जनता सावधान : मोदी विरोधियों ने दुष्प्रचार के लिए खरीदी बिकाऊ पत्रकारों की भीड़



R.B.L.Nigam, Sr Journalist
68 journalists, writers and bureaucrats given 2-5 lakh/month to write against PM Modi through Cambridge Analytica.
1. Sekhar Gupta. 
2. Mitali Saran, 
3. Mihir Sharma, 
4. Colin Gonsalvez,
5. Kancha Ilaya Sephard, 
6. Akar Patel, 
7. Paranjay Guha, 
8. Pronay James Roy. 
9. Nidhi Razdan, 
10. Sagarika Ghosh, 
11. Monibina Gupta, 
12. S Vardarajan 
13. C K Venue,  
14. Rajdeep Sardesai, 
15. Arundhoti Suzzane Ray, 
16. Prof. Sazzad, 
17. Karan Thapar, 
18. Vinod Dua, 
19. Rabies Kumar, 
20. Ganesh Naddar, 
21. Harsh Mandar, 
22. Sanjeev Bhatt dismissed IPS, 
23. Vikram Chandra,
24. Rohini Singh, 
25. Nayantara Sehgal, 
26. Ashok Dasgupta, 
27. Suva Prasanna, 
28. Aparna Sen, 
29. Suva Datta, 
30. Mk Vadrakumar. 
31. TN Srini Raghavan. 
32. Kana's Dasgupta, 
33. S Bhatia, 
34. Amulya Ganguli, 
35. Rana Ayub alias Maithli Jha, 
36. Burqua Dutt, 
37. Sanjay Jha, 
38. Yogendra Yadav, 
39. Nandini Dash, 
40. Debi Goenka. 
41. Archis Mohan. 
More names in the below link.

https://postcard.news/68-journalists-writers-and-bureaucrats-given-2-5-lakh-month-to-write-against-pm-modi-through-cambridge-analytica/
Furthermore, the nation wants answer from the above senior journalists under which circumstances, say pressure, why they remained mum on Sonia's education, religion and her activation with an organisation working against India on Kashmir issue; Sonia's anti-Hindu activities as described by Hon'ble former President of India Pranab Mukherji in his book? There are thousands of queries these journalists to answer. And if the above report is upto the mark, no doubt, such journalists have made the journalism yellow journalism.

