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पी.चिदंबरम और इंद्राणी मुख़र्जी |
INX मीडिया केस में फंसे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को लेकर डाटा साइंटिस्ट गौरव प्रधान ने ट्वीट कर पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम पर गंभीर आरोप लगाए हैं. गौरव प्रधान के मुताबिक इंद्राणी मुखर्जी ने जांच एजेंसियों को दिए बयान में कहा था कि उन्होंने कार्ति चिदंबरम की कंपनी को 10 लाख डॉलर दिए थे. बतौर गौरव प्रधान इंद्राणी मुखर्जी ने जांच एजेंसियों को ये भी कहा था कि पी चिदंबरम उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बना चुके हैं और उन्होंने दो और महिला एंकर की मांग की थी. बतौर गौरव प्रधान शीना बोरा ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने पी चिदंबरम की सारी मांगों को माना क्योंकि उनके ऊपर 300 करोड़ रुपये आयकर जुर्माना लगा था.
Indrani in her confession to agencies said - Apart from paying $1 Million to @KartiPC Karti’s firms - PC fucked me many times and demanded 2 lady anchors. She named Anchors too 1 later became a Cine actress. I obliged to all demands of PC bcoz my Income Tax Fine was Rs 300cr https://t.co/FXfVFLp2Xb— #GauravPradhan 🇮🇳 (@DrGPradhan) August 23, 2019
गौरव प्रधान ने दूसरे ट्वीट में कहा कि इंद्राणी मुखर्जी ने जांच एजेंसियों को ये भी बताया है कि पत्रकार एम के वेणु ने इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी की पी चिदंबरम से मीटिंग फिक्स करवाई थी. उन्होंने कहा कि जहां तक दो महिला एंकरों की बात है जिसे कथित तौर पर पी चिदंबरम ने मांगा था वो 9 एक्स म्यूजिक चैनल से थीं. गौरतलब है कि डाटा साइंटिस्ट गौरव प्रधान इससे पहले भी कई बार विवादित खुलासे करते रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने पी चिदंबरम को लेकर ये खुलासा किया है.
बेटी शीना बोरा की हत्या मामले में जेल की सजा काट रही इंद्राणी मुखर्जी ने साल 2007 में अपने तीसरे पति पति पीटर मुखर्जी के साथ मिलकर आईएनएक्स मीडिया नाम से कंपनी की शुरूआत की थी जिसमें वो सीईओ की भूमिका में थी. इंद्राणी मुखर्जी ने साल 2009 में कंपनी से इस्तीफा दे दिया और अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी. गौरव प्रधान के मुताबिक आईएनएक्स मीडिया कंपनी में पैसों के हेरफेर के मामले में ही पूछताछ के दौरान ही इंद्राणी मुखर्जी ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को लेकर ये सब बातें जांच एजेंसियों को बताई हैं.
जानकारी के मुताबिक आईएनएक्स मीडिया ने साल 2007 में विदेशों से 305 करोड़ रुपये का फंड हासिल किया था. आरोप है कि शीना बोरा और पीटर मुखर्जी ने फंड के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड FIPB से मंजूरी पाने में कथित तौर पर गड़बड़ियां की. मामला जब सीबीआई के पास गया तो सीबीआई की पूछताछ में इंद्राणी ने पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम का नाम लिया. इसी सिलसिले में सीबीआई ने 16 फरवरी 2018 को कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.
पी चिदंबरम
चिदंबरम का विवादों से पुराना नाता है. 2004 में वित्त मंत्री बनने से पहले चिदंबरम वेदांत की लीगल टीम का हिस्सा थे. 2002 में जब यूके के वित्तीय सेवा प्राधिकरण ने स्टरलाइट को वेदांत रिसोर्स पीएलसी के रूप में पुनर्गठित करने की अनुमति दी थी. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने स्टरलाइट के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के परिवार के तीन सदस्यों को कारण बताओ नोटिस दिया. नोटिस में मांग की गई थी कि स्टरलाइट के निदेशक अपनी होल्डिंग कंपनियों वॉलकन और ट्विनस्टार के जरिये विदेशी मुद्रा लेनदेन पर करों का भुगतान करने से बच रहे हैं इसके लिए वो जवाब दें.नोटिस में बताया गया था कि प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि, 1993 में हुई मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अग्रवाल दोषी हैं. सात सालों तक ये केस कोर्ट में खिंचता रहा और स्टरलाइट ने हर संभव प्रयास किये कि कैसे मामले पर तारीख पर तारीख मिलती रहे.
