बिहार चुनाव नतीजों के लिए 12 एग्जिट पोल आये थे। किसी ने महालठबंधन की ऐसी दुर्गति नहीं बताई थी जो देखने को मिली और केवल एक “पोल डायरी” ने NDA की सीट 184-209 बताई थी जो सही साबित हुई वरना किसी एजेंसी ने ज्यादा से ज्यादा 160 से 163 सीट NDA को दी थी।
महालठबन्धन की हार के लिए तेजस्वी यादव तो है ही क्योकि तेजस्वी ने दामन उस समय छोड़ देना चाहिए था जब राहुल गाँधी बिहारियों के लिए अपमानित शब्द बोलने वालों को बिहार लेकर आए; राहुल द्वारा छठ मैया को ड्रामा कहा जिसे बिहार ने बर्दाश्त नहीं किया। बिहारी होने के नाते तेजस्वी ने छठ मैया का अपमान क्यों बर्दाश्त किया? अगर छठ मैया का राहुल द्वारा अपमान करते ही अगर तेजस्वी ने कांग्रेस को अलग कर दिया होता चुनाव परिणाम कुछ और होता और कांग्रेस उम्मीदवारों को अपनी-अपनी जमानत बचाने के लाले नहीं पड़ते बल्कि देश में होने वाले चुनावों में कांग्रेस की बिहार से ज्यादा दुर्गति होती। मोदी विरोध में तेजस्वी ने कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ कर अपना भी बेराकर्क कर लिया। लालू की भी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी। इतना सोंचना चाहिए कि राहुल तो क्या गाँधी परिवार ने क्या कभी किसी भी हिन्दू त्यौहार को मनाया? जितना हिन्दू त्यौहारों की भर्त्सना इस परिवार और परिवारभक्तों द्वारा की जाती है किसी और के द्वारा नहीं।
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इसके पहले महाराष्ट्र में उद्धव को 20 सीट मिली, कांग्रेस को 16 और शरद पवार को 10 जिससे वो किसी के साथ तोड़ फोड़ कर सरकार बनाने के काबिल नहीं रहे और उसी तरह अब बिहार में राजद और कांग्रेस को भी जनता ने इस काबिल नहीं छोड़ा कि वो नीतीश कुमार को प्रलोभन देकर अपनी सरकार बना सके। यह जनता का सोच समझ कर दिया हुआ निर्णय है।
14 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 2024 के लोकसभा के बाद हुए 6 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस भाजपा की आज मिली 90 सीटों के बराबर भी सीट नहीं जीत सकी है।
चुनाव से पहले एक लेख में मैंने लिखा था कि जनता को चाहिए कि जाति पाति को भुला कर वोट करे बिल्कुल महाकुंभ की तरह जब किसी को पता नहीं था कि साथ में स्नान करने वाला कौन है, किस जाति का है और कौन सी भाषा बोलने वाला है। इस बिहार के चुनाव में जाति की दीवारें तोड़ कर लोगों ने वोट किया और मुसलमानों के तुष्टिकरण (टुच्चागिरि) को भी ठिकाने लगा जता दिया कि राजनीति के स्तर को गिराने की भी कोई सीमा होती है। हिंदुओं को कोसने वालो को अब दिखाई दे गया होगा कि हिन्दू किस तरह एकजुट हुआ है।
कांग्रेस के शहजादे ने, उसकी बहन ने और तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी का क्या क्या अपमान नहीं किया? उनकी माताश्री के नाम पर गाली तक दी गई लेकिन किसी ने निंदा नहीं की। छठी मैया की पूजा को ड्रामा कहोगे और सोचते थे कि फिर भी जीत जायेंगे। लठबंधन की और लालू परिवार की कलह ने दीवारों पर हार साफ़ साफ़ लिख दी।
खेसारी लाल कह रहा है अब, कि इंसान पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता। बेटा तू भगवान राम पर विश्वास न करके मंदिर के खिलाफ बोलेगा और जीतने की आशा रखता है? एक बार फिर साबित हुआ राम से द्रोह करने वाले ख़ाक ही हो जाते हैं। राजद और कांग्रेस इसका उदहारण हैं।
अखिलेश और राहुल की 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में “दो लड़कों” की जोड़ी बताई गई थी जो बुरी तरह पिट गई जब सपा ने 311 सीट लड़ी और 47 जीती और उधर कांग्रेस ने 114 लड़ी लेकिन जीती 7 लेकिन बिहार के चुनाव में तो चुनाव से पहले ही तेजस्वी/राहुल (दो लड़कों) की जोड़ी” टूट गई थी और कांग्रेस को यहाँ भी 61 में से 6 ही सीट मिली।
दरअसल कांग्रेस और राहुल गांधी किसी भी दल के लिए एक पनौती बन चुके हैं क्योंकि जिसके साथ रहते हैं, उसी को डुबो देते हैं। ये देश को भी डुबो रहे हैं। अब हो सकता है कोई कांग्रेस से गठबंधन ही न करे।
बिहार के बाद अगला नंबर बंगाल है। बिहार ने ममता के लिए खतरे की घंटी बजा दी है क्योंकि मोदी जी ने MY समीकरण की नई परिभाषा दे दी है जो मुस्लिम-यादव नहीं है बल्कि “महिला और युवा” है जो हर जगह काम करेगी। हिंदू तो वहां भी एकजुट रहेगा।
एक बात और- केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी सभी 243 सीट लड़ी थी जाहिर है सब पर जमानत जब्त हुई है।

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