हाल ही में सपा-बसपा के चुनावी गठबंधन पर राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि गठबंधन तो ठीक है लेकिन मायावती के द्वारा मुलायम पर किए गए मुकदमे का अब क्या होगा? बता दें कि राज्यसभा सांसद अमर सिंह मकर संक्रांति के मौके पर स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचे हुए थे। यहां पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं। 
ये है मौकापरस्त राजनीति, मेरी प्रतिबद्धता मोदी जी के साथ : अमर सिंह 
अमर सिंह ने आगे कहा कि गेस्ट हाउस कांड मामले में जो मायावती ने अखिलेश यादव पर मुकदमा दायर किया था उसका अब क्या होगा? गठबंधन से कुछ होने वाला नहीं है क्योंकि सपा और बसपा दोनों ऐसी पार्टियां हैं जो अपने-अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसी कारण दोनों ने गठबंधन किया है। बीजेपी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
इतना ही नहीं अमर सिंह ने हरिद्वार के वीआईपी घाट पर गंगा स्नान किया और आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के लिए प्रार्थना की। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी के फिर से सत्ता में आने के लिए पूजा-अर्चना भी की।
राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने इतना तक कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन इसमें मोदी और उनकी नीतियों की ही जीत होगी। साथ ही मुलायम सिंह यादव पर तंज कसते हुए अमर सिंह ने कहा कि वे बिना हाथी की सवारी किए बिना अपना अस्तित्व नहीं बचा सकते।
इतना ही नहीं सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा और सपा के बागी नेता शिवपाल को अमर सिंह ने पार्टी की रीढ़ कहा। अंत में अमर सिंह ने कहा कि मेरी प्रतिबद्धता मोदीजी के साथ है, बहुत राजनीति कर ली अब राष्ट्रनीति करुंगा। 
कभी एक दूसरे के खून के प्यासे थे सपा-बसपा, अब बना लिया गठबंधन- सी पी ठाकुर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता और सांसद सीपी ठाकुर ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए बने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन से कांग्रेस को दूर रखने पर बयान देते हुए कहा है कि विपक्ष का महागठबंधन तो शुरुआत में ही बिखर गया. यह केवल दो पार्टियों का गठबंधन बनकर रह गया. 
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यूपी में जो दो पार्टियां एक साथ आई हैं, वो कभी एक-दूसरे के खून की प्यासी हुआ करती थी. सीपी ठाकुर ने कहा है कि सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव तक टिकेगा, इस बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता है. इसके साथ ही ठाकुर ने इस गठबंधन को कांग्रेस के लिए तगड़ा झटका करार दिया है. उन्होंने कहा कि, सपा-बसपा के गठबंधन से भाजपा को यूपी, बिहार और झारखंड में कोई नुकसान नहीं होने वाला है. मीडिया से चर्चा करते हुए भाजपा सांसद ने कहा है कि कांग्रेस को कभी इसके लिए प्रयास भी नहीं करना चाहिए कि दुनिया के सबसे बड़ी पार्टी को वो मात दे सकेगी. इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए सवर्ण आरक्षण पर भी प्रतिक्रिया दी है. सीपी ठाकुर ने कहा है कि 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण से जनता प्रसन्न हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि सवर्ण आरक्षण का विरोध करने के लिए राजद को खामियाजा भुगतना होगा.
बुलंदशहर पर विधवा-विलाप करने,
#mob lynching, #intolerance,
#not in my name,  और
#metoo आदि षड्यंत्र रचने वाले
गिरोह अखिलेश यादव के कार्यकाल में
मुज़फ्फर नगर में हुए दंगों में
जब हिन्दुओं का दमन किया जा रहा था
तब क्या इन सबको साँप सूंघ गया था।  
सरकारी संस्थानों के अस्तित्व पर खतरा 
समस्त भाजपा विरोधियों द्वारा सरकार पर सरकारी संस्थानों जैसे सीबीआई आदि संस्थानों की स्वतन्त्रता पर अंकुश लगा दिया है, लेकिन भूल गए कि इन्ही के कार्यकाल में इसी सीबीआई को सरकारी तोता के नाम से पुकारा जा रहा था। तुष्टिकरण पुजारी अपनी कुर्सी को बचाने हिन्दू साधु, सन्त एवं साध्वियों को झूठे केसों में जेलों में भर रहे थे। बेकसूर स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा को अमानवीय रूप से प्रताड़ित किया गया था? आतंकवादियों को खूब बिरयानी खिलाई जा रही थी और इन बेकसूरों को अभद्र एवं अमानवीय प्रताड़ना दी जा रही थी, किस तरह जाँच एजेंसियों द्वारा दबाव डाला जा रहा था, है किसी के पास कोई जवाब ! इन एजेंसियों का दुरूपयोग पिछली सरकार द्वारा किया जा रहा था। एनकाउंटर में आतंकवादियों के मारे जाने पर किस तरह जाँच एजेंसियों को आपस में ही भिड़वा दिया था। आंतकवादियों के मारे जाने पर आँसू भी बहाते देखा गया। 
संविधान खतरे में 
इस गठबंधन द्वारा संविधान को खतरे की बात भी बड़े जोर-शोर के साथ उछाली जा रही है। अगर इनके सहयोग से चल रही पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में संविधान के विरुद्ध क्या नहीं किया? प्रधानमन्त्री के सम्मुख उन्ही के अध्यादेश को फाड़ना क्या संविधान के अनुरूप था? क्या प्रधानमंत्री को अपने आप किसी काम को करने की इजाजत थी? जिसका विस्तार से संजय बरुआ ने अपनी पुस्तक The Accidental Prime Minister में लिखा है और अब इसी पुस्तक पर फिल्म भी प्रदर्शित हो गयी है। जिस पर कांग्रेस चीख-चिल्ला रही है। फिल्म किस्सा कुर्सी का, आँधी, चर्चित गायक किशोर कुमार के गीतों का रेडियो पर प्रसारण पर रोक, फिल्म रोटी, कपडा और मकान के गीत हाय महंगाई तू कहाँ से आयी, मोहम्मद यूनुस की पुस्तक पर प्रतिबन्ध, रामजन्मभूमि का समाधान होते देख राजीव गाँधी ने कौन से संविधान के आधार पर चंद्रशेखर की सरकार को गिराया था? आदि एक लम्बी सूची है, जो पिछली सरकारों द्वारा संविधान को ताक पर रख दिया गया था। 
अब सोशल मीडिया पर प्रकाशित निम्न लेख को भी देखिये, जिसे बिना संपादन के प्रस्तुत किया जा रहा है :-






