आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
नवंबर 18 को पंजाब में निरंकारियों की धार्मिक सभा हुए आतंकवादी हमले पर पंजाब आम आदमी पार्टी के नेता एच.एच.फुल्का द्वारा आर्मी पर आरोप लगा गया है, ख़बरों के बाजार में चलते हैं, जहाँ अरविन्द केजरीवाल का देश में अराजकता फ़ैलाने वालों के साथ सम्बन्धों पर इतना प्रकाशित हुआ है, जिसके निष्कर्ष से ज्ञान पड़ता है कि केजरीवाल पार्टी बदलाव करने की बातों से जनता को भ्रमित कर देश को किस खतरनाक आग में धकेल रही हैं। लगता है केजरीवाल पार्टी भारत को सीरिया बनाना चाहती हैं।
कुछ ही माह पूर्व यानि अक्टूबर महीने में रिपब्लिक टीवी ने अपने चैनल पर एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाया था, जिसमें खालसा दल के लीडर ने दावा किया है कि उनके ग्रुप ने आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब में कैम्पेनिंग की थी और साथ ही उनको फंडिंग भी की। जाहिर है ये बहुत बड़ा खुलासा है क्योंकि इससे देश के राजनीतिक दलों का देश तोड़ने वालों से संबंध जगजाहिर हो गया है।
Khalistani supporter openly claims they funded and campaigned for AAP during Punjab elections. And Arvind Kejriwal once said we came to change politics. You have changed a lot Sir by partnering with break India forces. #AntiIndiaAAP
Via - @republic
इन बिंदुओं से समझिए स्टिंग के खुलासे को
- पंजाब के चुनाव में खालिस्तानी आतंकवादी संगठन ने केजरीवाल को फंडिंग की।
- दिल्ली में खालिस्तानी आतंकवादियों को उच्च सरकारी पदों पर स्थान दिलाने का केजरीवाल ने वादा किया।
- पंजाब में खालिस्तानी आतंकवादी संगठन को केजरीवाल ने राजनीतिक और कानूनी सहायता प्रदान करने का वादा किया।
- खालिस्तान के रूप में एक अलग देश स्थापित करने के लिए केजरीवाल के साथ समझौता हुआ
- हालांकि केजरीवाल की पंजाब चुनावों मिली हार के बाद खालिस्तानी आतंकवादी संगठन केजरीवाल से नाराज हो गया।
- AAP & Saint Kejriwal got Funds n supports from break India Separatists of Khalistan.His leaders visited abroad to meet these terror groups who r working with ISI n supported referendum 2020.That’s why he questioned Surgical Strikes
For power,he will SELL India!#AntiIndiaAAP
याद होगा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी 6 जून से दो दिन पहले 4 जून, 2018 को पंजाब पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी थी। पुलिस ने नवांशहर में तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर उनसे हथियार भी बरामद किए थे। इन आतंकियों का प्रतिबंधित आंतकवादी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फैडरेशन (ISYF)से सीधा संबंध था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से समर्थन हासिल था। गिरफ्तार आतंकी जगरूप, गुरमेल और गुरदयाल सिंह से पूछताछ में खुलासा हुआथा कि देश की संप्रभुता और शांति को नुकसान पहुंचाने की उनकी बड़ी साजिश थी, लेकिन सबसे हैरत करने वाली बात इस नेटवर्क का मुखिया गुरदयाल सिंह का आम आदमी पार्टी से कनेक्शन होना है। जीहां, इस आतंकी गुट के मुखिया गुरदयाल सिंह नाम के आतंकी का आम आदमी पार्टी से कनेक्शन कई सवाल खड़े कर रहा है।
गिरफ्तार तीनों आतंकी पाकिस्तान के कनेक्शन में था और तीनों को आईएसआई ने प्रशिक्षण देकर पंजाब में आतंकवादी हमले करने तथा ‘पंथ विरोधी व्यक्तियों’ को निशाना बनाने का कार्य सौंपा गया था। इतना ही नहीं पाकिस्तान में मौजूद ISYF का मुखिया लखबीर रोडे ने पंजाब से लगे प्रांतों में भी तबाही का संदेश दिया था। ISYF खालिस्तान समर्थक संगठन है और इसे पाकिस्तानी ISI समर्थन देती है।
