
फरवरी से मिलेगी बढ़ी सैलरी
अमानतुल्लाह ने बताया कि मस्जिद के सभी कर्मचारियों को फरवरी से बढ़ी हुई सैलरी मिलने लगेगी। दिल्ली में 300 ऐसी मस्जिद हैं, जहां वक्फ बोर्ड की तरफ से इमामों को सैलरी दी जाती है। इसके अलावा दिल्ली में 1500 मस्जिद ऐसी भी हैं, जहां वक्फ बोर्ड का नियंत्रण नही है। लेकिन बोर्ड ने फैसला लिया है कि इन मस्जिदों के इमामों को अब 14 हजार रुपए सैलरी दी जाएगी और मोअज्जिन को 12 हजार रुपए मिलेंगे।
अब प्रश्न यह भी होता है कि जिन मस्जिदों पर वक़्फ़ बोर्ड का नियंत्रण नहीं, फिर किस आधार पर उन मस्जिदों के इमामों को वेतन दिया जाएगा? दूसरे, दिल्ली में कई मस्जिदें और दरगाहें ऐसी भी हैं, जिन पर वक़्फ़ बोर्ड का कोई नियंत्रण नहीं, लेकिन उनकी रोज इतनी आमदनी होती है, सुनकर हैरानी होती है। उस कमाई पर वक़्फ़ बोर्ड का कोई अधिकार नहीं, क्यों? इतना ही नहीं, उस कमाई से वक़्फ़ बोर्ड पता नहीं कितना संपन्न हो जाए।
न्यूनतम सैलरी हुई 14 हजार रुपए
दिल्ली के सीएम ने कहा कि वो बोर्ड के फैसले के साथ हैं और उनकी सरकार वक्फ बोर्ड की बेहतरी के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है। वक्फ बोर्ड चेयरमैन के मुताबिक, वो खुद सैलरी बढ़ाने के पक्ष में थे। लेकिन दो साल तक बोर्ड भंग था। इसलिए ऐसा संभव नहीं हो सका। उनके मुताबिक दिल्ली में अब न्यूनतम सैलरी भी बढ़कर 14 हजार रुपए हो गई है।
क्या दिल्ली सरकार ने अपने चार से अधिक वर्षों में उन कारणों को ढूंढा कि आखिर किस कारण वक़्फ़ बोर्ड भंग रहा और चुनाव आते ही सबकुछ सुचारु रूप से चलने लगा? हकीकत यह है कि वक़्फ़ बोर्ड को यह भी नहीं मालूम की दिल्ली में उनकी कितनी जमीन है और कितनी पर लोगों ने अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है। इस बात की जानकारी लगभग 30 वर्ष पूर्व कुछ मसलों पर दरिया गंज स्थित दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड सचिव ने दी थी। यदि लगभग 30 वर्ष ऐसी भयानक स्थिति थी, आज क्या हालत होगी, ऊपर वाला ही बेहतर जानता होगा?
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इस्लाम के कुरान ८:३९ ने मानव जाति व धरती को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर व दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है. काफ़िर को कत्ल करना व दार उल हर्ब धरती को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी और संवैधानिक अधिकार है. अनुच्छेद २९(१). भासं का अनुच्छेद मुसलमानों को अपनी लूट, बलात्कार और हत्या की संस्कृति को बनाए रखने का मौलिक अधिकार देता है. हम सनातनी को नष्ट करने के लिए सभी संगठित हो चुके हैं. अतः अजान (ईशनिंदक) को वेतन देने के साथ सरकार मुझे फांसी दे क्योंकि दिल्ली सरकार ने अजान का विरोध करने के कारण मुझ पर ५० अभियोग चलवाए हैं.
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