नीरज कुमार बातचीत में माहिर7 घंटे, (जनवरी 14,2019)  


पोस्ट लंबी है पर तथ्यपरक है, अवश्य पढ़ें।
अभी ताजा ताजा चर्चित दो ब्यूरोक्रेट्स से शुरू करता हूँ।
एक हैं बी चंद्रकला, तेलंगाना से,2008 बैच की IAS यूपी काडर मिला। चार साल बाद यूपी शासन ने डीएम का पद दे दिया, उसके बाद मैडम का जलवा शुरू हुआ, अचानक कहीं पहुँचना, काम में कोताही बरतने वाले अफसरों, ठेकेदारों, शिक्षकों की सरेआम जलालत, मलामत। एक पत्रकार ने फोन पर कुछ जानना चाहा, उसकी माँ-बहन एक कर दी, भेजूँ तेरी बहनिया के पास एक गैर मर्द को। जनता अभिभूत थी, हमें चाहिए भी ऐसे ही कड़क, दमदार, इमानदार और निष्पक्ष अफसर जो जनता के पैसे जाया न होने दें, सही काम हो। लोग लहालोट थे यह डायनामिज्म देखकर, प्रसिद्धि ऐसी फैली कि रातोंरात सोशल मीडिया की तारिका बन गयीं। फेसबुक पर 86 लाख फालोवर, ट्वीटर पर 8 लाख फैन क्लब्स।
फिर एकाएक एक न्यूज आती है, सीबीआई ने उनकी रिहायशों सहित 12 जगहों पर छापेमारी की। लोग आवाक थे, इतनी ईमानदार और कड़क आफिसर के विरूद्ध छापेमारी, फिर खबरें छनकर आने लगीं, रेत खनन के पट्टों के आबंटन गलत तरीके से, नियमों को ताक पर रखकर। मामला इतना गंभीर की तत्कालीन सीएम अखिलेश तक आँच पहुँच रही है। एफआईआर दर्ज हो गयी, बी चंद्रकला के अवैध आय का भी मामला बना।
आलोक वर्मा, सीबीआई डायरेक्टर, सांवैधानिक पद, जबरदस्त पावर, सीबीआई का नाम सुनते ही रूह कांप जाती है। एकदिन न्यूज आयी, सरकार ने जबरिया छुट्टी पर भेज दिया, उनके नायब राकेश अस्थाना सहित। बहुत बड़ी न्यूज थी, सीबीआई डायरेक्टर को छुट्टी पर भेजना। राजनीति शुरू हुई, मामला न्यायालय में, न्यायनिर्णय हुआ सेलेक्ट कमिटी ही हटा सकती है। सेलेक्ट कमिटी ने हटा दिया। भन्नाए आलोक वर्मा ने कहा वे आलरेडी रिटायर्ड पर्सन हैं, सो रिटायर समझा जाय। खबरें छनकर आयीं दिल्ली की 5 पाश कालोनियों में साहब की पाँच अट्टालिकाएं हैं। 10 कंपनियाँ हैं इनकी मिल्कियत, शराब का कारोबार है।
सवाल है ये दो ब्यूरोक्रेट्स कौन हैं ! बेशक ये भारतीय शासन व्यवस्था में सिस्टम के दो महत्वपूर्ण पद हैं जिनपर सरकार के नीतियों के कार्यावन्यवन की महती जिम्मेवारी है। एकदम झक सफेद टाइट कालर, चेहरे से रूआब बरसता हुआ, सामने देख लोग भय से रास्ता छोड़ देते हैं। पर वास्तविकता क्या है, ये सफेदपोश अंदर से बिल्कुल काले, भ्रष्ट, कानून की धज्जियां उड़ाते। चंद्रकला तो वंचित वर्ग से हैं, उन्हें जनता का दर्द शिद्दत से महसूस होना चाहिए था। ऐसा क्यों नहीं हुआ ? इसका कारण है कि हम भारतीयों में एक नयी संस्कृति विकसित हुई है, #आप_सुखी_तो_जग_सुखी