भारत में गुरदयाल सिंह इस आंतकवादी गिरोह का मुखिया था और जर्मनी के बलबीर सिंह संघू ने लखबीर सिंह रोडे से उसकी मुलाकात करवाई थी। रोडे इस समय लाहौर के छावनी क्षेत्र में आई एस आई द्वारा मुहैया करवाये गये सुरक्षित घर में रह रहा है। गुरदयाल 6-7 वर्षो से धार्मिक जत्थों के साथ पाकिस्तान की यात्रा करते समय कई बार रोडे को मिला था। गुरदयाल सिंह ने नवंबर, 2016 के अपने अंतिम पाकिस्तानी दौरे के दौरान जगरूप सिंह के लिए वीजे का प्रबंध किया था और वह एक जत्थे के साथ लाहौर गया था। 12 से 21 नवंबर, 2016 तक लाहौर में ठहरने के दौरान बलबीर सिंह द्वारा जगरूप ने रोडे एवं हरमीत से मुलाकात की थी।
गुरदयाल का ‘आप’ से ये है कनेक्शन
आतंकी गुरदयाल सिंह ने हाल ही में गढ़शंकर के गांव रोडमाजरा में ‘आप’ नेताओं के साथ प्रचार किया था और स्टेज साझा किया था। जब गुरदयाल सिंह को पकड़ा गया तो ‘आप’ के स्थानीय नेता उसकी पैरवी करने उसके समर्थन में पहुंचे थे। जाहिर है आम आदमी पार्टी की कथनी करनी में साफ फर्क है। यानि आप कह सकते हैं ‘आप’ को देश तोडऩे वाली ताकतों से किसी प्रकार का कोई परहेज नहीं है और ‘आप’ आतंकी संगठनों के साथ मिलकर पंजाब और देश का माहौल खराब करने में लगी है।
आतंकी गुरदयाल सिंह ने हाल ही में गढ़शंकर के गांव रोडमाजरा में ‘आप’ नेताओं के साथ प्रचार किया था और स्टेज साझा किया था। जब गुरदयाल सिंह को पकड़ा गया तो ‘आप’ के स्थानीय नेता उसकी पैरवी करने उसके समर्थन में पहुंचे थे। जाहिर है आम आदमी पार्टी की कथनी करनी में साफ फर्क है। यानि आप कह सकते हैं ‘आप’ को देश तोडऩे वाली ताकतों से किसी प्रकार का कोई परहेज नहीं है और ‘आप’ आतंकी संगठनों के साथ मिलकर पंजाब और देश का माहौल खराब करने में लगी है।
अक्टूबर 2015 में पंजाब में एक हफ्ते में गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने की पांच रिपोर्ट्स आई थी। जालंधर, लुधियाना, अमृतसर के तरन तारन, कोट कपूरा और बठिंडा में ये घटनाएं घटी थीं। पंजाब में धार्मिक भावनाएं भड़क उठीं थीं और पंजाब में गुस्से की चिंगारी सुलग रही थी। आम आदमी पार्टी इस आग को और भड़काने में लगी थी।
बादल ने भी उठाए थे सवाल
तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा था कि वह ”कुछ ऐसी शक्तिशाली ताकतों द्वारा की जा रही गहरी साजिश को देख रहे हैं जिनकी कोशिश राज्य में फिर से आतंकवाद को जिंदा करने की है।” जाहिर है 2016 में पंजाब में चुनाव थे और आम आदमी पार्टी चुनाव जीतने की जद्दोजहद में जोर-शोर से लगी हुई थी। पंजाब सरकार के तत्कालीन मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी आम आदमी पार्टी के चरित्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि विदेशों में खालिस्तान समर्थकों से फंड ले रहे हैं केजरीवाल। जाहिर है सवाल फिर वही कि क्या पंजाब में ‘आग’ भड़काने की साजिश में आम आदमी पार्टी भी शामिल थी?
तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा था कि वह ”कुछ ऐसी शक्तिशाली ताकतों द्वारा की जा रही गहरी साजिश को देख रहे हैं जिनकी कोशिश राज्य में फिर से आतंकवाद को जिंदा करने की है।” जाहिर है 2016 में पंजाब में चुनाव थे और आम आदमी पार्टी चुनाव जीतने की जद्दोजहद में जोर-शोर से लगी हुई थी। पंजाब सरकार के तत्कालीन मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी आम आदमी पार्टी के चरित्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि विदेशों में खालिस्तान समर्थकों से फंड ले रहे हैं केजरीवाल। जाहिर है सवाल फिर वही कि क्या पंजाब में ‘आग’ भड़काने की साजिश में आम आदमी पार्टी भी शामिल थी?
