आतंकवाद वह समस्या है जो सुप्रीम कोर्ट और इसकी पैरवी करने वाले वकीलों की वजह से ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही। क्या किसी निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी ने आतंकवादियों की पैरवी करने वाले वकीलों से पूछा कि तुम्ही क्यों किसी भ्रष्टाचारी या आतंकवादी की पैरवी तुम्ही क्यों करते हो? कोई नहीं पूछेगा, उसका कारण है कि ये जो वकील मोटी फीस लेते हैं, कहते हैं कि उसका कुछ हिस्सा बंटने में जाता है। क्योकि इन वकीलों की सेटिंग होने की वजह से बहुत बड़ा वकील कहा जाता है। इस कड़वी सच्चाई को केंद्र सरकार और मुख्य न्यायाधीश को समझ हल निकालना चाहिए। वरना कुकुरमुत्ते की तरह आतंकवादी पैदा होते ही रहेंगे। जनजागरण को ध्यान में रखते हुए शंका है कि जनता आतंकवादियों की पैरवी करने वकीलों और इनकी दलीलों को तर्जी देने वाले जजों का सामाजिक बहिष्कार करने की चर्चा करने लगे हैं।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम की जमानत का विरोध करते हुए उसके सारे काले कारनामे उजागर करते हुए कहा (ये मैं एक मीडिया चैनल द्वारा रिपोर्ट के आधार पर लिख रहा हूँ):-
“दिल्ली पुलिस ने सबूत के तौर पर कोर्ट में इन वीडियो को प्ले किया। इन वीडियो की शुरुआत 16 जनवरी 2020 के एक क्लिप से होती है, जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का है। इसमें शरजील इमाम एक समूह को संबोधित करते हुए दिखाई देते हैं और कथित तौर पर कहते हुए सुनाई देते हैं, ‘अगर हम पांच लाख लोगों को इकट्ठा कर लें तो हम भारत और उत्तर-पूर्व को स्थायी रूप से काट सकते हैं। अगर स्थायी रूप से नहीं, तो कम से कम एक महीने के लिए ही सही।'"
शरजील ने मेनलैंड इंडिया से पूर्वोत्तर को जोड़ने वाले चिकन-नेक की बात करते हुए कहा कि ‘पटरियों पर इतना मलबा फैला दो कि उसे साफ करने में कम से कम एक महीना लग जाए। एयरफोर्स से होकर जाना पड़े। असम को काट देना हमारी जिम्मेदारी हैं यहां से सारी सप्लाई रोक दो। हम इसे रोक सकते हैं, क्योंकि चिकन नेक मुसलमानों का है”
इन वीडियो में शरजील को आर्टिकल 370, ट्रिपल तलाक, अयोध्या मंदिर, CAA और NRC की बात करते हुए कहा कि हमला मुसलमानों पर है। आप जानते हैं कि अदालत ने बाबरी और कश्मीर के बारे में क्या किया, सबसे अच्छी बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिल्ली पहुंचने में में पांच मिनट लगते हैं।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, शरजील ने भीड़ को उकसाने के लिए उस समय की परिस्थितियों का फायदा उठाया, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान दिल्ली की राजकीय यात्रा पर थे।
सुप्रीम कोर्ट ED को मनी लांड्रिंग के मामलों में अभियुक्तों के वकीलों को समन जारी करने पर रोक लगाता है और एक तरह यह उन वकीलों को वैसा ही संरक्षण देने की कोशिश है जैसा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को मिला हुआ है। क्या वकील अपने Clients के साथ अपराध में लिप्त नहीं हो सकते जैसे यशवंत वर्मा जैसे हाई कोर्ट के जज हो सकते हैं? आतंकियों के वकीलों में आतंक की जड़ें हो सकती है वह भी तब जब ये आतंकी मुस्लिम होते हैं।
उत्तर प्रदेश के कासगंज के चंदन गुप्ता की 26 जनवरी, 2018 को की गई दीनी समुदाय के 28 लोगों को निर्मम हत्या के आरोप में 3 जनवरी, 2025 को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए NIA कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने गृह मंत्रालय और बार कौंसिल को इन NGOs की जांच करने के लिए कहा था जो ऐसे अपराधियों को बचाने सामने आकर महंगे वकील उपलब्ध करा देते हैं -
-सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस, मुंबई;
-पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, दिल्ली;
-रिहाई मंच;
-एलायंस फॉर जस्टिस एंड एकाउंटेबिलिटी;
-इंडियन अमेरिकन मुस्लिम कौंसिल, वाशिंगटन;
-साउथ एशियन सॉलिडेरिटी ग्रुप, लंदन; और
-जमीयत उलेमा-ए-हिंद
इस जांच में कपिल सिब्बल, सिंघवी और अन्य वकीलों को भी शामिल किया जाए जो हर केस में आतंकियों के साथ खड़े होते हैं। जस्टिस त्रिपाठी ने ये भी मांग की थी कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की फीस और उनकी संपत्ति का विवरण पब्लिक डोमेन में प्रकाशित होना चाहिए।

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