इन कार्रवाइयों पर राजनीति क्या कहती है, यूपी के दो भूतपूर्व सीएम का कहना है कि सीबीआई का मिसयूज किया जा रहा ब्लैकमेल करने को, डराने को। तो फिर क्यों नहीं नियम दिखाकर साबित कर देते कि पट्टे देने में निर्धारित प्रक्रिया का पालन हुआ है। इ टेंडर करना था, नहीं किया। जिले के दो दबंगों को ही जिले के सारे पट्टे मिल गये, मतलब एजेंसियां अंधी हैं।
आलोक वर्मा के लिए तो पूरी कांग्रेस, पूरा विपक्ष, दलाल मीडिया उनके बचाव में उतरी हुई है।खड़गे दहाड़ रहा था, यार साबित कर दो न कि वेतन की कमाई से आलोक वर्मा ने ये सारी संपत्ति बनायी है,दे दो जवाब। अभी वर्मा की और कितनी परिसंपत्तियां हैं इसकी जाँच होनी है। ये दो उदाहरण बताते हैं कि सफेदपोश कितने बड़े दोगले हैं, जितना बड़ा ओहदा उतनी बड़ी लूट करते हैं।
ये दो उठाये गये सैंपल हैं टाप ब्यूरोक्रेट्स के जिनके जिम्मे सिस्टम में बहुत बड़ी जिम्मेवारी है सरकार के संपत्ति के रक्षा करने की। दोषियों को पकड़ने की,और ये खुद उसी दुष्कृत्य में संलिप्त हैं। इनका टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव आया है। पूरी भारतीय जनता आश्वस्त है कि पूरे सिस्टम में कम से कम 70% आधिकारियों, कर्मियों के टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव ही आयेंगे। आप कल्पना कीजिए कि जनता की कितनी धनराशि सिर्फ सरकारी कर्मी लूट रहे।
मैं ये क्यों लिख रहा हूँ , ये तो सब जानते हैं, मुश्किल से दस पाँच लोग ये पोस्ट पढ़ेंगे। निरर्थक मेहनत है, लेकिन मैं आश्वस्त हूँ कि यह मेहनत निरर्थक नहीं है।
1947 से 2014 तक यह सिस्टम विकसित और मजबूत होता आया है। 80 के दशक में समाजवादी भारत में प्रभावी हुए कांग्रेस का प्रबल प्रतिरोध कर के। समाजवाद की परिणति देश ने देखी। घरानों के उदय हुए, चारा घोटाला, मधुकोड़ा की लूट, मुलायम और मायावती का एम्पायर, ये समाज को न्याय देने अंतिम पायदान तक सरकारी लाभ पहुँचाने का वादा करके आये थे। इनका नकाब उतर गया, जल्दी ही इनके वास्तविक चेहरे सामने आ गये। पर तबतक ये जनता के पचासों हजार करोड़ डकार चुके थे। अंततः इन सबों ने कांग्रेस से गलबहियां कर लीं क्योंकि इनका मूल उद्देश्य भी यही था कि जनता की लूट का सुख #कांग्रेस अकेले क्यों भोगे। हमें भी राजनीति आती है, हम उससे क्यों #महरूम रहें। गले मिले और एका हो गया कि भाई हम #एक_होकर लूटें।
