जब चीफ जस्टिस ने “जूता” फेंकने वाले वाले वकील राकेश किशोर को माफ़ कर दिया तो फिर सुनवाई का क्या मतलब है? और अजीत भारती को सुप्रीम कोर्ट में कोई जानता ही नहीं

सुभाष चन्द्र

भगवान विष्णु का मज़ाक उड़ाने वाले बौद्ध चीफ जस्टिस के आचरण के आहत 71 वर्षीय दलित वकील राकेश किशोर पर बार कौंसिल और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने गोली की रफ़्तार से कार्रवाई की। SCBA की शिकायत पर अटॉर्नी जनरल ने किशोर पर Contempt of Court का केस चलाने की अनुमति भी दे दी और 27 अक्टूबर को जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुनवाई भी शुरू कर दी

मजे की बात है अंग्रेजी के अख़बारों में “जूता” शब्द का प्रयोग न करके राकेश किशोर द्वारा “hurling an object” प्रयोग किया गया है जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या की पीठ ने कहा कि इस विषय की भर्तसना करके “natural death ख़त्म हो जाने देना चाहिए क्योंकि वैसे भी किशोर has no stake in justice administration और इसे बढ़ाने से मीडिया को commercialise करने का मौका मिलेगा  SCBA however insisted that the judicial institution should not risk becoming a “joke” by letting him go without any repercussions. 

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चर्चित YouTuber 

दोनों जजों ने माना कि वकील किशोर का कार्य Contempt of Court लेकिन in his “glorious magnanimity” the Chief Justice Gavai has pardoned him. जस्टिस कांत ने कहा कि मीडिया पूरी तरह commercial game खेल रहा है किशोर पर फोकस करके लेकिन जैसे ही उसकी तरफ ध्यान देना बंद हो जाएगा, मीडिया भी चुप हो जाएगा “we are thick skinned people” कह कर एक हफ्ते के लिए केस स्थगित कर दिया

माफ़ी देना का ढोंग करके बड़े धर्मात्मा बन रहे हैं चीफ जस्टिस और सूर्यकांत जी केस को अपनी मौत मरने देना चाहते हैं तो दूसरी तरफ SCBA इसे ख़त्म करके सुप्रीम कोर्ट को मज़ाक का पात्र नहीं बनाने पर जोर दे रहा है मामले में माफ़ी देनी है मीलॉर्ड को तो BCI और SCBA की कार्रवाई भी बंद होनी चाहिए जिसकी वजह से किशोर की प्रैक्टिस ही बंद हो गई

सच में judges मोटी चमड़े के लोग हैं जो सुप्रीम कोर्ट तो उस दिन मजाक खुद उस दिन बन गया था जब प्रशांत भूषण पर Contempt of Court साबित होने पर मात्र एक रुपए का जुर्माना लगाया था करोड़ों रुपए की कमाई करने वाले जस्टिस यशवंत वर्मा को बचा कर भी सुप्रीम कोर्ट मज़ाक का पात्र बना जिसका उल्लेख संविधान में नहीं है, उस कॉलेजियम को देश पर थोप कर गैर संवैधानिक और गैर कानूनी काम करके भी तो सुप्रीम कोर्ट ने देश के साथ मजाक ही किया है हर चीफ जस्टिस को पता होता है कौन जज कितना कमा रहा है

राकेश किशोर के केस को चाहते हैं अपनी मौत मर जाए लेकिन अजीत भर्ती पर तो 3 साल से मुकदमा शुरू भी नहीं किया, जबकि सुप्रीम कोर्ट के हर चपरासी को भी नहीं पता होगा कि अजीत भारती कौन है? 

मैंने 25 सितंबर, 2023 को एक RTI में सुप्रीम कोर्ट से 11 प्रश्न पूछे थे एक प्रश्न अजीत भारती के बारे में भी था जिसके जवाब से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट कितने बड़े मूर्खों की जमात है

प्रश्न और सुप्रीम कोर्ट के CPIO के जवाब ये थे -

Question No 2

On 14th September, 2022, the Attorney General had approved to initiate contempt of court proceedings against the YouTuber Ajeet Bharti and subsequently another permission was also granted by the AG in this regard.

Kindly inform me of the action taken in the matter.

Answer by SC ➖

No case could be identified with the database available as per details furnished by you. Hence, the particulars of the case mentioned by you in your application are insufficient. Without full particulars of the matter i.e case no, type of case (whether SLP, Appeal or Writ Petition etc), court number, court item number, cause title, date of judgement etc., it is not possible to trace the matter. You are therefore required to furnish the same to enable the CPIO, Supreme Court of India to process your application under the Right to Information Act 2005.

(Himani Sarad)

इसका मतलब यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने अजीत भारती को पहचानने से ही इंकार कर दिया जबकि रिकॉर्ड से पता कर सकते थे कि क्या अटॉर्नी जनरल ने उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की कोई अनुमति दी है

सुप्रीम कोर्ट की समस्या यह है कि यदि अजीत भारती या राकेश किशोर को केस में  summon करते हैं तो वे पीठ में बैठे जजों से असहज सवाल पूछ सकते हैं जिनका जवाब उनके पास न हो लेकिन इतना तो पक्का है कि फैसला तो एक तरफ़ा होगा जैसा सुप्रीम कोर्ट चाहता है

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