जब आतंक का कोई मजहब नहीं होता दफ़नाने की बजाए क्यों नहीं जलाया जाता? फ़ारूक़ अब्दुल्ला और चिदंबरम को आतंकी मान कर कार्रवाई की जाए, ये आतंकियों को पैदा करने वाले मक्कार हैं

सुभाष चन्द्र 

दिल्ली ब्लास्ट 10 नवंबर, 2025 को पढ़े लिखे मुस्लिम डॉक्टरों ने किया जो एक आतंकी हमला था और केंद्र सरकार ने जांच करके ही उसे आतंकी हमला घोषित किया। लेकिन चिदंबरम और फ़ारूक़ अब्दुल्ला दोनों ने आतंकियों का बचाव कर दिया मेरी विचार से ये दोनों खुद आतंकी है और बिना किसी झिजक के इन्हे गिरफ्तार कर UAPA लगा कर जेल में डाल देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के जजों को बता देना चाहिए कि इतनी अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं दी जा सकती कि किसी के आतंकी बनने की जिम्मेदारी भी मोदी के ऊपर डाल दी जाए और यही किया है इन दोनों “गद्दारो” ने

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दूसरे, आतंकवादियों के टुकड़ों पर पलने वाले और उन्हें cover fire देने वालों यह भी बकवास करते सुना जाता है कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। सरकार भी इनकी बातों पर ध्यान देने की बजाए मजहब देखती है। क्यों नहीं इनकी बातों पर ध्यान देते हुए आतंकवादियों को दफ़नाने की बजाए जलाया जाना चाहिए। देखना ये सब चील-कौओं की चिल्लाते हुए मजहब बताते ही आतंकवादी मान इन्हे भी गिरफ्तार करना चाहिए। इन्ही दोगले नेताओं की वजह से देश को आतंक से निजात नहीं पा रही।    

चिदंबरम ने कहा है कि “देश को आत्मचिंतन करना चाहिए कि क्या मजबूरियां हैं जो नागरिकों, यहां तक कि शिक्षित नागरिकों को भी आतंकवाद की ओर धकेल रही हैं” अब कोई इस ढक्कन चिदंबरम से पूछे विस्फोटक के साथ पकडे जाने आतंकवादी डॉक्टर हैं कोई पंचर लगाने वाले नहीं। 

चिदंबरम इतना घटिया नेता है जो हिन्दू आतंकवाद की बात करता था और कांग्रेस राज में आए दिन आतंकी हमले होते थे लेकिन तब यह जानने की कोशिश नहीं की उसने कि लोग क्यों आतंकी  बन रहे हैं

दिल्ली पुलिस के अलावा हर राज्य की पुलिस को सडकों पर सतर्क रहने की घोषणा के साथ मोहम्मद रफ़ी के गाये इस "कहनी है एक बात हमें इस देश के पहरेदारों से संभल कर रहना घर में छिपे हुए गद्दारों से..." गीत को बजाना चाहिए, क्योकि हमारे देश में गद्दारों की कमी नहीं। यह गीत लता के गीत "ऐ मेरे वतन का लोगों..." से कहीं ज्यादा चर्चित था लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों के पैरों में सिर टेक चुके नेताओं और उनकी पार्टी ने रफ़ी के इस गीत को ठंठे बस्ते में डाल दिया। आज की युवा पीढ़ी ने शायद इस देशभक्ति गीत को सुना भी नहीं होगा। आज हालत को देखते हुए इस गीत को बजाना बहुत जरुरी है। समय का तकाजा है। 

 

हमारे देश के तो बन ही रहे हैं पाकिस्तान से आतंकी क्यों आते है, यह भी बता दे कि 26/11 क्यों हुआ था और किसने किया था? कांग्रेस राज में हजारों निर्दोष आतंकी हमलों में मारे गए और ये कांग्रेसी शिक्षा की कमी और बेरोजगारी को आतंकी बनने की वजह का रोना रोते थे और नक्सली बनने के लिए गरीबी को जिम्मेदार बताते थे 

लेकिन मोदी राज में हुए पहले आतंकी हमले पर ऐसा बेहूदा सवाल कर रहा है चिदंबरम और अब्दुल्ला जबकि ये आतंकी हमला किसी बेरोजगार और अशिक्षित ने नहीं किया बल्कि पढ़े लिखे डॉक्टरों की टीम ने किया

फ़ारूक़ अब्दुल्ला भी फूटा है और उसने भी कहा है “जिम्मेदार लोगों से पूछिए कि इन डॉक्टरों को यह रास्ता क्यों अपनाना पड़ा? क्या कारण था? इसकी जांच की जरूरत है उसने कहा कि दिल्ली ब्लास्ट के बाद कश्मीर के लोगों पर उंगली उठाई जा रही है, वह दिन कब आएगा जब वे स्वीकार करेंगे कि हम भारतीय हैं और हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं नौगांव ब्लास्ट के लिए फ़ारूक़ ने विस्फोटकों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार लोगों को दोषी बता दिया

किन जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहता है कि डॉक्टरों को आतंक का रास्ता क्यों अपनाना पड़ा इसका कारण तो अब्दुल्ला को पता है क्योंकि वही तो उन्हें आतंकी बनाने के लिए जिम्मेदार हैं फारूक ने फिर पुराना रोना रोया है कि भारत पाकिस्तान के संबंधों के सुधार से ही हालात बदल सकते हैं, और वाजपेयी जी बात को अलापा कि हम दोस्त बदल सकते हैं पड़ोसी नहीं

फारूक मियां, अटल बिहारी वाजपेयी बस लेकर पाकिस्तान गए थे और ऐसा माहौल बना दिया था जैसे पाकिस्तान के साथ दोस्ती पक्की हो गई लेकिन पाकिस्तान ने क्या दिया भारत को? उसने कारगिल पर हमला किया

फ़ारूक़ और महबूबा दोनों पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं जिनसे आतंकियों को Cover Fire मिलता है पाकिस्तान की हालत क्या है और भारत के मुसलमानों को देखना चाहिए वो यहां भारत में क्या पा रहे हैं? पाकिस्तान कंगाल है 78 साल बाद जबकि मुसलमान भारत में मौज ले रहे हैं

फारूक, महबूबा और चिदंबरम जैसे देशद्रोही नेता भारत में आतंकी बनने की कारण ढूढ़ने से पहले यह बता दें कि दुनियाभर में मुस्लिम आतंकी क्यों बन रहे हैं? हमास, जैश, अलकायदा और सभी आतंकी संगठनों को ये हमारे ढक्कन राष्ट्रद्रोही नेता “शांतिप्रिय” बता रहे हैं 

सच्चाई तो यह है कि पाकिस्तान के साथ साथ अब देश में देश के दुश्मन “आधे मोर्चे” पर स्ट्राइक करना जरूरी हो गया है एक ऑपरेशन सिंदूर अब भारत की आतंकियों पर भी करना जरूरी है

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