संजौली मस्जिद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ( साभार- aajtak)
इतिहास गवाह है कि कांग्रेस अपनी कुर्सी की खातिर मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक विवादों को खड़ा कर "गंगा जमुनी तहजीब" जैसे गुमराह करने वाले नारों से जनता को पागल बनाती रही है। वैसे इन विवादों में अदालतें भी पीछे नहीं। आखिर अयोध्या में राममन्दिर बनने में इतने साल क्यों लगे? कहते हैं एक डॉक्यूमेंट जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुवाद करवाना था योगी सरकार से पहले सारी सरकारें तारीख पे तारीख लेती रही और हमारी अदालतें भी आंखें बंद कर तारीख पे तारीख देती रही। लेकिन 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार को उस डॉक्यूमेंट को अनुवाद करवा कोर्ट में दाखिल कर मुक़दमे में तेजी दिलवाई। अदालत को चाहिए था डॉक्यूमेंट के अनुवाद में देरी होने पर बाबरी के पक्षधर वकीलों और पार्टियों पर हर्ज़ाना क्यों नहीं लगाया? क्यों नहीं खुदाई में मिले मन्दिर के अवशेषों को छुपा के लिए नहीं दण्डित किया? अगर तत्कालीन पुरातत्व विभाग निदेशक के के मौहम्मद ने सेवानिर्वित होने पर लिखी पुस्तक में कांग्रेस और वामपंथियों के महापाप का रहस्योघाटन नहीं किया होता जनता भी बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल को साम्प्रदायिक मान रही थी। मौहम्मद ने अपनी पुस्तक में साफ लिखा कि मन्दिर कभी का बन गया होता अगर कोर्ट में खुदाई में मिले सारे सबूत पेश कर दिए होते।
शिमला का संजौली सुर्खियों में हैं। वजह है एक पाँच मंजिला मस्जिद। इसका इतिहास करीब 30 साल पुराना है। अपने अस्तित्व में आने के साथ ही ये विवादित हो गया, क्योंकि ये अवैध तरीके से बनाया गया। यहाँ आसपास हिन्दू आबादी है। इनके बीच बहुमंजिला मस्जिद और यहाँ आने वाले बाहरी मुस्लिम, जो नमाज अदा करने के लिए खास तौर पर यहाँ आते हैं।
यहाँ की पूरी आबादी हिन्दू है। राजनीतिक लाभ के लिए कांग्रेस ने मस्जिद निर्माण को नजरअंदाज किया। पहले एक कमरा बनाया गया, फिर दूसरा बना और फिर धीरे-धीरे पाँच मंजिला मस्जिद तैयार हो गया। नगर निगम के कागजों में ये अवैध रहा। सरकारी आदेशों में उसे तोड़ने का फरमान जारी हुआ, लेकिन जैसे ही तोड़ने की बात आती है, आदेश पर स्टे लग जाता है।
शिमला और संजौली की हिन्दू आबादी स्टे और दूसरी कानून प्रक्रिया से परेशान हो चुकी है। हिन्दू संघर्ष समिति अब मस्जिद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। समिति ने मस्जिद की बिजली पानी काट कर सील करने की माँग रखी थी। इसमें बिजली-पानी काटने की बात माँगी गई है। नगर निगम की ओर से कहा गया है कि बिजली-पानी काट दिया जाएगा । लेकिन अब तक उस पर अमल नहीं हुआ है।
विरोध प्रदर्शन कर रहे हिन्दू संगठनों का मंच संजौली पुलिस स्टेशन के पास में है। दिन तो धूप के साथ खुशनुमा रहता है, लेकिन रात में तापमान 3 से 4 डिग्री तक पहुँच जाता है। इसके बावजूद लोग टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं। हिमाचल की कांग्रेस सरकार और लोकल प्रशासन के रवैये से लोग खासे नाराज हैं।
ऑपइंडिया ने विरोध प्रदर्शन कर रहे हिन्दू समाज के लोगों से खास बातचीत की और उनकी समस्याओं को जाना। समिति से जुड़े कमल गौतम के मुताबिक, ये मामला दुनिया के सामने तब आया, जब 30 अगस्त 2024 को एक स्थानीय युवक के साथ 5-6 प्रवासी मुस्लिमों के समूह ने मारपीट की और सिर फोड़ दिया। आरोपित को मस्जिद ने पनाह दिया। इसी मस्जिद से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।
हिन्दुओं के सब्र का बाँध टूट गया। हमेशा शांत रहने वाला पहाड़ इन दिनों बाहरी मुस्लिम आबादी के बढ़ते अपराध से त्रस्त हो गया है। अवैध मस्जिद इन अपराधियों के छिपने का ठिकाना बन गयी है।
डेमोग्राफी बदलने की साजिश
ऑपइंडिया ने जब स्थानीय व्यक्ति और विरोध प्रदर्शन में बढ़चढ़ कर भाग लेने वाले विजय शर्मा से बात की। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। उनकी गतिविधियाँ संदिग्ध नजर आती है। हर दिन नए नए चेहरे देखने को मिल रहे हैं। हमारी माताओं बहनों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है।
विजय शर्मा के मुताबिक, पहले 3 फीसदी स्थानीय मुस्लिम थे, अब तो बढ़ गई है। बाहर से आने वाले घुसपैठिए चाहे वे अवैध बांग्लादेशी, रोहिग्या हों या दूसरे राज्यों से आए मुस्लिम भीड़। इनकी संख्या काफी तेजी से बढ़ी है।
उन्होंने कहा, “डेमोग्राफी बदल रही है पूरा साजिश के तहत। हिन्दुओं को दबाने के लिए सुनियोजित षडयंत्र हो रहा है। शिमला कोई बड़ा शहर नहीं है और संजौली तो छोटा-सा कस्बा है। शिमला से दूर संजौली जैसे छोटे इलाके में जाकर बसना कोई छोटी बात नहीं है। यहाँ पर मुस्लिम आबादी नहीं है इसलिए यहाँ धीरे धीरे भीड़ जमा होने लगी, ताकि डेमोग्राफी बदला जा सके। फल वाला भी सस्ते दाम में फल देने लगता है। अब हालात ये हो गए हैं कि स्थानीय लोगों से मारपीट शुरू हो गयी है। हमें तो भविष्य की चिंता है। आगे आने वाली पीढ़ी नमाज पढ़ने लगेगी, ऐसा मुझे लगता है।
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