जिस भारत की खाते हैं उसी से जंग की बात कर गए राहुल गाँधी, फिर भी क्लीनचिट दे रहा था ‘द लल्लनटॉप’; क्या राहुल को विपक्षी नेता बने रहने का अधिकार है? आखिर किस भारत विरोधी देश के लिए कांग्रेस राष्ट्र से लड़ाई लड़ रही है?

सौरभ द्विवेदी, राहुल गाँधी (फोटो साभार : Kalinga Literature Festival / ANI)
मोदी-योगी विरोध में राहुल गाँधी और समूचा विपक्ष समझबूझ भूल ऊलजलूल बोल रहे हैं। लोक सभा में विपक्ष नेता राहुल गाँधी ने कांग्रेस कार्यालय उदघाटन के अवसर पर राष्ट्र से लड़ाई लड़ने पर समूचा विपक्ष क्यों चुप है? अगर यही बात बीजेपी के किसी नेता ने बोल दी होती, इसी विपक्ष ने देश में कोहराम मचा दिया होता, लेकिन राहुल द्वारा राष्ट्र से लड़ाई पर चुप्पी साधे रखना साबित करता है कि किसी को देश नहीं अपनी तिजोरी और कुर्सी की चिंता है। अगर विपक्ष इस घोर आपत्तिजनक बयान पर कांग्रेस के साथ खड़ी रहती है कांग्रेस के साथ-साथ इनका भी बहुत जल्दी पाताललोक में जाना तय है। आखिर किस भारत विरोधी देश के लिए कांग्रेस राष्ट्र से लड़ाई लड़ रही है? देश में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी आदि मुद्दों पर लड़ाई लड़ना अलग बात है लेकिन राष्ट्र से लड़ाई किसके लिए? 

द लल्लनटॉप के संपादक ‘पत्रकार’ सौरभ द्विवेदी ने 18 जनवरी को कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के विवादित बयान का बचाव करने की कोशिश की, लेकिन उनका यह प्रयास उल्टा पड़ गया। दरअसल, राहुल गाँधी ने हाल ही में भारतीय राज्य (Indian State) के खिलाफ अपनी लड़ाई की बात कही थी, जिस पर विवाद हो गया था। इस मामले में लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने बीजेपी को ही घेरने की कोशिश की और राहुल गाँधी के बयान का बचाव किया। ये अलग बात है कि शो में मौजूद राजनीतिक विश्लेषक रजत सेठी ने उन्हें आईना दिखाने में देरी नहीं की, जिसके बाद सौरभ द्विवेदी अपने दावे से पीछे हटते नजर आए।

राहुल गाँधी के बयान और बीजेपी के हमलों के बीच सौरभ द्विवेदी ने 18 जनवरी को अपने शो ‘नेता नगरी’ में राजनीतिक विश्लेषक रजत सेठी के साथ बातचीत के दौरान राहुल गाँधी का बचाव किया। सौरभ ने कहा, “जेपी नड्डा कह रहे हैं कि राहुल गाँधी ने भारत के खिलाफ लड़ाई की बात की है। जबकि राहुल गाँधी ने अपने भाषण में भारतीय सरकार (Indian Government) के खिलाफ लड़ाई का जिक्र किया था। भाजपा उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है।” सौरभ ने दावा किया कि राहुल गाँधी ने ‘बीजेपी, आरएसएस और भारतीय सरकार के खिलाफ’ लड़ाई की बात कही।

हालाँकि, रजत सेठी ने सौरभ द्विवेदी की इस बात को तुरंत गलत ठहराया। उन्होंने कहा, “सौरभ जी, राहुल गाँधी ने भारतीय सरकार नहीं, बल्कि भारतीय राज्य (Indian State) का जिक्र किया था। उन्होंने यह बयान अंग्रेजी में दिया था और उनके शब्द साफ-साफ थे।”

रजत सेठी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “भारतीय राज्य का मतलब भारतीय संविधान, उसकी संस्थाएँ और उसकी संरचना से है। राहुल गाँधी ने जो कहा, वह एक बड़ी चूक हो सकती है, लेकिन इसके निहितार्थ गंभीर हैं। अगर कोई भारतीय राज्य के खिलाफ बोलता है, तो यह देशद्रोह के दायरे में आता है। राहुल गाँधी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि उनकी लड़ाई और युद्ध भारतीय राज्य के खिलाफ है। वो कोई आम आदमी नहीं, बल्कि लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं।”

सौरभ द्विवेदी ने आखिरकार रजत सेठी की बात मानते हुए कहा, “हाँ, राहुल गाँधी ने अपने बयान में भारतीय सरकार नहीं, बल्कि भारतीय राज्य कहा था। यह मेरे द्वारा दी गई जानकारी में गलती थी।”

14 जनवरी को नई दिल्ली में कांग्रेस के नए हेडक्वार्टर के उद्घाटन के अवसर पर राहुल गाँधी ने अपने संबोधन में कहा, “यह मत सोचिए कि हम एक निष्पक्ष लड़ाई लड़ रहे हैं। अगर आप यह मानते हैं कि हम भाजपा और आरएसएस जैसे एक राजनीतिक संगठन से लड़ाई लड़ रहे हैं, तो यह सही नहीं है। उन्होंने देश की लगभग हर संस्था पर कब्जा कर लिया है। अब हम सिर्फ भाजपा और आरएसएस से नहीं, बल्कि भारतीय राज्य (Indian State) से लड़ रहे हैं।”

राहुल गाँधी के इस बयान पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “राहुल गाँधी खुलकर देश के खिलाफ बोल रहे हैं। यह कांग्रेस की मानसिकता को दिखाता है, जो देश के खिलाफ षड्यंत्र कर रही है।”

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “राहुल गाँधी का यह बयान देश के खिलाफ है। भारतीय राज्य का मतलब संविधान और उसकी संरचनाओं से है। ऐसे में राहुल गाँधी का यह बयान संविधान का अपमान है। कांग्रेस को इस पर तुरंत सफाई देनी चाहिए।”

बहरहाल, राहुल गाँधी के ‘भारतीय राज्य से लड़ाई’ वाले बयान ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा इसे देशविरोधी बयान करार दे रही है, जबकि कांग्रेस इसे भाजपा और आरएसएस के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बता रही है। इस विवाद में सौरभ द्विवेदी का राहुल गाँधी का बचाव करना और फिर अपनी गलती मानना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि इस बयान का आगामी चुनावों में कांग्रेसऔर राहुल गाँधी पर क्या असर पड़ता है।

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