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क्या सोनिया गाँधी पर दर्ज होगा चोरी का मुकदमा? नेहरू के एडविना-अरुणा अली वाले पत्रों पर एक्शन लेगा PMML; UPA काल में 51 डिब्बों में भर ले गए थे दस्तावेज

                                         सोनिया गाँधी प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार - डैल-ई)
सत्ता से बाहर होते ही कांग्रेस द्वारा ऊलजलूल बोलने की वजह है। अब इनकी चोरियां सामने आने पर उनसे ध्यान भटकाने के सब ड्रामा किया जा रहा है। जिन दस्तावेजों के 
प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी से लेकर जाने का मामला तूल पकड़ने वाला है। कहते हैं ये वो दस्तावेज है जो नेहरू-एडविना की प्रेम कहानी बयां करते हैं। जिनका जिक्र जवाहर लाल नेहरू के निजी सचिव M.O.Mathai ने अपनी पुस्तक में भी किया है। मथाई के अनुसार इन्ही पत्रों की वजह से मथाई और इंदिरा के बीच प्रेम परवान चढ़ा था। इसका जिक्र उन्होंने अपनी पुस्तक के अध्याय 13 में किया है।(नीचे दिए लिंक का अवलोकन करें) दरअसल कांग्रेस ने देश को अपनी बपौती समझ रखा था। कोई पूछने की हिम्मत नहीं कर सकता था, लेकिन अब सरकार हर काम की जाँच कर कांग्रेस की चोरियां पकड़ रही है।     

कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी पर जल्द ही चोरी का मुकदमा दर्ज हो सकता है। प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कुछ निजी दस्तावेजों को वापस पाने के लिए इस एक्शन पर विचार कर रही है। ये दस्तावेज वर्ष 2008 में UPA सरकार के दौरान हटाए गए थे।

इस मामले में 23 जून, 2025 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। यह बैठक PMML सोसाइटी की थी। PMML की यह वार्षिक बैठक थी। इस बैठक में इस मुद्दे पर भी गंभीर चर्चा की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में शामिल सदस्यों के बीच सहमति बनी कि अब इस मामले को कानूनी रास्ते से सुलझाया जाना चाहिए।

PMML ट्रस्ट के सूत्रों ने बताया कि वे इन दस्तावेजों की कथित ‘चोरी’ को लेकर कानूनी जाँच पर विचार कर रहे हैं। PMML के लोगों का कहना है कि ये दस्तावेज पहले दान किए गए थे और इसलिए ये अब कानूनी रूप से संस्थान की संपत्ति हैं।

अगर यह साबित होता है कि इन दस्तावेजों को गैरकानूनी तरीके से संस्थान के कब्जे से हटाया गया था, तो सोनिया गाँधी को इस मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। मामले में गंभीर जाँच होने की संभावना है, जो सोनिया गाँधी पर शिकंजा बढ़ाएगी।

UPA काल में 51 डिब्बों में भर ले गए थे दस्तावेज

इस पूरे विवाद की जड़ पंडित जवाहरलाल नेहरू के निजी संग्रह से जुड़े उन ऐतिहासिक दस्तावेजों में है, जिनमें कई मशहूर हस्तियों के साथ उनकी पत्रों से बातचीत शामिल है। इनमें एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, विजया लक्ष्मी पंडित, बाबू जगजीवन राम और अरुणा आसफ अली जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

ये दस्तावेज 1971 से लेकर 2008 तक नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) में रखे गए थे। NMML का नाम बदल कर अब प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) हो गया है। यह पूरा विवाद वर्ष 2008 में चालू हुआ था। तब यह कागज कथित तौर प 51 बक्सों में पैक कर सोनिया गाँधी द्वारा संग्रहालय से निकाल लिए गए।

बताया गया है कि इनमें वे दस्तावेज भी शामिल थे जिन्हें पहले इंदिरा गाँधी और बाद में सोनिया गाँधी ने NMML को दान किया था, क्योंकि गाँधी परिवार उत्तराधिकारी के रूप में काम कर रहा था। PMML इससे पहले कई बार सोनिया गाँधी के कार्यालय को कई बार पत्र भेजकर उन दस्तावेजों को लौटाने की अपील कर चुका है।

गुजरात के इतिहासकार और PMML सोसाइटी के सदस्य प्रोफेसर रिजवान कादरी ने भी सितंबर 2024 में सोनिया गाँधी और फिर दिसंबर, 2024 में राहुल गाँधी को पत्र लिखे। उन्होंने निवेदन किया कि अगर दस्तावेज वापस नहीं दिए जा सकते, तो कम से कम उनकी फोटोकॉपी या डिजिटल स्कैन ही भेज दिए जाएँ।

