असम में जिहादी साहित्य बैन की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार : Grok)
असम सरकार ने राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से बचाने के लिए एक बहुत बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। सरकार ने जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB), अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT), अंसार-अल-इस्लाम/प्रो-AQIS और इनसे जुड़े सभी आतंकी संगठनों से संबंधित किसी भी तरह के कट्टरपंथी या ‘जिहादी’ साहित्य, दस्तावेज और डिजिटल सामग्री के प्रकाशन, छपाई, बिक्री, वितरण, प्रदर्शन, रखने और संग्रह करने पर पूरी तरह रोक लगा दी है।
यह प्रतिबंध केवल किताबों या पत्रिकाओं पर ही नहीं, बल्कि वेबसाइटों, सोशल मीडिया पेजों, एन्क्रिप्टेड चैनलों और ऑनलाइन ग्रुपों पर भी लागू होगा। सरकार का कहना है कि यह सामग्री भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही थी।
राज्य सरकार ने यह प्रतिबंध भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 98 के तहत लगाया है। असम पुलिस की खुफिया रिपोर्ट और हाल की जाँचों में यह साफ हुआ कि ये प्रतिबंधित संगठन अभी भी राज्य में अपनी प्रचार सामग्री फैला रहे थे, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द को बड़ा खतरा था।
अधिसूचना में असम पुलिस, CID और साइबर क्राइम यूनिट को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस आदेश का सख्ती से पालन करवाएँ और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई करें। यह कार्रवाई राज्य में बढ़ते कट्टरपंथी प्रचार पर लगाम कसने की एक बड़ी कोशिश मानी जा रही है।
प्रतिबंधित जिहादी साहित्य में क्या था? आतंकी कैसे फैला रहे थे विचारधारा?
असम सरकार ने जिन सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाया है, वे मुख्यतः हिंसक जिहाद को महिमामंडित करती थीं और सीधे तौर पर युवाओं को कट्टर बनाने की कोशिश करती थीं। सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि इन साहित्य में न सिर्फ आतंकी विचारधारा का प्रशिक्षण दिया जाता था, बल्कि भर्ती और आतंकी ऑपरेशन की ट्रेनिंग से जुड़ी गाइडेंस भी होती थी।
ये सामग्री भारत की संप्रभुता के खिलाफ खुलकर भड़काती थी और युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करती थी। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के संदेश ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आसानी से युवाओं तक पहुँच रहे थे।
कई डिजिटल चैनल, वेबसाइटें और वॉट्सऐप जैसे एन्क्रिप्टेड ग्रुप्स का इस्तेमाल कर ये समूह हिंसक भाषा और उग्र विचारधारा को वैध ठहराने की कोशिश कर रहे थे, जिससे अलग-अलग समुदायों के बीच अविश्वास और तनाव बढ़ रहा था।
सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक सीधा और तत्काल खतरा माना। यह प्रतिबंध इसलिए भी जरूरी हो गया था, क्योंकि इंटेलिजेंस रिपोर्टों में यह बात सामने आई थी कि यह डिजिटल प्रचार राज्य के सौहार्दपूर्ण वातावरण को नुकसान पहुँचा रहा था और युवाओं को गुमराह करने की कोशिशें लगातार जारी थीं।
कौन से आतंकी संगठनों का खुलासा हुआ और क्या था उनका भारत प्लान?
असम में इस प्रतिबंध के जरिए जिन तीन मुख्य आतंकी संगठनों के साहित्य और एजेंडे का खुलासा हुआ है, वे सभी बांग्लादेश में सक्रिय हैं और भारत को निशाना बनाने की फिराक में थे। ये संगठन हैं जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB), अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) और अंसार-अल-इस्लाम/प्रो-AQIS। इन सभी को केंद्र सरकार पहले ही UAPA, 1967 के तहत आतंकी संगठन घोषित कर चुकी है।
JMB का जिहादी साहित्य: क्या था इसमें और कैसे फैलाया जाता था
जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) दक्षिण एशिया के सबसे संगठित सुन्नी जिहादी नेटवर्कों में से एक माना जाता है। इसका साहित्य दो हिस्सों में बाँटा जाता है, ‘पहला वैचारिक और दूसरा ऑपरेशनल’। वैचारिक साहित्य में ‘हिंसक जिहाद को मजहबी कर्तव्य’ की तरह पेश किया जाता था। इसमें लोकतंत्र, उदारवाद और सेकुलरिज्म को ‘शैतानी व्यवस्था’ बताकर युवाओं में एक अलग पहचान और हिंसक संघर्ष का भाव पैदा किया जाता था। ऑपरेशनल सामग्री में बम बनाने से लेकर भर्ती करने की रणनीति और गुप्त सेल चलाने तक की तकनीक बताई जाती थी।
ये साहित्य कभी खुले मंचों पर नहीं मिलता था। इन्हें खास एन्क्रिप्टेड ऐप, टेलीग्राम चैनल, व्हाट्सऐप ग्रुप, और विदेशी सर्वरों पर होस्ट किए गए PDF के रूप में साझा किया जाता था। असम पुलिस की जाँच में ऐसे सैकड़ों डिजिटल दस्तावेज मिले जिनमें JMB का प्रचार था, और इन्हें मुख्यत: सीमावर्ती जिलों में फैला हुआ पाया गया।
JMB का इतिहास और भारत में उसका ‘दीर्घकालिक प्लान’
1998 में बने JMB ने खुद को शुरू से बांग्लादेश में इस्लामी शासन स्थापित करने वाले आंदोलन की तरह पेश किया। लेकिन 2005 के 63 जिलों में 459 ब्लास्ट इसकी कट्टरपंथी हिंसा की सबसे बड़ी मिसाल है। भारत में इसका मुख्य मकसद दो तरह का रहा, ‘पहला, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में जिहादी सेल बनाना और दूसरा रोहिंग्या मुद्दे को भड़का कर भावनात्मक भर्ती करना।’
JMB का योजना स्पष्ट थी। सीमा पार मौजूद असंतोष का फायदा उठाते हुए भारत में ‘वार-प्रेडिक्शन मॉडल’ तैयार करना, यानी धीरे-धीरे गुप्त सेल बनाकर भारत को भविष्य में हमलों का मैदान बनाना। JMB ने असम और पश्चिम बंगाल में कई मॉड्यूल बनाए और इन मॉड्यूलों के पास जो सामग्री मिली, उनमें भारत को ‘इस्लामी संघर्ष का अगला मैदान’ बताने वाली जरूरत से ज्यादा कट्टर और उकसाने वाली बातें शामिल थीं।
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