‘गृहयुद्ध छेड़ना चाहते हैं राहुल गाँधी’: राहुल को 7 जनवरी को बरेली की कोर्ट में हाजिर होने का आदेश, सरकार बनने पर जाति गिनने और आर्थिक सर्वेक्षण का किया था वादा; सोनिया गाँधी को अध्यक्ष बनाने परिवार गुलामों ने दलित अध्यक्ष सीताराम केसरी को पार्टी ऑफिस से फेंकने वाली कांग्रेस किस मुंह से दलित प्रेम दिखा रही है?

कांग्रेस प्रारम्भ से ही जातिगत सियासत से जनता को गुमराह करती है। लेकिन वर्तमान समय में सोनिया गाँधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी के गुलामों ने तत्कालीन दलित अध्यक्ष सीताराम केसरी को पार्टी ऑफिस से बाहर फेंक दिया और इस दौरान उनकी धोती तक खुल गयी थी और आज आंबेडकर और जातिगत सियासत से जनता को गुमराह किया जा रहा है। वर्तमान अध्यक्ष दलित मल्लिकार्जुन खड़गे रिमोट से चलने वाले अध्यक्ष हैं। जो परिवार के निर्देश के बिना एक शब्द अपने आप नहीं बोल सकते। यह वह कटु सच्चाई है जिसे INDI गठबंधन का हर घटक अच्छी तरह जानते हुए भी कांग्रेस की पिछलग्गू बने हुए है। गठबंधन के किसी दल में कांग्रेस से यह पूछनी की हिम्मत की इतने वर्ष कांग्रेस के सत्ता में रहते क्यों जाति आधारित पार्टियां बनी?   
खैर, 
कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी को उत्तर प्रदेश की बरेली जिला कोर्ट ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयान पर 7 जनवरी 2024 को पेश होने के लिए समन जारी किया है। यह बयान उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण और जातिगत जनगणना को लेकर दिया था।

साभार: सोशल मीडिया  
बरेली की जिला जज कोर्ट ने पंकज पाठक की याचिका पर ये समन जारी किया है। उन्होंने राहुल गाँधी के बयान को ‘देश में गृहयुद्ध छेड़ने की कोशिश’ का आरोप लगाया। उन्होंने याचिका में कहा है, “हमने महसूस किया कि राहुल गाँधी ने चुनावों के दौरान जातिगत जनगणना पर जो बयान दिया था, वह देश में गृह युद्ध शुरू करने की कोशिश जैसा था।”

शुरुआत में यह याचिका एमपी-एमएलए कोर्ट में दायर की गई थी, लेकिन वहाँ इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने जिला जज कोर्ट में अपील की। पंकज पाठक ने बताया, “हमारी अपील वहाँ स्वीकार कर ली गई और राहुल गाँधी को नोटिस जारी किया गया।”

बता दें कि राहुल गाँधी ने अपनी पार्टी का प्रचार करते हुए कहा था कि यदि कॉन्ग्रेस केंद्र में सरकार बनाती है, तो वह वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण करेगी। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को लाभ पहुँचाने के लिए संसाधनों का पुनर्वितरण करना होगा। राहुल ने कहा था, “जितनी आबादी, उतना हक।”

हैदराबाद की एक रैली में राहुल ने कहा था कि कि कांग्रेस सरकार बनने पर सबसे पहले जातिगत जनगणना कराई जाएगी। इसके बाद आर्थिक और संस्थागत सर्वेक्षण शुरू होगा। राहुल ने कहा, “हम पहले पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों और अन्य वर्गों की सही जनसंख्या और उनकी स्थिति जानने के लिए जातिगत जनगणना करेंगे। फिर भारत की संपत्ति, नौकरियाँ और अन्य कल्याणकारी योजनाएँ इन वर्गों की जनसंख्या के अनुपात में बाँटी जाएँगी।”

राहुल गाँधी ने सरकारी और बड़े उद्योगों में पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की कम भागीदारी को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “देश की 90 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की है, लेकिन इनका सरकारी नौकरियों और संसाधनों में हिस्सा नहीं है।”

राहुल गाँधी के इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर अल्पसंख्यकों के अधिकार घटाने का आरोप लगाते हुए तंज भी कसा था। पीएम मोदी ने कहा था, “पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते थे कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है, खासतौर से मुस्लिमों का। लेकिन अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि किसे पहले अधिकार मिलेंगे। क्या कांग्रेस अब अल्पसंख्यकों के अधिकार घटाना चाहती है?”

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