कांग्रेस बहुत पुरानी पार्टी है। उसमें एक से एक शातिर रणनीतिकार हैं। वह समझ चुकी थी कि जनता के बीच में से जबतक कुछ दलाल नहीं चुने जायेंगे हो हल्ला मचेगा, जो हानिकारक भी हो सकता है सो जनता को करप्ट बनाने का खेल शुरू हुआ। हर नेता अपने क्षेत्र में दलाल बनाने लगे जो प्रखंड से लेकर जिले तक लोगों का काम कराते, दलाली लेते, नेताजी का गुणगान करते, जनता को बताते नेताजी कितने त्यागी और महान हैं। यूपी बोर्ड की परीक्षा में कड़ाई होने पर 10 लाख छात्रों द्वारा परीक्षा का वहिष्कार और बिहार के इंटर टापर का पोलिटिकल साइंस को पोरोडिकल साईंस उच्चारित करना ये सिर्फ सरकारी भ्रष्टाचार नहीं बल्कि जनता का भी इस भ्रष्टाचार में कदम से कदम मिलाकर चलने का ज्वलंत उदाहरण है।
2004 से 2014 के बीच कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के नये रिकार्ड कायम किए, बैंकिंग व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया। आँख मूँदकर ऋण बाँटे गये, बैंकों का एनपीए बढ़कर 84 % हो गया। यूपीए सरकार बखूबी उसे 34 % प्रचारित करती रही, बैंक डूबने के कगार पर आ गये।
इसी राजनैतिक, आर्थिक और सामरिक परिदृश्य में आगमन हुआ मोदी का। कार्यभार संभालते ही दिमाग की चूलें हिल गयीं। डूबती अर्थव्यवस्था, सिस्टम में लूट का वर्चस्व, सामरिक रूप से कमजोर भारत, आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर, पाकिस्तान और चीन जैसे दो पारंपरिक दुश्मन दोनों तरफ से हमले को तैयार। कोई दूसरा होता तो चुपचाप सिस्टम के आगे सरेंडर कर देता, हालातों के आगे विवश। पर बंदा जिगरवाला है। राष्ट्रप्रेम हिलोरें ले रहा था दिल में, चैलेंज एक्सेप्ट किया और साथ मिला एक माहिर रणनीतिकार अजीत डोवाल का। चीजों की सच्चाई समझी और सबसे पहले पड़ोसी छोटे देशों भूटान, नेपाल, जापान की यात्रा कर चीन के विरूद्ध रणनीति तैयार की। फिर दौरा शुरू किया महाशक्तियों का। आतंकवाद के विरूद्ध लड़ने का अटल निश्चय दिखाकर पाकिस्तान को विश्व से अलग थलग किया और उनसे व्यापारिक तथा सामरिक रिश्ते प्रगाढ़ किये। फिर भारतीय वित्तीय संस्थानों की तरफ निगाह की और एक झटके में #नोटबंदी का एक ऐसा अभूतपूर्ल निर्णय लिया जो आत्मघाती था। इसके पूर्व भी इंदिरा जी के समय में इसकी बात उठी थी तो उन्होंने अपने वित्तमंत्री को झिड़के हुए कहा था : क्यों ? क्या आगे चुनाव नहीं लड़ना। एक कदम और जमाखोरों की कमर टूट गयी। आतंकियों और माओवादियों का शिराजा बिखर गया। बड़े बड़े राजनेता कंगाल हो गये लेकिन यह दुख ऐसा था कि #आपन_हारल_मेहरी_के_मारल इ दुख केहू से कहलो ना जाला। पर आज भी उनकी चीख जनता के नाम पर सुनाई देती है, उनकी व्यथा आप समझ सकते हैं। फिर एक और अभूतपूर्व निर्णय लिया #सर्जिकल_स्ट्राइक का और इसबार पाकिस्तान के हौसले तोड़ दिये। फिर #डोकलाम_विवाद पर चायना को तारे दिखाये। अब मोदी का ताप देख बैंक लुटेरों ने भागना शुरू किया। पर मोदी मोदी है, अब लुटेरे विदेश में बैठे कराह रहे हैं। मैं तो लौटाना चाहता हूँ। देश में तीस तीस साल से लंबित परियोजनाओं को मोदीराज में पूरा किया जा रहा है।