लगातार कहने के बावजूद सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने कोई जवाब नहीं दिया है। इसके चलते यह मामला काफी गंभीर हो गया है। अब PMML इस मामले में कानूनी रास्ते तलाश रहा है और जल्द एक्शन ले सकता है।

पीएम मोदी वाली बैठक में भी हुई वापसी की माँग

प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी की 47वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) हाल ही में तीन मूर्ति भवन में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की। इसमें सोसाइटी के उपाध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए।

अन्य प्रमुख सदस्यों में भाजपा नेता स्मृति ईरानी, गीतकार प्रसून जोशी और रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अश्विनी लोहानी भी मौजूद थे। लोहानी अब PMML के निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं। बैठक में इस मुद्दे पर दोबारा चर्चा की गई। यह इससे पहल फरवरी 2024 की AGM में उठाया गया था।

PMML के सदस्यों का मानना है कि ये दस्तावेज सिर्फ परिवार की निजी संपत्ति नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय धरोहर हैं और इन्हें संस्थान के पास सुरक्षित रहना चाहिए। इस पर सभी सदस्यों की आम सहमति बनी।

फरवरी की बैठक के बाद इस मामले में कानूनी सलाह ली गई और इसी के आधार पर सोनिया गाँधी के कार्यालय को एक औपचारिक पत्र भेजा गया। इसमें पहली बार आधिकारिक तौर पर यह रिकॉर्ड में रखा गया कि दस्तावेज वापस ले लिए गए हैं और उन्हें लौटाने का अनुरोध किया गया है। हालाँकि, गाँधी परिवार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया।

अब PMML सोसाइटी के सदस्य 2014 से पहले की प्रशासनिक चूक को सुधारने की दिशा में कदम उठा रहे हैं, ताकि नेहरू से जुड़े ये ऐतिहासिक दस्तावेज दोबारा सार्वजनिक संग्रह में आ सकें।

ट्रस्ट ने बताया- दान किए कागज नहीं हो सकते वापस

प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) ट्रस्ट अब कानूनी सलाह पर विचार कर रहा है। इसके अनुसार, एक बार जो दस्तावेज दान कर दिए जाते हैं, उनको वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए ट्रस्ट का मानना है कि नेहरू गाँधी परिवार द्वारा दान किए गए दस्तावेज अब भी संग्रहालय की वैध संपत्ति हैं।

बैठक में इन कागजों के मालिकाना हक़, इनके संरक्षण, कॉपीराइट और इन ऐतिहासिक दस्तावेजों को शोधकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने से जुड़ी चिंताओं पर भी चर्चा हुई। खासतौर पर नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच हुए पत्राचार की पूरी जानकारी रखने पर जोर दिया गया।

सदस्यों ने यह भी माँग की कि जो दस्तावेज संग्रहालय से लिए गए थे, उनका फोरेंसिक ऑडिट कराया जाए ताकि यह साफ हो सके कि कहीं कोई अहम कागज गुम तो नहीं हो गया।

जनवरी 2025 में PMML की कार्यकारी परिषद का पुनर्गठन हुआ था। इसमें कई नए और प्रमुख लोगों को शामिल किया गया था। स्मृति ईरानी, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन, फिल्म निर्देशक शेखर कपूर और कलाकार वासुदेव कामथ को इसमें सदस्य बनाया गया था।

नृपेंद्र मिश्रा को परिषद का अध्यक्ष बनाए रखा गया और उन्हें 5 साल का नया कार्यकाल दिया गया। इस बैठक में सिर्फ नेहरू पेपर्स का मामला ही नहीं उठा, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर के संग्रहालयों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए दो नए सुझाव भी दिए।

उन्होंने पूरे देश में ‘म्यूजियम मैप’ बनाने और सभी संग्रहालयों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने का प्रस्ताव रखा। इसके साथ ही उन्होंने आपातकाल की 50वीं वर्षगाँठ के मौके पर उससे जुड़े सभी कानूनी दस्तावेजों और घटनाओं को इकट्ठा करने की योजना भी पेश की।

अवलोकन करें:-

बिस्तर पर किसी मर्द से कम न थी इंदिरा गांधी :--M.O MATHAI
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार जब हम पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की बात करते हैं, तो कई कांग्रेसी कहते हैं कि
 

भाजपा ने दस्तावेजों को बताया ऐतिहासिक

दिसंबर 2024 में भाजपा सांसद संबित पात्रा ने नेहरू से जुड़े दस्तावेजों के मामले पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने साफ कहा कि ये सिर्फ पारिवारिक पत्र नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय महत्व के दस्तावेज हैं। पात्रा ने यह भी कहा कि जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उन कागजों में क्या लिखा है।

यह मुद्दा पहले भी संसद में उठ चुका है, जिससे साफ होता है कि अगर सोनिया गाँधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू होती है, तो मामला और तूल पकड़ सकता है।

