसके बाद तुरंत दोनों को वहां से गिरफ्तार किया गया। इन दोनों ने ये सभी हथियार राजस्थान के हनुमानगढ़ी से लिए थे जिसे पाकिस्तानी शख्स ने ड्रोन की सहायता से पाकिस्तान से हथियार पहुंचाए थे

यह सभी किसी बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले थे इन सभी ने दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद की रेकी की थी हमला कब कहाँ कितने बजे करना था? 

जहरीले केमिकल का इस्तेमाल कैसे और कहां-कहां किस पर करने वाले थे? बाकी कौन-कौन लोग इस हमले में शामिल है? किस-किस शख्स ने क्या-क्या मदद इन्हें इस हमले को करने के लिए दी, यह सभी सवाल अभी फिलहाल गुजरात ATS की डायरी में दर्ज है

आप सिर्फ कल्पना कीजिए कि देश किन हालातों में सांस ले रहा है और यदि नरेंद्र मोदी जैसा चौकीदार भारत की रक्षा न कर रहा होता तो आज क्या अंजाम होता? इसलिए चौकस रहिए क्योंकि वो ठान चुके हैउत्तर प्रदेश के 2027 चुनाव से पूर्व कुछ भी बड़ा करने की 2027 तक का ये समय बेहद संभल कर चलने का है 

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