3 राज्यों में बीजेपी को मिली हार, सीएम योगी ने बताई यह बड़ी वजह

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि जनता के समर्थन ने हमारी आगे की लड़ाई को आसान कर दिया है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एक दिवसीय दौरे पर बिहार की राजधानी पटना पहुंचे थे. सीएम योगी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी के खिलाफ आए चुनावी नतीजों पर कहा कि दोनों ही राज्यों में कुछ लोगों ने झूठ फैलाया, लेकिन हमनेप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अच्छा मुकाबला किया.  
मध्य प्रदेश में बीजेपी वोट ज्यादा सीटें कम
बता दें कि मध्य प्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस से करीब 1 लाख वोट ज्यादा वोट मिले थे, बावजूद इसके वहां पर अधिक सीटें कांग्रेस को मिलीं. वहीं, राजस्थान में बीजेपी को 38.8 फीसदी और कांग्रेस को 39.3 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. 

बीजेपी को मिला जनता का समर्थन- सीएम योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चुनावी नतीजे बताते हैं कि जनता ने हमें समर्थन दिया है और जनता के इस समर्थन से हमारा आगे का मुकाबला आसान हो गया है. उन्होंने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में लोगों ने मेरे बयान को लेकर जनता के सामने झूठ बोला. सीएम योगी ने हनुमान की जाति बताने वाले बयान पर सफाई दी. उन्होंने कहा कि मैंने बजरंगबली की जाति नही बताई थी. मैंने इस बात को कहा था कि देवत्व हर व्यक्ति के कृतित्व में समाहित होता है. उस देवत्व को हर कोई प्राप्त कर सकता है. इस के सबसे बड़े उदहारण बजरंगबली हैं.’

लोकतंत्र में हार और जीत दोनों होती हैं- योगी
वहीं, योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हार और जीत सबके लिए होती है. लोकतंत्र में हार और जीत दोनों बनी रहती है. इसे एक तराजू के दो पलड़े के रूप में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमने जीत स्वीकार की है, तो हम हार भी स्वीकार करते हैं. इसके साथ ही कांग्रेस पर हमला बोलते हुए योगी ने कहा कि जो लोग सत्ता में झूठ बोलकर सत्ता हथियाने का काम किया है वे लोग आने वाले समय में एक्सपोज हो जाएंगे. योगी ने कहा कि जीत ओर हार के अलावा जरूरी है देश में लोकतंत्र कायम रहना चाहिए. 

मध्य प्रदेश में BJP की हार को लेकर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिया बड़ा बयान

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि मध्य प्रदेश में कुछ स्थानीय चीजें बीजेपी के विरुद्ध रहीं. राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच विधानसभा चुनाव परिणाम में कांटे की टक्कर देखने को मिली. बीजेपी को यहां 109 सीटों पर और कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत हासिल हुई. कांग्रेस 230 विधानसभा सीटों वाले राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘लोकतंत्र में मतदाताओं के अंतिम फैसले को स्वीकार करना चाहिए. हम इस परिणाम को स्वीकार करते हैं.’ प्रधान मध्य प्रदेश में बीजेपी के चुनावी प्रभारी हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैंने मध्य प्रदेश में काम किया. मैंने नहीं सोचा था कि इतनी करीबी लड़ाई होगी. मध्य प्रदेश में कुछ स्थानीय चीजें हमारे विरोध में रहीं. अगर हम कुछ छोटी चीजों को संभालने में कामयाब रहते तो हम सत्ता में आ गए होते.’
‘हार की जिम्मेदारी मेरी’
इससे पहले बुधवार को मध्य प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा,‘अथक परिश्रम करने के बाद भी हमें अपेक्षित सफलता भी प्राप्त नहीं हुई. अगर इस हार के लिए कोई जिम्मेदार है तो शिवराज सिंह चौहान है. मैं हूं.’