राज्य में उस वक्त विघटनकारी ताकतों के मंसूबों के नाकाम कर दिया गया था। लेकिन ये अब भी ये जांच का विषय है कि आखिर पंजाब को सुलगाने की किसने कोशिश की थी। दरअसल ये सवाल इसलिए भी कि आम आदमी पार्टी को पंजाब चुनाव के लिए फंडिंग पर सवाल उठाए जा रहे थे। कपिल मिश्रा, कैलाश विजय वर्गीय और पंजाब के दिवंगत डीजीपी केपीएस गिल ने भी आम आदमी पार्टी के खालिस्तान प्रेम और ISI कनेक्शन को लेकर सवाल उठाए थे।
AAP ने गिल को नहीं दी श्रद्धांजलि
बीते 26 मई को पंजाब में आतंकवाद का खात्मा करने वाले पूर्व डीजीपी ‘सुपरकॉप’ केपीएस गिल का निधन हो गया। उनके निधन के बाद सभी पार्टियों के नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी, लेकिन जिस एक पार्टी ने केपीएस गिल को याद करने तक की जरूरत नहीं समझी वो थी आम आदमी पार्टी। केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के किसी भी नेता ने न तो ट्विटर न ही किसी और जरिए से केपीएस गिल को श्रद्धांजलि दी।
बीते 26 मई को पंजाब में आतंकवाद का खात्मा करने वाले पूर्व डीजीपी ‘सुपरकॉप’ केपीएस गिल का निधन हो गया। उनके निधन के बाद सभी पार्टियों के नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी, लेकिन जिस एक पार्टी ने केपीएस गिल को याद करने तक की जरूरत नहीं समझी वो थी आम आदमी पार्टी। केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के किसी भी नेता ने न तो ट्विटर न ही किसी और जरिए से केपीएस गिल को श्रद्धांजलि दी।
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने इसे लेकर सवाल भी उठाया है और इसका कारण पूछा था। उन्होंने लिखा था कि- ”बीजेपी और कांग्रेस ने केपीएस गिल को श्रद्धांजलि देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अकाली दल चुप रही यह बात समझ में आती है, लेकिन आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अपने मुंह बंद क्यों कर रखे हैं?”
BJP & Cong have paid fulsome tributes to #KPSGill Can understand Akali silence as old hypocrisy. But why is AAP leadership so tongue-tied
क्यों चुप हैं केजरीवाल?
ये आरोप लगातार लगते रहे हैं कि पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों से पैसे लेकर मैदान में उतरी थी। यहां तक कि पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भी पंजाब चुनाव के लिए पार्टी की फंडिंग पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए करोड़ों रुपये आम आदमी पार्टी के पास कहां से आए इस बात की जांच होनी चाहिए।
ये आरोप लगातार लगते रहे हैं कि पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों से पैसे लेकर मैदान में उतरी थी। यहां तक कि पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भी पंजाब चुनाव के लिए पार्टी की फंडिंग पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए करोड़ों रुपये आम आदमी पार्टी के पास कहां से आए इस बात की जांच होनी चाहिए।
पंजाब चुनाव से ठीक पहले केपीएस गिल ने ही आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की पोल खोली थी। उन्होंने कहा था कि अगर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो राज्य में आतंकवाद की वापसी से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने राज्य में अपने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि आम आदमी पार्टी और खालिस्तानी आतंकी संगठनों के बीच बेहद करीबी रिश्ते हैं। पंजाब में दोबारा मजबूत होने के लिए ये संगठन मौके की तलाश में हैं और आम आदमी पार्टी इसके लिए उनकी मददगार बनने को राजी हुई है।
आतंकवादी के घर पर रुके थे केजरीवाल!
