
'बेदम है पुलिस की थ्योरी'
मृतक विवेक तिवारी की दोस्त बताती हैं कि पुलिस की इस थ्योरी में दम नहीं है जिसमें पुलिस का कहना था कि प्रशांत चौधरी ने जिस वक्त गोली चलाई उस समय कार रुकी हुई थी। सच तो ये है कि गोली लगने के बाद भी विवेक तिवारी ने उसे बचाने के लिए कार चलाते रहे। कुछ सफर तय करने के बाद कार एक खंबे से टकरा गई और विवेक सीट पर पीछे की तरफ गिर गए और उनका सिर एक तरफ लुढ़क गया। उस वक्त भी उनकी सांसें चल रही थी।
मृतक विवेक तिवारी की दोस्त बताती हैं कि पुलिस की इस थ्योरी में दम नहीं है जिसमें पुलिस का कहना था कि प्रशांत चौधरी ने जिस वक्त गोली चलाई उस समय कार रुकी हुई थी। सच तो ये है कि गोली लगने के बाद भी विवेक तिवारी ने उसे बचाने के लिए कार चलाते रहे। कुछ सफर तय करने के बाद कार एक खंबे से टकरा गई और विवेक सीट पर पीछे की तरफ गिर गए और उनका सिर एक तरफ लुढ़क गया। उस वक्त भी उनकी सांसें चल रही थी।
अवलोकन करें:--
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए साक्षात्कार में विवेक की दोस्त बताती हैं कि जितनी भी जान उनमें बची थी, उतने में वो गाड़ी आगे बढ़ाते गए। वो बताती हैं कि पुलिस और मीडिया के कुछ हिस्सों में जो खबरें चल रही है कि कार रुकी थी पूरी तरह गलत है। सड़क के मध्य में कार नहीं चल रही बल्कि सड़क के बाएं हिस्से में कार थी और सिपाहियों को भड़काने वाला काम उन लोगों की तरफ से नहीं किया गया था।
मृतक विवेक की दोस्त बताती हैं कि कार को उस तरह से नुकसान नहीं पहुंचा था जो खबरों में बताया या दिखाया जा रहा था। अगर कार को नुकसान पहुंचता तो उसे खुद चोट लगती। विवेक की दोस्त कहती हैं कि जब वो आंखें बंद करती हैं तो पूरा सीन उनके सामने नजर आने लगता है। पिछले चार दिनों से वो ठीक से सो नहीं पा रही हैं और ना ही कुछ खाया है।
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