बिहार के लोग जानते हैं जब हमारे यहाँ कहा गया था : सड़क तुम गरीब का करेगा, बस त सब बड़ आदमी का चलता है, बढ़िया सड़क पर रेस बस चलायेगा त तुमलोग का बाल बच्चा पिचा जायेगा। पुलिस भी फट से तुम्हारे दुआरी पर पहुँच जायगी, और जनता ने जय जयकार किया था।
आज 6 लेन, 8 लेन, एक्सप्रेस वे, सुपर एक्सप्रेस वे बन रहीं। क्या रेलवे प्लेटफार्म पर की सफाई भी हमें नहीं दिखती।
गोरखपुर क्षेत्र में पिछले चालीस वर्षों से हर साल दसियों हजार बच्चे इन्सेफेलाइटिस से मरते थे और उसी बीमारी के नाम पर सरकारी लोग भारी माल लूटते थे। इस साल मौत की बात सुनी क्या ? योगी ने मौत की जड़ ही उखाड़ दी। यह साधारण अचीवमेंट है ?
कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष #सेलेक्टिव_विकास चाहते हैं, अपना और अपने दलालों का। मोदीजी देश को #सेट करना चाहते हैं। यह आपकी च्वाईस है कि आप अकेले खुश रहना चाहते हैं या पड़ोसी की भी खुशी चाहते हैं। एक बात जान लें अगर आपका पड़ोसी भूखे मर रहा, बेहाल है, त्रस्त है तो आप भी सुरक्षित नहीं, मरता क्या नहीं करता। हमारे हक में है कि पूरा भारत खुशहाल हो जिसके लिए मोदी अहर्निश मेहनत कर रहे। हमारा देश समृद्ध, स्वस्थ और सबल होगा तो हम भी समृद्ध और सबल होंगे। इसलिए यह हमारे आपके आत्ममंथन का दौर है कि हम लुटेरों को सत्ता सौंपे या एक नि:स्पृह कर्मयोगी को।
वंदे मातरम्, जयहिंद।
विश्राम त्रिपाठी , अधिवक्ता ।"
देश में जातिवाद 
वर्तमान मोदी सरकार पर एक आरोप देश में जातिवाद फ़ैलाने का भी लग रहा है। डॉ भीमराव आंबेडकर ने संविधान बनाने के बाद अपनी जाति के लिए 10 वर्ष का आरक्षण माँगा, जिसे स्वीकार कर लिया गया, लेकिन उसका दुरूपयोग होता देख, समय पूर्व इसे समाप्त करने को कहा था, क्यों नहीं माना गया? जातिवाद देश में किसने फैलाया? एक तरफ डॉ आंबेडकर का गुणगान किया जाता है, उसके विपरीत आज तक आरक्षण को लागू रख देश में जातिवाद को फ़ैलाने वाला कौन है? अपने वंश के लालन-पालन के लिए जाति के नाम पर पार्टियाँ बनाकर जातिवाद का जहर कौन फैला रहा है? 
अब देखिए अपने आपको जनेऊधारी हिन्दू कहने वाले    
राहुल  S/O राजीव गांधी
राजीव S/O फिरोज गांधी
फिरोज S/O जाहागीर खान
जहाँगीर S/Oजब्बार खान

