जहाँ गिरा माँ सती का कंधा, वहाँ हर साल अपने आप बढ़ती है भैरव बाबा की मूर्ति: 51 शक्तिपीठों में से एक ‘महामाया मंदिर’

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की धर्मनगरी रतनपुर में श्थित माँ महामाया मंदिर का मुख्य द्वार (फोटो साभार: भक्त वत्सल)
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बुधवार (12 नवंबर 2025) को रतनपुर में कलचुरी कलार समाज के वार्षिक महोत्सव में हिस्सा लिया। सबसे पहले, मुख्यमंत्री ने माँ महामाया देवी के दरबार में पूजा-अर्चना की और प्रदेश की सुख, समृद्धि और विकास के लिए आशीर्वाद माँगा।

मुख्यमंत्री साय ने माँगा छत्तीसगढ़ के लिए आशीर्वाद

सीएम विष्णुदेव साय ने इस मौके पर कहा कि माँ महामाया की कृपा से छत्तीसगढ़ तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। सीएम विष्णुदेव ने याद दिलाया कि कलचुरी राजवंश ने रतनपुर समेत देश में लगभग 1200 वर्षों तक शासन किया और उनका राज खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक था।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि माँ महामाया मंदिर के विकास के लिए ‘भारत दर्शन योजना‘ में एक प्रस्ताव भेजा गया है, जिसके बाद रतनपुर का पूरी तरह कायाकल्प हो जाएगा। उन्होंने कहा कि खनिज, वन और जल जैसे संसाधनों से भरपूर छत्तीसगढ़ को हम सब मिलकर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करेंगे।

जनता को सौगात देते हुए सीएम साय ने ऐतिहासिक नगरी रतनपुर में 100 बिस्तर वाला अस्पताल खोलने का ऐलान किया। साथ ही, उन्होंने कलचुरी समाज के सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए देने की भी घोषणा की।

माँ महामाया मंदिर: जहाँ गिरा था देवी सती का दाहिना कँधा

मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद रतनपुर का माँ महामाया देवी मंदिर देश भर में चर्चा का केंद्र बन गया है। यह मंदिर न सिर्फ प्राचीन कलचुरी राजवंश की राजधानी रहा है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी धार्मिक पहचान भी है।
यह पवित्र स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और इसे ‘कौमारी शक्तिपीठ‘ के नाम से भी जाना जाता है। सदियों से यहाँ देवी महामाया की पूजा कोसलेश्वरी देवी यानी दक्षिण कोसल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में की जाती है।
पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान शिव देवी सती के शरीर को लेकर वियोग में ब्रह्मांड में भटक रहे थे, तब इसी स्थान पर देवी सती का दाहिना स्कंध (कँधा) गिरा था, जिसके बाद यह शक्तिपीठ स्थापित हुआ।
मंदिर का निर्माण कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम ने लगभग 1050 ईस्वी में करवाया था। मंदिर की वास्तुकला 12वीं से 13वीं शताब्दी की अद्भुत कला को दर्शाती है। मंदिर मूल रूप से महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती तीनों देवियों को समर्पित था, लेकिन वर्तमान मंदिर में महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा होती है। इसी परिसर में भगवान शिव और हनुमान जी के प्राचीन मंदिर भी मौजूद हैं, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं।

भैरव बाबा का रहस्य और नवरात्रों की आस्था

यहाँ आने वाले भक्तों के लिए एक खास नियम है। वे माँ महामाया के दर्शन से पहले थोड़ी दूरी पर स्थित भैरव बाबा के मंदिर पर रुककर दर्शन करते हैं। स्थानीय लोगों के बीच यह विश्वास प्रचलित है कि भैरव बाबा की यह प्राचीन प्रतिमा की ऊँचाई हर साल अपने आप बढ़ती जा रही है, जो इसे रहस्य और आस्था का केंद्र बनाती है।

साल में दो बार आने वाले नवरात्रों के दौरान यहाँ विशेष उत्सव होता है। भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और अपनी इच्छाएँ पूरी करने के लिए अखंड मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करते हैं, क्योंकि यहाँ की मान्यता है कि सच्चे मन से माँगी गई प्रार्थना कभी खाली नहीं जाती। रतनपुर का यह पवित्र धाम आस्था, संस्कृति और गौरव का एक अनूठा संगम है।

कैसे पहुँचे माँ महामाया के पवित्र दरबार तक?

रतनपुर स्थित माँ महामाया का यह पवित्र धाम छत्तीसगढ़ की धार्मिक पहचान और गौरव का प्रतीक है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के आगमन ने भी इस पवित्र नगरी के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है। यदि आप इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं, तो यहाँ तक पहुँचना बहुत ही आसान है।

हवाई यात्रा- अगर आप हवाई जहाज से आ रहे हैं, तो रतनपुर से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रायपुर एयरपोर्ट है, जो यहाँ से लगभग 156 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से उतरने के बाद, भक्त टैक्सी या कैब किराए पर लेकर सीधे मंदिर तक पहुँच सकते हैं। यह रास्ता आरामदायक और सुगम है।

रेल यात्रा- रतनपुर का सबसे नजदीकी और प्रमुख रेलवे स्टेशन बिलासपुर जंक्शन है, जो यहाँ से सिर्फ 33 किलोमीटर की दूरी पर है। बिलासपुर जंक्शन पहुँचने के बाद, मंदिर तक जाने के लिए आपको नियमित रूप से टैक्सी और बस सेवाएँ आसानी से मिल जाएँगी।

सड़क यात्रा- सड़क मार्ग से रतनपुर की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है। छत्तीसगढ़ के सभी बड़े शहरों से रतनपुर के लिए नियमित राज्य परिवहन बसें और निजी वाहन (टैक्सी) सेवाएँ हर समय उपलब्ध रहती हैं। सड़क का सफर आरामदायक और सुविधाजनक है। यह पवित्र धाम अपनी आस्था और भव्यता के कारण दूर-दूर से भक्तों को खींच लाता है।

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