BBC ने वामपंथी नैरेटिव गढ़ने के लिए ट्रंप के भाषण से की छेड़छाड़, 5 साल बाद करतूत खुली: हरकत देख उठी लाइसेंस रद्द की माँग

    BBC ने संपादित वीडियो में डोनाल्ड ट्रंप के भाषण को तोड़-मरोड़कर पेश किया (साभार: BBC/ The Telegraph)
ब्रिटिश मीडिया संस्थान BBC News अब आए दिन सवालों के घेरे में रहता है। कारण है उसका अपना नैरेटिव, जिसे आगे बढ़ाने के लिए मीडिया संस्थान तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर भ्रमित कंटेन्ट लोगों तक पहुँचाने को भी तैयार है। ऐसा ही कुछ हाल ही में BBC ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के साथ किया है, जिसे वॉशिंगटन डीसी के कैपिटल हिल्स में दंगा भड़काने को उकसाते हुए पेश किया गया।

पहली नजर में BBC के पैनोरामा प्रोग्राम के इस संपादित वीडियो को देखने में लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के कैपिटल हिल्स में भड़काऊ भाषण दे रहे हैं, जिसमें वह कहते हैं, “हम कैपिटल हिल्स तक चलेंगे और मैं वहाँ तुम्हारे साथ रहूँगा। और हम लड़ेंगे, हम जी-जान से लड़ेंगे।” BBC के संपादित वीडियो में ट्रंप के भाषण को तोड़-मरोड़ कर दिखाया, जो दर्शकों को गुमराह कराने का मकसद है। जबकि वीडियो की असलियत कुछ और है।

BBC के एडिटेड वीडियो कैसे हुए खुलासा?

खुद को निष्पक्ष बताने वाले BBC ने अपने संपादित वीडियो दिखाकर कैपिटल हिल्स में हुए दंगो की एकतरफा सच्चाई दिखाने की कोशिश की है। असलियत में यह वीडियो को BBC ने अपने नैरेटिव के मुताबिक एडिट किया है, जिसका सच अब दुनिया के सामने है। इसका खुलासा BBC में कथित पक्षपात पर 19 पन्नों के डोजियर में हुआ है, जिसे अक्टूबर 2025 में BBC के संपादकीय गाइडलाइंस एवं मानक समिति के पूर्व एक्सटर्नल एडवाइजर माइकल प्रेस्कॉट ने लिखा था। हाल ही में नवंबर 2025 में इस डोजियर को BBC बोर्ड को सबमिट किया गया है।
इस डोजियर में कहा गया है कि BBC के पैनोरामा प्रोग्राम में अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसी बातें कहलवाई गईं जो उन्होंने वास्तव में कभी नहीं कहीं। इसमें ट्रंप के भाषण की शुरुआत के फुटेज को उनके द्वारा लगभग एक घंटे बाद कही गई बातों के साथ जोड़ दिया गया है। डोजियर में कहा गया कि BBC के वरिष्ठ अधिकारियों और अध्यक्ष ने संस्था के अपने मानक निगरानी अधिकारी (Watchdog) द्वारा उठाई गई कई गंभीर शिकायतों को नजरअंदाज कर इसे खारिज कर दिया।

BBC के एडिटेड वीडियो पर अमेरिका से निकालने की धमकी?

अब दुनिया के सामने सच आने के बाद BBC की खूब आलोचना हुई। जिस निष्पक्षता का नैरिटिव बनाकर मीडिया संस्थान ने एडिटेड वीडियो चलाया, अब उसपर पक्षपात के आरोप लगे। यहाँ तक कि BBC को ‘फर्जी खबरें’ फैलाने वाला मीडिया संस्थान बताते हुए अमेरिका से बाहर निकालने की भी माँगे उठीं।
खुद अमेरिकी राष्ट्रपति के बड़े बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने भी BBC के एडिटेड वीडियो के जरिए फर्जी सूचना फैलाने पर गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “ब्रिटेन में फर्जी समाचार ‘रिपोर्टर’ उतने ही बेईमान और बकवास से भरे हुए हैं, जितने यहाँ अमेरिका में हैं!!”
अमेरिका के कई मीडिया संस्थान ने भी BBC के एडिटेड वीडियो पर सवाल खड़े किए। यहाँ तक कि BBC को अमेरिका में रद्द करने की भी माँगे उठीं। अमरिकी मीडिया संस्थान GB News से जुड़े लियो हैरिस ने इसे ‘पागलपन’ कहते हुए लिखा, “BBC के ट्रंप-विरोधी वामपंथियों ने अमेरिकी चुनाव से एक हफ्ते पहले यह कार्यक्रम प्रसारित किया। लाइसेंस शुल्क रद्द करो।”
कोलिन वॉल्टर्स नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, “मैं राष्ट्रपति ट्रंप से आग्रह करता हूँ कि वे BBC को अमेरिका से बाहर निकाल दें और उन पर मुकदमा चलाएँ।”

क्या है BBC के एडिटेड वीडियो की असलियत?