बताया जाता है कि 2003 में पी चिदंबरम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्टारलाइट के खिलाफ ईडी द्वारा लगे गए आरोपों से कंपनी का बचाव किया था. इसके बाद अगले साल यानी 2004 में चिदंबरम वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी के बोर्ड में गैर-कार्यकारी निदेशक के पद पर नियुक्त किये गए और इसी के बाद वो यूपीए 1 के कार्यकाल में भारत के वित्त मंत्री बने.
आईएनएक्स मीडिया, एयरसेल-मैक्सिस केस
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि 2006 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम द्वारा नियंत्रित एक कंपनी को एयरसेल से पांच प्रतिशत हिस्सा मिला. ध्यान रहे कि इस मामले में एयरसेल के 74 प्रतिशत शेयर हासिल करने के लिए मैक्सिस कम्युनिकेशन ने उसे 4000 करोड़ रुपए दिए थे. स्वामी के अनुसार, चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के सौदे को तब तक के लिए रोक दिया जब तक कि उनके बेटे को शिवा की कंपनी में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी नहीं मिली. इस मुद्दे को कई बार संसद में उठाया गया और चिदंबरम के इस्तीफे की मांग की गई. हालांकि बाद में चिदंबरम और उनकी सरकार ने आरोपों से इनकार किया.मामले पर द पायनियर और इंडिया टुडे ने तमाम तरह के दस्तावेज पेश किये जिसमें दर्शाया गया कि चिदंबरम ने अपने पद का दुरूपयोग किया और 7 महीने तक सौदे को रोके रखा. आरोप ये भी लगे कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम 2 जी स्पेक्ट्रम मामले के प्रत्यक्ष लाभार्थी थे. कार्ति चिदंबरम की कंपनी एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग की एयरसेल टेलीकॉम कंपनियों में पांच फीसदी हिस्सेदारी थी और पिता पी चिदंबरम ने सुनिश्चित किया कि एयरसेल-मैक्सिस सौदे के लिए एफआईपीबी क्लीयरेंस तभी दिया जाएगा जब उनके बेटे कार्ति की कंपनी एयरसेल वेंचर्स में हिस्सेदारी होगी.
इसके अलावा ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) एयरसेल सौदे में कार्ति की संलिप्तता की जांच कर रहा है. ज्ञात हो कि पहले 2012 और फिर 2016 में मीडिया में खबरें आई कि ऐसे तमाम मौके आए जब कार्ति ने अपने पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए खुद को फायदा पहुंचाया. बताया ये भी गया कि कार्ति की उनके मित्रों द्वारा आंशिक रूप से स्वामित्व वाली छोटी छोटी कम्पनियां जो मॉरीशस और सिंगापुर में हैं उसमें भी उनकी हिस्सेदारी है.
इसके अतिरिक्त कार्ति को यूके और अन्य देशों में अपनी वैध कमाई से अधिक धन के साथ अचल संपत्ति रखने का भी दोषी पाया गया है. इन तमाम बातों के अलावा चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति पर भ्रष्टाचार, पद के दुरूपयोग, इनसाइडर ट्रेडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं. ध्यान रहे कि, 20 अगस्त 2019 को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने INX मीडिया मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
कार्ति चिदंबरम
कार्ति चिदंबरम पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और वर्तमान में तमिलनाडु के शिवगंगा से कांग्रेस सांसद हैं. बात अगर कार्ति चिदंबरम के ऊपर चल रहे मामलों की हो तो पी चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम पर एयरसेल मैक्सिस भ्रष्टाचार मामला और मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है. सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज एयरसेल मैक्सिस मामलों में चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति की जमानत संबंधी याचिकाएं निचली अदालत में लंबित हैं. दोनों को निचली अदालत ने गिरफ्तारी से 23 अगस्त तक अंतरिम राहत प्रदान की है.जुलाई 2018 में सीबीआई द्वारा दाखिल चार्ज शीट में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के नाम सामने आए थे, आपको बताते चलें कि 2006 में वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए चिदंबरम ने एक विदेशी कंपनी को एफआईपीबी मंजूरी दी थी जबकि ऐसा करने का अधिकार केवल सीसीईए के पास ही होता है. सीबीआई जांच कर रही है कि आखिर किस आधार पर ये मंजूरी चिदंबरम में विदेशी कंपनी को दी.