एडविना माउंटबेटन को जवाहरलाल नेहरू ने चिट्ठी में क्या कहा… पत्र अपने पास रखकर बैठीं सोनिया गाँधी: प्रधानमंत्री संग्रहालय ने की वापसी की माँग, अब राहुल गाँधी को चिट्ठी लिखी; पत्र अब राष्ट्र धरोहर है गाँधी परिवार की जागीर नहीं

संविधान हाथ में लिए घूमने वाले किस तरह खुद ही संविधान की धज्जियाँ उड़ा रहे उसका एक और उदाहरण सामने आया है। आखिर किस आधार पर सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री संग्रहालय से नेहरू और एडविना के पत्र लेकर वापस क्यों नहीं कर रही? वह पत्र अब राष्ट्र धरोहर है गाँधी परिवार की जागीर नहीं।  
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) ने एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी से उनके परिवार के पास मौजूद जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक दस्तावेजों को लौटाने की माँग की है। अहमदाबाद के इतिहासकार और PMML के सदस्य रिजवान कादरी ने 10 दिसंबर 2024 को राहुल गाँधी को लिखे पत्र में 2008 में सोनिया गाँधी द्वारा लिए गए 51 बॉक्स दस्तावेजों को लौटाने की माँग दोहराई है।

इन दस्तावेजों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजया लक्ष्मी पंडित और बाबू जगजीवन राम जैसी हस्तियों के बीच हुए पत्राचार शामिल हैं। यह पहली बार नहीं है जब PMML ने यह अनुरोध किया है। इससे पहले सितंबर 2024 में सोनिया गाँधी को भी ऐसा पत्र भेजा गया था।

कादरी के अनुसार, इन दस्तावेजों का ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है और इन्हें शोध और अध्ययन के लिए जनता के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर मूल दस्तावेज वापस नहीं किए जा सकते तो उनकी प्रतियाँ या डिजिटल संस्करण उपलब्ध कराए जाएँ।

यह मामला 2008 का है, जब UPA सरकार के दौरान सोनिया गाँधी ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम से 51 बॉक्स निजी दस्तावेज लिए थे। इनमें नेहरू और अन्य हस्तियों के बीच पत्राचार शामिल था। इन दस्तावेजों में नेहरू और एडविना माउंटबेटन के पत्र भी थे, जो हमेशा विवाद का विषय रहे हैं।

सोनिया गाँधी ने साध रखी है चुप्पी

सितंबर 2024 में भेजे गए पत्र का सोनिया गाँधी की ओर से कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया। इस बार, कादरी ने राहुल गाँधी से हस्तक्षेप की अपील की है। कादरी ने लिखा कि ये दस्तावेज भारत के इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और नेहरू के विचारों को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि अगर दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए गए तो यह इतिहास के प्रति अन्याय होगा।
कादरी ने अपने पत्र में लिखा कि इन दस्तावेजों का ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है, और इन तक पहुँच सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि देश के इतिहास को समग्रता से समझा जा सके। उनका कहना है कि इन कागजातों तक पहुँच होने से भारत के स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय निर्माण और भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की जा सकेगी। उनके अनुसार, गाँधी जी के लेखन को व्यवस्थित रूप से दस्तावेज किया गया है, लेकिन सरदार पटेल के योगदान को लेकर इतने व्यापक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू द्वारा छोड़े गए दस्तावेज बेहद महत्वपूर्ण हैं।
कादरी ने अपने पत्र में यह भी कहा कि अगर सोनिया गाँधी दस्तावेज वापस नहीं करना चाहतीं, तो वे उनकी डिजिटल प्रतियाँ उपलब्ध कराएँ। उन्होंने यह भी पेशकश की कि वह खुद दस्तावेजों का डिजिटलीकरण करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि सोनिया गाँधी द्वारा किए गए दस्तावेजों की वापसी अच्छे इरादों से की गई थी ताकि इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हालाँकि, अब समय आ गया है कि इन दस्तावेजों तक पहुँच प्रदान की जाए ताकि राष्ट्र के इतिहास का व्यापक अध्ययन हो सके।
यह मामला केवल दस्तावेजों की वापसी तक सीमित नहीं है। यह सवाल भी उठता है कि क्या ऐसे ऐतिहासिक दस्तावेज किसी परिवार की निजी संपत्ति हो सकते हैं, या उन्हें राष्ट्रीय विरासत के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए। PMML के अनुसार, इन दस्तावेजों की सार्वजनिक उपलब्धता इतिहास के व्यापक अध्ययन और राष्ट्र की समझ के लिए जरूरी है।
फरवरी 2023 में PMML की वार्षिक बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में यह मुद्दा उठाया गया था। बैठक में कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया था कि इन दस्तावेजों को फॉरेंसिक ऑडिट के जरिए सत्यापित किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब न हो।