जब्बार  S/O मोहम्मदनाशिर.खान

अब बताओ कौन से गोत्र के ब्राह्मण हुए ???
धर्म बदला....
जाती बदली....
बदल दिया है गौत्र....
दादा दबे ज़मीन में....
पंडित हो गए पौत्र....
मोदी विरोधी किस तरह मीडिया का दुरूपयोग कर रहे हैं। और अपने आपको खोजी पत्रकार कहने वाले क्या देशप्रेमी कहलाने योग्य हैं। देखिए मोदी और मोदी सरकार को बदनाम, जुमलेबाज और नकारा चिल्लाने वालों के नाम, इन पत्रकारों से कोई पूछे सोनिया गाँधी इलाज के लिए कब विदेश जाती थीं और कब वापस आती थीं, बताया कभी? सोनिया गाँधी और तथाकथित खोजी पत्रकारों की फौज कश्मीर विरोधी संस्था के सदस्य हैं, बताया कभी? कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ सुशील पंडित ठीक कहते हैं कि "पाकिस्तान क सबसे बड़ी ताकत भारत में रह रहे हज़ारों पाकिस्तान समर्थक और सैकड़ों मिनी पाकिस्तान हैं। 
अवलोकन करें:--· 



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सोनिया गांधी की बीमारी से जुड़ी जानकारी जितनी छिपाई गई उसका रहस्य उतना ही गहराता गया। अगस्त 2, 2016 को वाराणसी के रोड-श....

 आड़ में पर्दे के पीछे से गाँधी परिवार राज करता रहा, मंत्री तक नहीं बना। सत्ता में होते हुए पहली बार राष्ट्रपति बनाया श्रीमती प्रतिभा पाटिल और दूसरी बार बनाया श्री प्रणब मुखर्जी। .... दरअसल आजादी के बाद से कांग्रेस के कृत्यों पर गौर करें तो ये साफ है कि कांग्रेस पार्टी हिन्दू विरोधी और मुस्लिम परस्त रही है। विशेषकर, सोनिया गाँधी के अध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस में हिन्दू विरोध अधिक हो गया है, जिसका उल्लेख भूतपूर्व महामहिम श्री प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक तक में किया है।


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कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेता भले ही मन्दिरों में जाकर खुद को ज़बरदस्ती हिन्दू दिख.....


फरवरी 2006 में इसी ब्लॉग पर शीर्षक "The story of two Lals --Motilal and Jawaharlal"(नीचे लिंक में देखें) लिखा था, कि नेहरू परिवार कोई ब्राह्मण नहीं, वास्तव में ब्रिटिश पुलिस के डर से मुस्लिम से परिवर्तित हिन्दू हैं। इन्दिरा गाँधी फ़िरोज़ से निकाह कर मैमुना बेगम बन गयी, परन्तु मोती लाल से लेकर राजीव गाँधी तक सभी का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज़ से ही हुआ। इनमें से किसी एक मुस्लिम रीति-रिवाज से दफनाया जाने पर जनता इनके ढोंग को समझ जाती। कई बार सोशल मीडिया पर भी इस परिवार की वं...
और देखें



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आर.बी.एल. निगम, वरिष्ठ पत्रकार फरवरी 2006 में इसी ब्लॉग पर शीर्षक "The story of…

खामोश मीडिया क्यों?
स्वतन्त्र भारत में इतनी भयानक घटना घटती है, मीडिया में कोई चर्चा ही नहीं होती। माना जा रहा है कि यह घटनाक्रम कांग्रेस समर्पित सरकार के राज में होने के कारण मीडिया इसे छुपाने की कोशिश कर रही है। यही नहीं, जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अखिलेश यादव के कार्यकाल में एक मुस्लिम पदाधिकारी द्वारा के दलित को मूत्र पिलाये जाने पर भी मीडिया खामोश रही। उस समय भी किसी #metoo#mob lynching, #intolerance#not in my name, और #award vapsi आदि गैंग के मुँह से आवाज़ तक नहीं निकली थी।
अब प्रश्न यह है कि कांग्रेस अपने राज्यों में दलितों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में असफल है। लेकिन राहुल गाँधी भी अब तक खामोश हैं।


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