इसके अलावा जहां एक तरफ कार्ति पर आय से अधिक संपत्ति और विदेशों में संपत्ति जमा करने के मामले हैं तो वहीं इनपर भ्रष्टाचार, पिता के पद का नाजायज फायदा उठाकर खुद को फायदा पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं.
नलिनी चिदंबरम
चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई शारदा चिटफंड घोटाले में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. उन पर 1.4 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत लेने का आरोप है. इस साल फरवरी में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी. आपको बताते चलें कि इसी साल फ़रवरी में, सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम जो खुद एक वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट के जज पीएस कैलासम की बेटी हैं, के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दावा किया था कि चिट फंड घोटाले में घिरे शारदा ग्रुप की कंपनियों से उन्हें 1.4 करोड़ रूपये प्राप्त हुए.इस मामले पर जानकारी देते हुए सीबीआई ने दलील दी थी कि नलिनी पर आरोप है कि उन्होंने शारदा समूह की कंपनियों की धनराशि के गबन और फर्जीवाड़े के मकसद से शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्त सेन और अन्य आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश की.
सीबीआई का आरोप था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह की पत्नी मनोरंजना सिंह ने सेन का परिचय नलिनी चिदंबरम से कराया ताकि वह सेबी, आरओसी जैसी विभिन्न एजेंसियों की जांच को प्रभावित कर सकें. दिलचस्प बात ये थी कि इसके लिए उनकी कंपनियों को 2010-12 के दौरान कथित तौर पर 1.4 करोड़ रूपये हासिल हुए.
इस साल फरवरी में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी. ज्ञात हो कि शारदा समूह ने आकर्षक ब्याज दर का झांसा देकर लोगों से 2,500 करोड़ रूपये लिए थे और बाद में लोगों को उनके पैसे नहीं लौटाए गए.
कोलकाता हाई कोर्ट ने साल 2014 में जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था. इस मामले के मद्देनजर फ़िलहाल नलिनी सिंह बेल पर हैं.
चिदंबरम परिवार पर आयकर विभाग के आरोप
बीते दिनों आयकर विभाग ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके परिवार के सदस्यों - कार्ति चिदंबरम, नलिनी चिदंबरम, श्रीनिधि चिदंबरम के खिलाफ चार अभियोजन शिकायतें विदेशी संपत्ति में निवेश करने और अपने कर रिटर्न में इसका खुलासा नहीं करने के लिए दर्ज की हैं. इन शिकायतों पर जानकारी देते हुए कर अधिकारियों ने बताया कि चार्जशीट चेन्नई में एक विशेष अदालत के समक्ष ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 की धारा के तहत आई-टी विभाग द्वारा दायर की गई हैं.नलिनी चिदंबरम, कार्ति और श्रीनिधि पर आरोप है कि उन्होंने ब्रिटेन के कैम्ब्रिज में 5.37 करोड़ रुपये की संपत्ति, ब्रिटेन में ही 80 लाख की संपत्ति और अमेरिका में 3.28 करोड़ रुपए की संपत्ति का पूरा खुलासा जांच एजेंसियों के सामने नहीं किया है.
चार्जशीट में आरोप है कि चिदंबरम परिवार ने टैक्स अथॉरिटी को इनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. साथ ही कार्ति की फर्म चेस ग्लोबल एडवाइजरी जिसने काले धन पर बने कानून का उल्लंघन किया है उसके विषय में भी कोई जानकारी जांच अधिकारियों को नहीं दी है. ज्ञात हो कि इस कानून को 2015 में मोदी सरकार द्वारा लाया गया था. इस कानून के अंतर्गत उन भारतीयों पर मुकदमा चलाने की बात थी जिन्होंने विदेशों में संपत्ति अर्जित कर रखी है.
अवलोकन करें:-
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