शिवराज सिंह चौहान ने कहा,‘केन्द्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बाद भी हम चुनाव हार गये. दोष मुझमें ही है. कमी मुझमें ही कहीं न कहीं है. मैं इस कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया. ‘अबकी बार 200 पार’ पर हम फेल हो गये हैं.’
जब उनसे सवाल किया गया कि 13 मंत्रियों के हारने में क्या टिकट वितरण में गलती हुई, तो उन्होंने कहा,‘जो भी गलती थी, वह मेरी थी. हम जनता के बीच अपने विकास की योजनाओं को ठीक से नहीं पहुंचा पाये. इसके अलावा, कांग्रेस ने जनता के बीच भ्रम का वातावरण बनाया.’
जब उनसे सवाल किया गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को इस हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, तो इस पर उन्होंने कहा, ‘कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. यह प्रदेश का मुद्दा है.’ उन्होंने कहा कि अब हम सशक्त एवं रचनात्मक सहयोग से विपक्ष की भूमिका निभाएंगे और प्रतिरोध पर चौकीदारी की भी जिम्मेदारी हमारी है.
एक सवाल के जवाब में चौहान ने कहा कि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फिर से बीजेपी की सरकार बने, यह मेरी मंशा है और इसके लिए हम अभी से तैयारी शुरू करेंगे.
उन्होंने कहा कि जनता से असीम स्नेह और प्यार सरकार को विशेष रूप से मुझे मिलता रहा. उन्होंने कहा,‘परिवार का सदस्य बनकर मैंने सरकार चलाने की कोशिश की. मुझे लगता था कि प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता मेरा परिवार है. उनका सुख मेरा सुख और उनका दुख मेरा दुख है. अपने 13 साल के शासनकाल में मैंने भरसक क्षमता के साथ प्रदेश का विकास करने की कोशिश की.’
कांग्रेस का प्रदर्शन, पाकिस्तान की जीत -- मधु किश्वर 
लेखिका मधु किश्वर ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को पाकिस्तान की जीत बताया है। मधु किश्वर ने अपने ट्विटर हैंडल से चुनाव रुझानों को लेकर कई ट्वीट किए और कांग्रेस के प्रदर्शन पर कहा कि ये पाकिस्तान की जीत है। किश्वर ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा झटका बताते हुए कहा कि पार्टी को अपने समर्थकों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
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दुनिया भर की महिलाओं ने यौन प्रताड़ना के खिलाफ #metoo कैम्पेन की शुरुआत की थी। अब तक करीब 47 लाख महिलाओं ने फेसबुक पर इस अभियान के तहत अपने कड़वे अनुभव साझा किए हैं। मजे की बात यह है, कि नया मुद्दा एक नहीं, सब पुराने हैं। अब इसे कड़वे अनुभव कहा जाए या पब्लिसिटी स्टंट? आज सोशल मीडिया और इंस्टाग्राम को पब्लिसिटी का जरिया बना लिया है। कल तक जो बात महिला कहने से या बताने से कतराती थी, पश्चिमी प्रभाव ने अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर सब पर्दों को हटा दिया, जिस कारण भारतीय संस्कृति महज एक मजाक बनती जा रही है। समझ नहीं आता कि आज कलाकार अपने शुभचिन्तकों को क्या सन्देश देने का प्रयास कर रहे हैं।

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मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव नतीजे शाम तक साफ हो जाएंगे, लेकिन अभी आ रुझानों में तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। रुझानों में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस भाजपा से काफी आगे है। कांग्रेस ने इसे अपनी जीत मानकर जश्न मनाना भी शुरू कर दिया है। इसपर लेखिका मधु किश्वर ने ट्वीट कर कहा, 'ये उतनी ही पाकिस्तान की जीत है, जितनी कांग्रेस पार्टी और वामपंथी उदारवादियों की। पेट्रो डॉलर की भूमिका को कम करके आंका नहीं जा सकता है।'
किश्वर ने आगे कहा कि ये पीएम मोदी के लिए एक बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने मतदाताओं की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। किश्वर ने साथ ही ये भी कहा कि कांग्रेस का पिछले 4 सालों में मुस्लिम तुष्टीकरण काफी बढ़ गया है। 'ये वर्चुअली मुस्लिम लीग में तब्दील हो गया, लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपने कोर वोट बैंक को पीछे कर दिया और कांग्रेस जैसे सेक्युलर बनने की कोशिश की।'
'नोटा' के चलते यहां बदल गई तस्वीर
ब्यावरा में कांग्रेस प्रत्याशी 826 वोट से जीता, जबकि नोटा में 1481 मत गिरे। दमोह में वित्तमंत्री जयंत मलैया 798 मतों से हारे और नोटा में 1299 वोट निकले। गुन्नाोर में जीत हार का अंतर 1984 मतों का रहा, जबकि नोटा में 3734 वोट चले गए। ग्वालियर दक्षिण का फैसला 121 वोटों से हुआ, लेकिन 1550 मतदाताओं ने नोटा दबा दिया। जबलपुर उत्तर में राज्यमंत्री शरद जैन 578 मतों से हारे और 1209 नोटा को अपना मत दे दिया।
जोबट में 2056 मतों से फैसला हुआ, लेकिन नोटा में सबसे ज्यादा 5139 वोट चले गए। मंधाता में भले ही जीत-हार का फैसला 1236 वोट से हुआ हो पर 1575 मतदाताओं ने नोटा को चुना। नेपानगर में भाजपा प्रत्याशी को जीतने के लिए 732 वोट चाहिए थे पर 2551 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प अपनाया।