एक और वाकया इसी से जुड़ा हुआ है। पंजाब चुनाव प्रचार के वक्त भी केजरीवाल हथियार डाल चुके एक आतंकवादी के घर पर रुके थे, जिसके बाद इसे लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। चुनाव प्रचार से पहले फंड जुटाने के लिए आम आदमी पार्टी के कई नेता यूरोपीय देशों के दौरे पर गए थे। इनमें से कुछ की तस्वीरें सामने भी आई थीं। माना जा रहा है कि केजरीवाल की चुप्पी इसी कारण से थी।
एक और वाकया इसी से जुड़ा हुआ है। पंजाब चुनाव प्रचार के वक्त भी केजरीवाल हथियार डाल चुके एक आतंकवादी के घर पर रुके थे, जिसके बाद इसे लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। चुनाव प्रचार से पहले फंड जुटाने के लिए आम आदमी पार्टी के कई नेता यूरोपीय देशों के दौरे पर गए थे। इनमें से कुछ की तस्वीरें सामने भी आई थीं। माना जा रहा है कि केजरीवाल की चुप्पी इसी कारण से थी।
कैलाश विजय वर्गीय ने भी उठाए थे सवाल
बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी पंजाब में आम आदमी पार्टी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कहा था कि पंजाब से ही जानकारी मिली है कि विदेश में खालिस्तान के कई समर्थक हैं, जोकि आम आदमी पार्टी का समर्थन फंडिग के तौर पर कर रहे हैं। कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी को मिल रहे चंदे में गड़बड़ी है। लिहाजा इसकी जांच होनी चाहिए।
बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी पंजाब में आम आदमी पार्टी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कहा था कि पंजाब से ही जानकारी मिली है कि विदेश में खालिस्तान के कई समर्थक हैं, जोकि आम आदमी पार्टी का समर्थन फंडिग के तौर पर कर रहे हैं। कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी को मिल रहे चंदे में गड़बड़ी है। लिहाजा इसकी जांच होनी चाहिए।
बहरहाल केजरीवाल की चुप्पी और केपीएस गिल को श्रद्धांजलि नहीं देने पर तो सवाल थे ही अब आम आदमी पार्टी से कनेक्टेड आतंकी गुरदयाल का पकड़ा जाना आम आदमी पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
अवलोकन करें:--
अवलोकन करें:--
क्या वकील को फंसाने केजरीवाल ने भेजी ‘विषकन्या’?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे वकील प्रशांत पटेल ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि अरविंद केजरीवाल ने एक लड़की के जरिए उन्हें फंसाने की कोशिश में हैं। प्रशांत पटेल ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार के तहत 21 संसदीय सचिव बनाने के फैसले को चुनौती दी थी। इस मामले की कानूनी लड़ाई अपने आखिरी दौर में है और बहुत जल्द आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द हो सकती है। इस मामले पर चुनाव आयोग में सुनवाई चल रही है। पहले 16 मार्च को ये सुनवाई होनी थी। लेकिन अब ये 27 मार्च तक टल गई है। आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के आगे अर्जी दी थी कि वकील उपलब्ध न होने के कारण वो आखिरी सुनवाई पर हाजिर नहीं हो सकेंगे, लिहाजा इसकी तारीख आगे बढ़ाई जाए।
क्या है प्रशांत पटेल का आरोप?
वकील प्रशांत पटेल ने सोशल मीडिया के जरिए आरोप लगाया है कि “आम आदमी पार्टी मुझे फंसाने के लिए गंदे तरीके इस्तेमाल कर रही है। उनकी एक एजेंट लड़की गुजरात में मेरे एक दोस्त के जरिए मुझे फोन कर रही है और मिलने की कोशिश में है, ताकि मुझे हनीट्रैप (सेक्स का लालच देकर फंसाना) किया जा सके।” प्रशांत पटेल ने फेसबुक और ट्विटर पर लिखा है कि वो मुझे अब तक समझ नहीं पाए हैं। गलत आदमी के साथ वो ऐसी कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले पिछले साल भी प्रशांत पटेल के साथ ऐसी ही कोशिश की गई थी। तब भी उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बात का जिक्र किया था। उनका अभी का ताजा ट्वीट और पिछले साल का ट्वीट आप नीचे देख सकते हैं।
AAP doing dirty tricks again to trap me. Now their agent girl calling through my Gujarat friend to meet her so that I cud be honey trapped.
AAP is going another low level, trying to Honey Trap me, but they have mistaken me.
9:43 PM - Oct 4, 2016
केजरीवाल से क्या है दुश्मनी?
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार बनने के बाद 21 विधायकों को मंत्रालयों में संसदीय सचिव के तौर पर तैनात किया गया था। हाई कोर्ट के वकील प्रशांत पटेल ने इसे लाभ के पद का मामला बताते हुए कोर्ट में याचिका डाली और अब तक की कानूनी कार्यवाही को देखते हुए यही लग रहा है कि एक झटके में केजरीवाल के 21 विधायक अयोग्य ठहराए जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो केजरीवाल सरकार के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा हो सकता है। फिलहाल ये मामला अपने आखिरी दौर में है। 27 मार्च को चुनाव आयोग में इस मसले पर फाइनल सुनवाई होनी है। संभावना जताई जा रही है कि चुनाव आयोग इन सभी 21 विधायकों की सदस्यता अवैध ठहरा सकता है। इसी कारण प्रशांत पटेल हमेशा से ही केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के टारगेट पर रहे हैं।
No comments:
Post a Comment