आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
सेवानिर्वित होने उपरान्त एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते जनवरी 2013 के अंक में कश्मीर समस्या पर अपनी रपट में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी का कश्मीर विरोधी संगठन में पदाधिकारी होने को प्रकाशित किया था। आज जिसे देखो कश्मीर समस्या के लिए प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी करार देते रहते हैं, लेकिन नेहरू की उस परिपाटी को आगे बढ़ाने वालों को क्यों नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है, समझ से दूर है। किसी कांग्रेस विरोधी तो क्या किसी मीडिया ने भी इस मुद्दे पर चर्चा तक नहीं की।
और जहाँ तक सोनिया के रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी केजीबी के साथ सम्बन्धों की बात है, यह कोई ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं। क्योंकि कांग्रेस और केजीबी का चोली दामन का साथ रहा है, जिसे कोई भी वरिष्ठ राजनेता झुठला नहीं सकता। भूतपूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, और इनके समकालीन किसी भी नेता से पूछिए कि "तत्कालीन भारतीय जनसंघ के वरिष्ठ निर्भीक एवं जुझारू नेता प्रो बलराज मधोक ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी से संसद में ऐसा कौन-सा प्रश्न किया था, जिसका सत्तारूढ़ कांग्रेस खेमे से किसी प्रतिक्रिया होने पूर्व वाजपेयी ने हाज़िर जवाब की भाँति तुरन्त खड़े होकर, तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष से उस ज्वलन्त प्रश्न को सदन की कार्यवाही से निकालने का अनुरोध करते ही प्रो मधोक को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा करने के साथ ही प्रो मधोक के लिए जनसंघ से अलग स्थान देने को कहा था।" उन दिनों चर्चा थी परन्तु वाजपेयी ने सारा खेल बिगाड़ा ही नहीं, बल्कि रहस्य को हमेशा के लिए दफ़न कर दिया। वाजपेयी अपने लच्छेदार बातों और कविताओं से मनोरंजन कर सकते थे, लेकिन ऐसे दबंग प्रश्न करने का साहस नहीं था, वह साहस था केवल प्रो बलराज मधोक में। और मधोक के पीछे विपक्ष के दूसरे नेताओं के अतिरिक्त कुछ कांग्रेस सांसदों का भी गुप्त रूप से सहयोग था, जो उस प्रश्न की चर्चा होने पर ही सामने आते। क्योंकि उन दिनों केवल वही समाजसेवी राजनीती में आते थे, जिन्हे अपनी तिजोरी की चिन्ता नहीं होती थी। उनके लिए देशहित सर्वोपरि होता था। वह केवल आपत्तिजनक प्रश्न नहीं था, बल्कि रूस और केजीबी से सम्बन्धित अनेको रहस्यों को उजागर करने का स्वर्णमयी अवसर था।
सोशल मीडिया के जरिए साजिश
हॉवर्ड ने अमेरिकी मीडिया को सलाह देते हुए कहा है कि भारतीय चुनावों से जुड़ी खबरों में वो अतिरिक्त सावधानी बरतें। न कि ट्विटर पर फैलाए जाने वाले प्रोपोगेंडा पर भरोसा कर लें। उनकी राय में भारत और ब्राजील जैसे लोकतांत्रिक देश अमेरिका के सबसे बड़े सहयोगी हैं। रूस उन्हें अपने असर में लेना चाहता है और चाहता है कि वहां पर उसकी पसंद की सरकारें सत्ता में रहें। पहले भी यह खबर आती रही है कि रूसी प्रशासन नरेंद्र मोदी के भारत का प्रधानमंत्री बनने को लेकर सहज नहीं था। उसकी राय में कांग्रेस जब सत्ता में होती है तो भारत अमेरिका के बजाय रूस से रिश्तों को ज्यादा महत्व देता है। यही कारण है कि केजीबी मोदी को सत्ता से हटाकर सोनिया को लाने की कोशिश कर रहा है।
सोनिया और केजीबी के गुप्त रिश्ते
बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी हमेशा से दावा करते रहे हैं कि सोनिया गांधी के रूसी एजेंसी केजीबी से रिश्ते हैं। वो बिना नाम लिए यहां तक दावा करते हैं कि सोनिया दरअसल रूसी जासूस हैं जिन्हें केजीबी ने देश के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार में बहू के तौर पर प्लांट कराया है। स्वामी के मुताबिक इंदिरा और राजीव गांधी की हत्याओं के पीछे भी केजीबी का ही हाथ था। यहां यह जानकारी देना अहम है कि सोनिया गांधी के पिता एंटोनियो माइनो रूसी एजेंसी केजीबी के जासूस रहे हैं। कुछ समय पहले सोनिया गांधी रूस की सीक्रेट यात्रा पर भी गई थीं। कहा गया था कि वो वहां इंदिरा गांधी पर एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगी, लेकिन स्वामी के सूत्रों के मुताबिक मॉस्को में सोनिया ने कई संदिग्ध लोगों के साथ बैठकें की थीं। तभी यह सवाल उठा था कि आखिर रूस यात्रा में ऐसा क्या था कि सोनिया ने उसकी जानकारी छिपाने की कोशिश की।
रूस के हाथों की कठपुतली सोनिया!
आईबी के ज्वाइंट डायरेक्टर रहे मलय कृष्ण धर और कांग्रेस के सीनियर नेता नटवर सिंह ने भी सोनिया गांधी के रूस से करीबी रिश्तों का जिक्र अपनी किताबों में किया है। मोदी सरकार बनने के बाद दिसंबर 2014 में रूसी राष्ट्रपति पुतिन जब भारत आए थे, उस वक्त भी उनकी सोनिया गांधी के साथ विशेष मुलाकात हुई थी। इसी तरह राहुल गांधी और चीन के दूतावास के अधिकारियों की गुपचुप मुलाकातें भी अक्सर सुर्खियों में आती रही हैं। 20 जुलाई 2018 को अविश्वास प्रस्ताव के दिन संसद के अंदर जिस तरह से राहुल गांधी ने भारत-फ्रांस के बीच राफेल समझौते को लेकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति के नाम पर झूठ बोला उससे अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि कांग्रेस के जरिए चीन और रूस की खुफिया एजेंसियां भारत के रक्षा सहयोगी देशों को टारगेट कर रही हैं।
आप सुब्रह्मण्यम स्वामी का ट्वीट देख सकते हैं। माना जाता है कि स्वामी सोनिया के लिए कोड नेम TDK इस्तेमाल करते हैं।
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