मौलवी ओसामा (फोटो साभार: दैनिक भास्कर)
भारत में जो कहते हैं कि सरकार आतंकियों का मजहब देख कार्यवाही कर रही है। अब कोई उनसे पूछे कि जब पकडे ही एक ही मजहब से जा रहे हैं क्या अपनी आँखों पर पट्टी बांध ले? बेशर्मी से कहते है कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। अगर आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता सरकार को कहे कि आतंकवादियों को दफ़नाने की बजाए पंच तत्वों में विलीन करना चाहिए। आखिर अपनी कुर्सी की खातिर क्यों देश की शांति को भंग किया जा रहा है? अगर इन मुस्लिम कट्टरपंथियों और आतंकवाद समर्थकों पर केंद्र सरकार कब कार्यवाही करेगी? देश से आतंकवाद को समाप्त करने के लिए आतंकवादियों के साथ-साथ आतंकवाद को समर्थन देने वालों को भी आतंकवाद के भागीदार मान गिरफ्तार कर जेलों में डालना ही नहीं इनके बैंक अकाउंट भी फ्रीज़ करने होंगे। ये भी नेता का चोला ओढे किसी स्लीपर सेल से कम नहीं।
चौव्वन वर्ष पूर्व (1958) महान राष्ट्रभक्त कवि प्रदीप ने साफ शब्दों में सीधी चेतावनी देते हुए इस अमर गीत की रचना की थी। जो तत्कालीन नेहरु सरकार को यह चेतावनी रास नहीं आयी थी, अतः गीत पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 1965 में पाक के नापाक हमले से आँखें खुली तो गीत से भी प्रतिबन्ध हटा था। सुनिए और सोचिये की आज भी कितना प्रासंगिक है
राजस्थान के जालोर से गिरफ्तार किया गया मौलवी ओसामा उमर आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए स्लीपर सेल तैयार कर चुका था। आतंकी ने कई युवाओं को जिहाद की ट्रेनिंग दी थी। पुलिस ने उमर के डिलीट किए गए मोबाइल व सोशल मीडिया अकाउंट से 3 लाख फोटो रिकवर किए हैं।
‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट को मुताबिक, मौलवी ने पकड़ने जाने से पहले अपने फोन का सारा डेटा डिलीट कर दिया था। जिसे एफएसएल की टीम ने रिकवर किया गया है। टीम द्वारा रिकवर किए गए 3 लाख से अधिक फोटो मजहबी कट्टरता को बढ़ाने वाले थे। मोबाइल की FSL रिपोर्ट से पता चला है कि करीब 4 वर्षों से ओसामा आतंकी संगठन के टच में था।
सैफुल्लाह से प्रभावित मौलवी जाने वाला था अफगानिस्तान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकी मौलवी लश्कर के आतंकी सैफुल्लाह के वीडियो देखता था और उससे प्रभावित था। वह सैफुल्लाह के कुछ रिश्तेदारों के संपर्क में भी था और लोगों का ब्रेनवॉश करने से उनसे वॉयस मेसेज के जरिए लोगों की बात भी करवाता था।
बीते 4 नवंबर को ओसामा को पकड़ा गया और पूछताछ में पता चला कि वह 8 नवंबर को दुबई जाने की तैयारी में था और वहाँ से उसे अफगानिस्तान जाना था। इसके बाद उसे टीटीपी के जिहादी कैंप में आतंकवाद की ट्रेनिंग लेनी थी। आतंकी ट्रेनिंग के बाद जब वह भारत लौटता तो यहाँ आकर उसने अपने स्लिपर सेल को एक्टिवेट करने का प्लान बनाया था। ओसामा के कब्जे से अफगानिस्तान की एक सिम भी मिली है और जाँच एजेंसियाँ पता लगा रही हैं कि उसके पास तक सिम कैसे पहुँची थी।
सैफुल्लाह के कई रिश्तेदार जो अभी लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडरों में हैं, उनसे भी ओसामा टच में था। जिन लोगों को ब्रेनवॉश करना होता था, उनकी उनसे वॉयस मैसेज के जरिए बात करवाता था। ATS ने चारों को डीरेडिकलाइज टीम के पास भेजा है। यह टीम कट्टर सोच से बाहर निकलने में मदद करती है। इसमें मौजूद लोग कट्टरपंथी की काउंसलिंग करते हैं।
No comments:
Post a Comment