BBC की यह वीडियो मीडिया संस्थान के पक्षपात नैरेटिव को दर्शाता है। कैपिटल हिल्स पर ट्रंप के भाषण को तोड़-मरोड़कर पेश करने से BBC ने अपने नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। जबकि वीडियो की असलित कुछ और है। इस एडिटेड वीडियो की The Telegraph ने BBC के ही मुखबिर के हवाले से सबसे पहले पोल खोली है।

 The Telegraph के अनुसार, BBC ने वीडियो में जो ट्रंप का भाषण दिखाया है, वह साल 2021 में हुए अमेरिकी चुनावों का है। BBC के एडिटेड वीडियो के नजरिए से देखें तो डोनाल्ड ट्रंप का कैपिटल हिल्स में हुए दंगों को भड़काने में हाथ है। जबकि असलियत में यह वीडियो ट्रंप के भाषण के दो हिस्सा का जुड़ाव है।

भाषण में डोनाल्ड ट्रंप पहले कहते हैं, “हम कैपिटल हिल्स तक चलेंगे और मैं वहाँ तुम्हारे साथ रहूँगा।” इसी भाषण में 54 मिनट बाद ट्रंप ने कहा, “और हम लड़ेंगे, हम जी-जान से लड़ेंगे।” एक ही समय पर दिए गए ट्रंप के इस भाषण के बीच के अंतराल को जोड़ दिया गया है, जिससे इस बयान को भडकाऊ का रूप दे दिया गया है।

असल में ट्रंप ने कहा था, “हम कैपिटल तक पैदल चलेंगे। और हम अपने बहादुर सीनेटरों, कॉन्ग्रेसियों और महिलाओं का उत्साहवर्धन करेंगे।” The Telegraph अपनी रिपोर्ट में लिखता है, “अमेरिकी चुनाव से एक सप्ताह पहले प्रसारित पैनोरमा कार्यक्रम में दर्शकों को ‘पूरी तरह से गुमराह’ किया गया।”

करतूत पर BBC ने क्या दी प्रतिक्रिया?

दुनिया के सामने BBC के एडिटेड वीडियो का सच उजागर होने के बाद मीडिया संस्थान ने प्रतिक्रिया दी। काफी हल्के शब्दों में संस्थान के बोर्ड सदस्यों ने मामले पर जाँच करने की बात कही। इस संबंध ने BBC ने एक लंबे-चौड़े आर्टकल में एडिटेड वीडियो की हिस्ट्री से लेकर जियोग्राफी तक बता दी। लेकिन न तो माफी माँगी और न ही वीडियो को डिलीट करने जैसे कोई आदेश दिए।

रिपोर्ट में BBC का एक प्रवक्ता कहता है, “हम लीक हुए दस्तावेजों पर टिप्पणी नहीं करते लेकिन जब BBC को फीडबैक मिलता है तो वह उसे गंभीरता से लेता है और उस पर सावधानीपूर्वक विचार करता है।” यहाँ BBC के पक्षपात वाले 19 पन्नों के डोजियर की बात की जा रही है, जिसके लीक होने से BBC के ‘फर्जीवाड़े’ का खुलासा हुआ।

BBC का ‘एथिकल जर्नलिज्म’ की आड़ में पक्षपात

इस घटना से BBC ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ‘फेक न्यूज़’ फैलाने में उसकी कोई बराबरी नहीं। जो संस्था खुद को निष्पक्ष और विश्वसनीय बताने का दावा करती है, वही अपने एजेंडे के लिए सच्चाई को मरोड़ने से भी नहीं हिचकती। ट्रंप के भाषण को इस तरह तोड़-मरोड़कर पेश करना सिर्फ एक ‘एडिटिंग मिस्टेक’ नहीं बल्कि एक सुनियोजित नैरेटिव का हिस्सा है।

माइकल प्रेस्कॉट के 19 पन्नों वाले डोजियर ने BBC की पोल खोलकर रख दी है। BBC की ‘एथिकल जर्नलिज़्म’ की आड़ में पक्षपात, झूठ और प्रोपेगेंडा का जो जाल बुना गया है, वह अब दुनिया के सामने उजागर हो चुका है। लेकिन सबसे शर्मनाक बात यह है कि BBC ने न तो माफी माँगी, न ही किसी जिम्मेदारी का एहसास दिखाया। उल्टा ‘हम फीडबैक को गंभीरता से लेते हैं’ जैसी रटी-रटाई लाइन बोलकर खुद को बचाने की कोशिश की।

साफ है कि BBC अब पत्रकारिता नहीं, एजेंडा चलाने वाली संस्था बन चुकी है। जो दूसरों को फेक न्यूज फैलाने का पाठ पढ़ाती थी। आज वही अपने झूठ में बुरी तरह फँस गई है। जनता अब समझ चुकी है, ‘BBC के लिए अब एजेंडा ही असली धर्म है।’

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