
राहुल गांधी अक्टूबर 6 को जबलपुर पहुंचकर नर्मदा नदी की आरती उतारी और मुरैना में गंगा सद्भावना यात्रा का बैनर थामकर अपना समर्थन जताया। कांग्रेस अध्यक्ष ने जबलपुर के ग्वारीघाट पर नर्मदा नदी की आरती की। इस दौरान राहुल गांधी के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया और महासचिव दीपक बावरिया भी थे।
कांग्रेस अध्यक्ष @RahulGandhi और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अन्य नेतागण जबलपुर के पास ग्वारी घाट पर मां नर्मदा का पूजन करते हुए। #CongressSankalpYatra
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गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने जो हिन्दू नाम का चोला ओढ़ा है, आज तक नहीं उतारा।कभी शिव भक्त बन रहे हैं, तो कभी राम भक्त। हैरानी की बात यह है कि जो राहुल गाँधी मन्दिर जाने वालों को आरोपित करते नहीं थकते थे, आज कुर्सी की खातिर मन्दिर मन्दिर के चक्कर काट रहे हैं, अब इसे पाखण्ड नहीं कहा जाए, तो क्या नाम दिया जाए। दूसरे यह कि पहले राहुल तो क्या कांग्रेस को हिन्दुत्व की बात करने पर साम्प्रदायिकता नज़र आती थी। इतना ही नहीं, कोर्ट में लंबित अयोध्या में राममन्दिर मुद्दे पर पुरातत्व विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक डॉ के.के.मोहम्मद के अनुसार खुदाई में मन्दिर के बहुत प्रमाण मिले थे, लेकिन कांग्रेस के सहयोग से वामपंथी इतिहासकारों ने सारे प्रमाण छुपाकर केवल एक ही खम्बा दिखाकर कोर्ट को धोखा दिया। यदि आज भी कोर्ट के समक्ष खुदाई में मिले सारे प्रमाण प्रस्तुत कर दिए जाएं, दुनियाँ की ताकत अयोध्या में मस्जिद नहीं राममन्दिर बनने से कोई नहीं रोक सकता।परन्तु कांग्रेस में विराजमान समस्त हिन्दू कुछ नहीं बोलते, विपरीत इसके मन्दिर मन्दिर जाने के विवाद पर राहुल के पक्ष में खड़े हो रहे हैं।
कुछ दिन पहले जब 17 सितंबर को राहुल गांधी ने भोपाल में रैली की थी, तब कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौट कर आए राहुल पोस्टरों में ‘शिवभक्त’ के रूप में नजर आए थे।
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