इंड्रस्ट्री में रेप नहीं होता, सब कुछ सहमति से होता है -- #metoo पर शिल्पा शिंदे

Shilpa Shindeजब से बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने #MeToo आंदोलन की शुरुआत की तब से अब तक कई लोगों के नाम इसमें सामने आ चुके हैं, जिन्होंने खुद को #MeToo का हिस्सा नहीं बनाया वह महिलाएं उनका सपोर्ट कर रही हैं जो यह हिम्मत जुटा पा रही हैं. लेकिन अक्टूबर 11 को लोकप्रिय टेलीविजन एक्ट्रेस और 'बिग बॉस 11' की विनर शिल्पा शिंदे ने कुछ ऐसा कह दिया जो #MeToo आंदोलन को खारिज करने जैसा है. 
बकवास है #MeToo
शिल्पा शिंदे पिछले साल खुद ही 'भाबी जी घर पर हैं' के निर्माता संजय कोहली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा चुकी हैं, लेकिन अब #MeToo पर किए सवाल पर कुछ अलग ही तेवर में नजर आ रही हैं. एक खबर के मुताबिक शिल्पा ने #MeToo आन्दोलन पर किए सवाल पर मीडिया से कहा, 'जब जो घटना हो उसके बारे में तभी आवाज भी उठाना चाहिए, क्योंकि बाद में बोलने का कोई फायदा नहीं है.' उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 'यह बकवास है, आपको उसी समय मामले के खिलाफ तेज आवाज में बोलना चाहिए.  यह आद में बोलने से काफी आसान है. आपको उस समय उस मामले के बारे में बात करनी चाहिए. मुझे भी अपने अतीत से यह सबक मिला है. जब होता है, तभी बोलो - बाद में बोलने का कोई फायदा नहीं, यह बेकार है.'
शिल्पा की बातें सुनकर कहा जा सकता है कि वह उस समय अपनी बात पर आई लोगों की प्रतिक्रियाओं से आहत होकर ऐसी बात कर रही हैं. वह बोलती हैं, 'बाद में आप आवाज उठाते हैं, तो कोई नहीं सुनेगा, सिर्फ विवाद होगा कुछ और नहीं. आपको उस समय केवल कॉल करना होगा जब ऐसा होता है और जाहिर है, क्योंकि महिलाओं को शक्ति की जरूरत है, जो तुरंत एक्शन पर ज्यादा काम करती है.'
इंडस्ट्री को बदनाम कर रहे हैं लोग 
लेकिन इस सब के बाद शिल्पा ने जो बोला वह चौंकाने वाला था, शिल्पा ने कहा, 'ईमानदारी से मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहती, क्योंकि इस समय जो भी हो रहा है वह इंडस्ट्री को बदनाम करने वाला है. क्योंकि यहां कोई भी अनजान नहीं है यहां जो भी होता है वह मीचुअल है यहां हैरेस्मेंट जैसी कोई बात ही नहीं है. लोग मिलकर इंडस्ट्री के बारे में गलत बातें फैला रहे हैं कि यहां ऐसा होता है यहां वैसा होता है.' मालूम हो कि शिल्पा शिंदे ने ‘भाभी जी घर पर है’ के निर्माता के ऊपर सेक्सुअल हारसमेन्ट का आरोप लगाया था.
शिल्पा ने कहा कि 'अगर बात की जाए तो यह सिर्फ बॉलीवुड की हालत नहीं है कोई भी इंडस्ट्री पूरी तरह सही या पूरी तरह गलत नहीं है. आपको तय करना है कि आपको अपने आसपास कैसे लोग रखने है. मैं यह अनुभव कर चुकी हूं.
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पत्रकारिता से पूर्व और बाद तक फिल्म व्यवसाय से जुड़े होने के कारण इस चकाचौंध के पीछे क्या होता है, शायद ही कोई फिल्म समीक्षक अज्ञान हो। शायद यही कारण था, कि पूर्व में कोई महिला फिल्मों में काम करने को तैयार नहीं होती थी। ज्ञात हो, फ़िल्मी दुनियाँ के पितामाह दादा साहब फाल्के जब अपनी फिल्म में महिला का अभिनय कोई महिला ही करे, तो महिला की तलाश में वैश्यालय तक पहुँच गए थे, लेकिन वहाँ पहुँचने पर भी निराशा ही मिली, क्योकि उन्हें कहा गया था, "फिल्म में वही वैश्या काम करने को तैयार होगी, यदि तुम अपने किसी बच्चे से शादी करने को तैयार हो।" समय परिवर्तन के साथ, आज जिसे देखो फ़िल्मी नगरी की ओर खींचा जा रहा है।खैर, अब सब इतिहास बन चूका है।
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इसके साथ ही उन्होने इन्ड्रस्ट्री की कई बातों को साझा करते हुए कहा कि, मैंने देखा है कि जब कभी भी लड़कियां इस इन्ड्रस्ट्री में काम मांगने जाती है तो वे जानबूझकर शॉट्स पहनकर जाती है, अगर आपके पास टेलेंट है तो आपको जरूर काम मिल जाएगा.
शिल्पा की बातों में बहुत वजन है, जरुरत है, इस विषय पर गम्भीर चिन्तन एवं मन्थन की। इतने वर्षों बाद गड़े मुर्दे निकालना कोई बुद्धिमानी नहीं।  
शिल्पा शिंदे से जब उनके साथ हुए सेक्सुअल हरेसमेंट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब इस मामले के बारे में कुछ कहने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि अब काफी समय हो चुका है. जब मेंरे साथ ऐसा हुआ था, तब मेरी हेल्प करने कोई नहीं आया था, मैं अकेली थी, लेकिन आज अच्छा है एक महिला अपने साथ हुई घटनाओं को लेकर आगे आ रही है.
इस अभियान ने महिलाओं को एक ऐसा मंच दिया है, जो कि उन्हें अपने साथ हुए यौन दुराचार को लेकर खुलकर बोलने की आजादी दे रहा है, अभी तक इस अभियान के चलते नाना पाटेकर, आलोक नाथ, साजिद खान, कैलाश खैर, और सुभाष घेई भी आ चुके है.










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