पश्चिम बंगाल : 26 लाख से ज्यादा ‘फर्जी वोटर’ से ममता के खेमे में मचा हड़कंप, TMC इसलिए कर रही SIR का विरोध; EPF की तरह वोटर लिस्ट बने


पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया जोरों पर चल रही है, इससे जुड़े कुछ न कुछ मामले सामने आ रहे हैं। अपना फर्जी वोट बैंक जाने के डर से सीएम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से इस प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है। वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया के बीच चुनाव आयोग की ओर से एक बड़ा खुलासा किया गया है। आयोग के मुताबिक अभी तक के पुनरीक्षण में यह फैक्ट सामने आए हैं उनके अनुसार पश्चिम बंगाल की मौजूदा वोटर लिस्ट में 26 लाख से अधिक वोटर्स के नाम 2002 की वोटर लिस्ट से मेल नहीं खा रहे हैं। यानि एक तरह से राज्य में 26 लाख से अधिक वोटर ‘फर्जी’ हैं। आयोग के मुताबिक फाइनल रिपोर्ट में यह संख्या बढ़ भी सकती है। इससे पहले भी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अब तक 10 लाख से ज्यादा SIR फॉर्म ऐसे हैं जिन्हें अब तक जमा नहीं कराया गया है। इससे साफ है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटर बने हुए हैं। चुनाव आयोग के इस खुलासे के बाद तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के होश उड़े हुए हैं।
चुनाव आयोग को Employees' Provident Fund Pension तर्ज पर वोटर लिस्ट बनानी चाहिए। जिसमे आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, चेहरा और अंगूठे का निशान हो, न मतदान के दिन बुर्का(चेहरे को पहचानने के लिए) हटाने का झगड़ा और न ही मतदान तक किसी पोलिंग एजेंट के बैठने की जरुरत। सिर्फ मतदान शुरू होने से पहले और मतदान ख़त्म होने पर EVM को चेक और सील करते समय एजेंट की जरुरत। जिस तरह आज टेक्नोलॉजी विकसित कर रही है, उसके सहयोग से चेहरा और ऊँगली अंगूठे का निशान उस मतदाता ने अगर कहीं और किसी अन्य नाम से नाम दर्ज करवाया हुआ है सब अपने आप सामने आने पर उम्मीद है पूरे भारत में लाखों फर्जी मतदाता निकल जाएंगे। चर्चा है कि घरों में काम करने वाली बांग्लादेशी महिलाओं ने हिन्दू क्षेत्रों में हिन्दू नाम रख और अन्य प्रदेश में किसी और नाम से लिस्ट में नाम है। आधार बनवाये हुए हैं। सब पकड़ में आ जायेंगे। अगर चुनाव आयोग Employees' Provident Fund तर्ज पर वोटर लिस्ट बनाता है बार-बार SIR की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। ना ही मतदान से पहले पर्चियां बाँटने की जरुरत। मतदाता बस अपना वोटर कार्ड, मोबाइल और आधार कार्ड लेकर आये। बोगस मतदान करने आयी या आये को तुरन्त पुरुष/महिला सुरक्षा कर्मी द्वारा हिरासत में लेकर हवालात भेजा जाए। एक बार खर्चा जरूर होगा लेकिन भविष्य में बचत।
         

ममता सरकार और टीएमसी नेता बीएलओ को तरह-तरह से धमका रहे

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR अभियान चलाया जा रहा है। ममता सरकार और टीएमसी नेताओं द्वारा बीएलओ को तरह-तरह से धमकाकर इसमें अड़चने पैदा की जा रही हैं। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बुधवार को इस बारे में जानकारी दी। अधिकारी ने बताया है कि पश्चिम बंगाल में नवीनतम वोटर लिस्ट की तुलना जब पिछली SIR प्रक्रिया के दौरान साल 2002 और 2006 के बीच विभिन्न राज्यों में तैयार की गई लिस्ट से की गई। तब जाकर वोटर लिस्ट की ये विसंगति सामने आई है कि 26 लाख से अधिक वोटर्स के नाम 2002 की वोटर लिस्ट से मेल नहीं खा रहे हैं। निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, राज्य में वर्तमान में जारी SIR की प्रक्रिया के तहत बुधवार दोपहर तक पश्चिम बंगाल में छह करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड कर दिए गए थे।