सुर्खियों में रही सीट राजनगर में राजपरिवार के विक्रम सिंह नातीराजा 732 वोट से जीते और 2485 वोट नोटा में चले गए उधर राजपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जीत के लिए 932 वोट चाहिए थे, लेकिन 3358 मतदाताओं ने उनके बजाय नोटा का बटन दबा दिया। सुवासरा में भी भाजपा प्रत्याशी को जीतने के लिए मात्र 350 वोट चाहिए थे, लेकिन 2976 मतदाताओं ने उन्हें अथवा किसी अन्य प्रत्याशी को चुनने के बजाय नोटा का विकल्प चुन लिया।

अध्यक्ष राकेश सिंह ने की इस्तीफे की पेशकश

15 सालों तक मध्यप्रदेश की सत्ता से बेदखल होने का सदमा बीजेपी के सभी नेताओं का लगा है. पार्टी के हारते ही नेताओं के इस्तीफे का दौर शुरू हो गया है. मध्यप्रदेश में बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. गुरुवार सुबह अमित शाह ने अपने इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को दिल्ली भेजा है.
मध्यप्रदेश में ली हार की जिम्मेदारी
मध्यप्रदेश में हार की जिम्मेदारी लेते हुए राकेश सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले शिवराज सिंह ने बीजेपी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था. राकेश सिंह ने अपने ट्विटर पर लिखा, ‘यह शिवराज जी का बड़प्पन है कि वह पार्टी की हार की जिम्मेदारी ले रहे हैं, लेकिन बीजेपी में हर जिम्मेदारी सामूहिक होती है. अगर कोई कमी रही है, तो वह हम सभी की कमी है. उसे दूर करके हम लोकसभा चुनाव में पहले से अच्छा प्रदर्शन करेंगे.’ 


वहीं, बीजेपी ने शिवराज सिंह को नेता विपक्ष चुना है. बुधवार को जब शिवराज सिंह चौहान ने अपने पद से इस्तीफा दिया था, तभी इस बात का ऐलान कर दिया था कि मुख्यमंत्री कोई भी बनें, लेकिन नेता वही रहेंगे. 
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राकेश सिंह के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है. अमित शाह ने राकेश सिंह को पद पर बने रहने के लिए कहा है. इसके साथ ही अमित शाह ने राकेश को पार्टी के लिए और कड़ी मेहनत करने के लिए कहा है.
कौन है राकेश सिंह
बता दें कि विधानसभा चुनाव से करीब 8 महीने पहले खंडवा लोकसभा सीट से सांसद नंदकुमार सिंह चौहान को हटाकर राकेश सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था. राकेश सिंह, अमित शाह की पहली और आखिरी पसंद थे. उन्हें नरेंद्र सिंह तोमर और सीएम शिवराज सिंह चौहान का भी करीबी माना जाता है. उन्होंने नंद कुमार सिंह चौहान की जगह प्रदेश में पार्टी नेतृत्व की कमान संभाली है. पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार इस पद पर साल 2014 से कार्यरत थे.

इतना ही नहीं, मोदी, योगी, रमन सिंह, वसुन्धरा सरकारें #metoo, #mob lynching, #not in my name, किसान प्रदर्शन और सडकों पर दूध एवं सब्ज़ियों को फेंकने जाने वाले आन्दोलनों में केवल बचाव करती नज़र आयी, लेकिन इस सरकार विरोधी चक्रव्यू को भेदने में पूर्णरूप से असफल रहीं। क्या कोई भूखा अथवा क़र्ज़ में अपने उत्पाद को इस तरह बर्बाद करेगा? इन सरकारों को इन आंदोलनकारियों को बेनकाब करना चाहिए था, जो नहीं किया गया। ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक में विराजमान किसानों के कर्ज़ों के भुगतान पर ध्यान देने की बजाए सफाई अभियान एवं दूसरे कार्यों में फंसी रही। और अपने कमर्ठ कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज किया जाता रहा।  
केजरीवाल को अपने सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने का गम नहीं 
आम आदमी पार्टी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनावों में बड़ी संख्या में उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन लगभग सभी के जमानत जब्त हो गए। पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिले। लेकिन आज जब केजरीवाल ने ट्वीट किया तो उन्होंने अपनी पार्टी की हार पर कुछ नहीं कहा, बल्कि बीजेपी की हार पर अपनी खुशी जाहिर की।   

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