फिल्म चेतना में अनिल धवन के साथ |
रेहाना के बारे में –
रेहाना सुल्तान का जन्म 19 नवम्बर, 1950 को इलाहाबाद में हुआ था. रेहाना पुणे के FTII से एक्टिंग से ग्रेजुएट हैं. साल 1970 में डायरेक्टर राजिंदर सिंह बेदी ने उन्हें 1970 में आयी फिल्म ‘दस्तक‘ में रोल दिया. रेहाना को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड मिला. इसके अलावा रेहाना ने ‘हार-जीत’ (1972), प्रेम-पर्वत (1973), किस्सा कुर्सी का (1977) जैसी कई फिल्मों में काम किया.
फिल्म चेतना में रेहाना ने एक सेक्स वर्कर और कॉल गर्ल की भूमिका निभाई थी. इस फिल्म में उनके कई अश्लील डायलॉग भी थे. जैसे वह अपने एक ग्राहक से कहतीं है कि “मैंने इतने मर्दों को नंगा देखा है कि मुझे कपड़े पहने हुए मर्दों से नफरत होने लगी है.” फिल्म का पोस्टर उस दौर में चर्चा का विषय बना था. जिसमें रेहाना ने न्यूड सीन दिया था. उस दौर में इस फिल्म को देखकर फिल्म क्रिटिक्स ने कहा था कि “रेहाना के रोल ने सारी परम्पराओं को तोड़ दिया है.”
फिल्म चेतना के दृश्य में |
कुछ समय बाद लोग इस फिल्म की कहानी तो भूल गए लेकिन रेहाना का किरदार उनके ज़हन से नहीं निकला. यह फिल्म करने के बाद रेहाना के पास इसी तरह की फिल्मों के रोल के ऑफर आने लगे जिन्हें उन्होंने ठुकरा दिया.
फिल्म दस्तक में संजीव कुमार के साथ |
70 के दशक में कई लोगों का यह भी कहना था कि रेहाना की फ्रेंड लिस्ट में सिर्फ मर्द हैं और वह सिर्फ तीन अक्षरों की कहानी हैं (सेक्स). इस फिल्म के बाद रेहाना ने कुछ साफ़ सुथरे रोल किये. जिन्हें दर्शकों से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली. इसके बाद रेहाना ने फ़िल्मी दुनिया से नाता तोड़ लिया.
रेहाना का मानना है कि चेतना फिल्म करना उनके जीवन की बड़ी भूल थी. जिसने उन्हें सेक्स सिंबल बना दिया. रेहाना को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा और साल 2013 में निर्देशक सुधीर मिश्रा ने उन्हें ‘इनकार’ फिल्म में काम करने का मौका दिया.
अवलोकन करें:--
पत्रकारिता से पूर्व और बाद तक फिल्म व्यवसाय से जुड़े होने के कारण इस चकाचौंध के पीछे क्या होता है, शायद ही कोई फिल्म समीक्षक अज्ञान हो। शायद यही कारण था, कि पूर्व में कोई महिला फिल्मों में काम करने को तैयार नहीं होती थी। ज्ञात हो, फ़िल्मी दुनियाँ के पितामाह दादा साहब फाल्के जब अपनी फिल्म में महिला का अभिनय कोई महिला ही करे, तो महिला की तलाश में वैश्यालय तक पहुँच गए थे, लेकिन वहाँ पहुँचने पर भी निराशा ही मिली, क्योकि उन्हें कहा गया था, "फिल्म में वही वैश्या काम करने को तैयार होगी, यदि तुम अपने किसी बच्चे से शादी करने को तैयार हो।" समय परिवर्तन के साथ, आज जिसे देखो फ़िल्मी नगरी की ओर खींचा जा रहा है।खैर, अब सब इतिहास बन चूका है।
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