अब तक प्रदेश के 26 लाख से अधिक वोटर्स के नामों का मिलान नहीं

चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया है- “पोर्टल पर अपलोड होने के बाद, इन प्रपत्रों को ‘मैपिंग’ प्रक्रिया के तहत लाया जाता है, जहां इनका मिलान पिछले एसआईआर रिकॉर्ड से किया जाता है। शुरुआती निष्कर्षों से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में लगभग 26 लाख से अधिक मतदाताओं के नामों का मिलान अब भी पिछले एसआईआर चक्र के आंकड़ों से नहीं किया जा सका है।” चुनाव आयोग ने हाल ही में जानकारी दी थी कि विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR के दूसरे चरण का आयोजन पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा, जहां अगले साल चुनाव होने है। SIR की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक चलेगी। मतदाता सूची का मसौदा 9 दिसंबर को जारी किया जाएगा और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।

एसआईआर के 10.33 लाख फॉर्म जमा नहीं कराए गए – CEO

इससे पहले भी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि लाखों फॉर्म जमा नहीं हुए हैं। ये इसलिए ‘जमा नहीं कराए जा सके’ क्योंकि वोटर या तो गैर-हाजिर रहे, डुप्लीकेट थे या फिर वोटर्स की मौत हो चुकी है या हमेशा के लिए ये लोग कहीं और चले गए हैं। सीईओ अग्रवाल ने कहा कि एसआईआर फॉर्म के जमा कराने और डिजिटलाइज का काम जारी है। अभी तक इनमें से 10.33 लाख फॉर्म ऐसे रहे जिन्हें वापस जमा नहीं कराया गया है। यह रियल-टाइम डेटा है।” उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में अब तक 7.64 करोड़ एसआईआर फॉर्म बांटे जा चुके हैं। जमा कराने वाले फॉर्म के बारे में विस्तार से बताते हुए सीईओ ने कहा कि अभी के लिए, ‘जमा नहीं कराए गए’ फॉर्म बांटे गए कुल फ़ॉर्म का महज 1.35 फीसदी है। अग्रवाल ने वोटर रोल के SIR प्रक्रिया में लगे बूथ-लेवल ऑफिसर (BLO) की भूमिका की भी तारीफ की और कहा कि वे इस काम के असली हीरो हैं।

80,600 बीएलओ लगाए, कनेक्टिविटी के लिए Wi-fi हब बनाए

उन्होंने कहा कि कई बूथ-लेवल ऑफिसर ऐसे भी हैं जो वोटर्स तक पहुंचने और फॉर्मैलिटी पूरी करने के लिए ऑफिस टाइम के बाद भी लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “बूथ-लेवल ऑफिसर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। SIR प्रक्रिया के असली हीरो यही लोग हैं। यह प्रक्रिया 4 नवंबर को शुरू की गई थी और महज 20 दिनों के अंदर, वे 7 करोड़ से ज्यादा वोटर्स तक पहुंच गए, जो कोई आसान काम नहीं है।” राज्य में SIR के लिए 80,600 से अधिक बीएलओ, के साथ-साथ 8,000 सुपरवाइजर, 3,000 असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर और 294 इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स को लगाया गया है। इस प्रक्रिया के दौरान बीएलओ को आसानी से कनेक्टिविटी के लिए Wi-fi हब बनाए गए हैं। उनका कहना है कि BLO को डेटा एंट्री में मदद करने के लिए DM, ERO और BDO ऑफिस में हेल्प डेस्क भी हैं, जहां कहीं भी इंटरनेट की दिक्कतें हैं, वहां अलग से Wi-fi हब हैं।”

पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में फर्जी नाम 1.04 करोड़ से ज्यादा- रिपोर्ट

मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर देशभर में सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी का आरोप है कि यह महज लापरवाही नहीं, बल्कि विपक्षी दलों की सुनियोजित साजिश है, जिसका मकसद लोकतंत्र को कमजोर करना है। बिहार में चुनावी साल के बीच पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है, जहां ममता बनर्जी की सरकार पर फर्जी वोटरों के सहारे चुनाव परिणाम प्रभावित करने का आरोप लगाया जा रहा है। बीजेपी का कहना है कि बंगाल में फ्री एंड फेयर चुनाव तभी संभव है, जबकि एसआईआर पूरी तरह से सुनिश्चित हो। एक स्टडी रिपोर्ट ने बीजेपी के इन आरोपों को और बल दिया है। रिपोर्ट में सामने आए तथ्य के आधार पर चुनाव आयोग से तुरंत सख्त कार्रवाई की मांग हो सकती है। अगस्त 2025 में आई इस स्टडी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल की 2024 की वोटर लिस्ट में करीब 1.04 करोड़ फर्जी नाम दर्ज हैं। यह कुल वोटरों का लगभग 13.7% हिस्सा है। रिपोर्ट में सामने आया है कि 2004 में 4.74 करोड़ वोटर थे, 2024 तक 6.57 करोड़ (जनसंख्या, उम्र,मौत और नए 18 साल के वोटरों को जोड़कर) होने चाहिए थे। इस रिपोर्ट को एस पी जैन, इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, मुंबई के विधु शेखर और आईआईएम विशाखापट्टनम के मिलन कुमार ने तैयार किया। इस स्टडी में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें बहुत से मृत लोगों के नाम अब भी वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। कई नाबालिग और राज्य छोड़ चुके लोग भी वोटर के तौर पर मौजूद हैं। कुछ जिलों में तो वोटरों की संख्या वहां की वास्तविक आबादी से भी ज्यादा पाई गई।

ममता बनर्जी सरकार में एसआईआर का पहले दिन से अनर्गल विरोध

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने एसआईआर की शुरुआत के पहले दिन से विरोध शुरू कर दिया है। राज्य में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटरों को बचाने के लिए अभी से सारी हदें पार की जा रही है। प्रदेश के बीएलओ यूनाइटेड फोरम का कहना है कि राजनीतिक संरक्षण वाले अपराधी तत्व बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) को धमका रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि यदि ममता के मुताबिक राज्य में कोई बोगस वोटर नहीं है, तो उन्हें एसआईआर से एतराज क्यों है? भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पश्चिम बंगाल यूनिट ने राज्य के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर (सीईओ) को एक चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कूचबिहार ज़िला अध्यक्ष गिरिंद्रनाथ बर्मन ने एक बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को सरेआम धमकी दी। चिट्ठी में तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया गया है कि वह वोटर लिस्ट से “भूतों, घुसपैठियों और फर्जी वोटर्स” के नामों को हटाने का विरोध कर रही है। एसआईआर की शुरुआत के दिन ही पश्चिम बंगाल में सियासी गर्मी बढ़ गई!

टीएमसी के इशारे पर गुंडा तत्व बीएलओ को धमकाने में लगे

पश्चिम बंगाल बंगाल समेत देश के 12 राज्यों में चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के लिए शनिवार को BLO का ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू कर दिया है। राजस्थान समेत कई राज्यों में बीएलओ को ट्रेनिंग दी गई। लेकिन पश्चिम बंगाल में इस दौरान कई BLO ने प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्थाओं का विरोध किया। दरअसल, इसके पीछे वहां की तृणमूल सरकार ही है, जो एसआईआर का विरोध कर रही है। इसलिए पार्टी के इशारे पर गुंडा तत्व बीएलओज को धमकाने में लगे हैं। बीएलओ ने उचित दस्तावेज और सुरक्षा देने की मांग की है। BLO का कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान उनके स्कूलों में उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है और BLO के रूप में उनकी ड्यूटी को ऑन ड्यूटी नहीं माना जा रहा है।
भाजपा ने ममता बनर्जी के मार्च को जमात की रैली बताया
पश्चिम बंगाल में मंगलवार को CM ममता बनर्जी ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR के खिलाफ कोलकाता में विरोध मार्च निकाला। 3.8 km लंबी रैली में उनके साथ पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी और बड़ी संख्या में पार्टी वर्कर्स मौजूद रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जैसे हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं, वैसे ही हर बांग्लाभाषी बांग्लादेशी नहीं होता। इधर पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता के मार्च को जमात की रैली बताया। उन्होंने कहा- यह भारतीय संविधान की नैतिकता के खिलाफ है। वहीं, बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा- ममता जी को अगर कुछ कहना है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।

No comments: