भारत से आरक्षण की आग कब बुझेगी?

Reservation for upper caste
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
आरक्षण नाग इतना भयंकर और खतरनाक है, जिसने 56 इंच सीने को भी डस लिया। विश्व में भारत ही शायद एकमात्र देश है, सम्भव है मेरा ज्ञान अपरिपक्व हो, जहाँ आरक्षण और जातियों को आधार बनाकर चुनाव लड़े जाते हैं। समझ नहीं आता भारत से आरक्षण की आग कब बुझेगी?
नेता समाज समझता है की जनता पागल और मुर्ख है। लेकिन सवर्ण इतना मुर्ख नहीं, जितना समझा जा रहा है। मतदान में NOTA का प्रयोग पहले से अधिक होगा, क्योकि केवल10% आरक्षण देकर जिस आग को बुझाने का प्रयास किया गया है, वह और अधिक भड़केगी। देखिए आयकर की क्या सीमा है, और 8 लाख वार्षिक आय वालों को आरक्षण? है ना कितना हास्यप्रद? अभी सम्पन्न हुए राज्यों में मिली हार से सरकार इतनी विचलित हो गयी है की उचित अथवा अनुचित का चिंतन करने का भी समय नहीं। 
लोकसभा चुनावों से पहले सरकार का बड़ा दांव, गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने का प्रस्ताव
लोकसभा चुनाव में अब 100 दिन से भी कम बचे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है। सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से ऊपर और अधिक होगा। सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कोटा पर संविधान संशोधन विधेयक कल संसद में ला सकती है। ऐसे में आरक्षण का कोटा 50% से बढ़कर 60% हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता। अभी तक 22.5% अनुसूचित जाति (दलित) और अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के छात्रों के लिए आरक्षित हैं (अनुसूचित जातियों के लिए 15%, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5%), ओबीसी के लिए अतिरिक्त 27% आरक्षण को शामिल करके आरक्षण का यह प्रतिशत 49.5% है।
मोदी सरकार का यह फैसला 2019 के लोकसभा चुनावों में उसके लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मिली भाजपा की हार की एक वजह एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णों की नाराजगी भी बताई जा रही है। समझा जाता है कि सरकार आरक्षण का मरहम लगा गरीब सवर्णों को अपने पाले में करने का दांव खेला है। भाजपा सांसद एवं दलित नेता उदित राज ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
जानें आखिर सवर्णों में किसे-किसे ये आरक्षण मिल सकता है:
  • जिसकी सलाना इनकम 8 लाख रुपए या इससे कम है
  • जिसके पास 5 एकड़ या उससे कम खेती जमीन है
  • जिसका 1000 वर्ग फुट से कम जमीन पर मकान है
  • कस्बों में 200 गज जमीन वालों को, शहरों में 100 गज जमीन वालों को
  • राजपूत, भूमिहार, बनिया, जाट, गुर्जर को इस श्रेणी में आरक्षण मिलेगा 
  • आरक्षण शिक्षा (सरकार या प्राइवेट), सार्वजनिक रोजगार में इसका लाभ मिलेगा
  • इसके लिए संविधान के अनुच्‍छेद 15 और 16 में संशोधन होगा
  • आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट में फैसला किया है कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इस आरक्षण की खास बात यह है कि यह  50 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा और इसके लिए मंगलवार को संविधान संशोधन लाया जाएगा। ध्यान देने वाली बात यह कि मंगलवार को ही शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है। इस मामले पर तमाम राजनीतिक दलों  की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। 
See last two tweets re reservation 4forwards? Qs—did u nt think of this for 4 yrs 8 mths? so obviously thought of as election gimmick 3mths b4 model code! (3) u know u cannot exceed 50% maxima so it is done only to posture tht u tried unctal thing (4) do u hv majority 4ctal am?
कैबिनेट के इस प्रस्ताव पर कांग्रेस की तरफ से पहली प्रतिक्रिया वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की आई है। सिंघवी ने कहा, 'सरकार ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला किया है। आपने इसके लिए 4 साल 8 महीने का इंजार किया? तो यह निश्चित रूप से एक चुनावी छलावा है वो भी ऐसे समय में जब आचार संहिता लगने में केवल 3 महीने बचे हैं। आप जानते हैं कि आप सीमा को अधिकतम 50 फीसदी ही बढ़ा सकते हैं।'
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा,  'केंद्र सरकार का यह कदम सराहनीय है। इसकी मांग काफी लंबे समय से चल रही थी। यह सवर्णों के  लिए एक ऐतिहासिक कदम है।' 
Reservation for General Categoryभाजपा सांसद और दलित नेता उदित राज ने कहा कि सरकार का यह कदम सराहनीय है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ़ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।'
शिवसेना ने भी इस पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि वह इस बिल का समर्थन करेगी। शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा, 'हम इस बिल का पूरा समर्थन करते हैं। यह बाल ठाकरे का विचार था कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी आरक्षण मिले।' पाटीदारों को आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले हार्दिक पटेल ने कहा,  'मोदी सरकार ने चुनाव से पहले एक लॉलीपॉप दिया है।'
एआईएएम नेता असदउद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'दलितों के साथ ऐतिहासिक अन्याय को सही करना आरक्षण का मतलब है। गरीबी उन्मूलन के लिए कोई भी विभिन्न योजनाएं चला सकता है लेकिन आरक्षण न्याय के लिए है। संविधान आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है।'
आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि भारत सरकार को पहले जातिगण जनगणना के आंकड़े सामने लाने चाहिए जिससे पता चल सकेगा कि कौन सी जातियां क्या काम करती हैं।
सीपीआई के डी राजा ने सुप्रीम कोर्ट ने पहले से आरक्षण पर एक कैप लगाई है,  राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से भाजपा को जो रिपोर्ट्स मिल रही थी उसके आधार पर भाजपा ने यह फैसला लिया है। लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की भरपाई करने के लिए यह कदम उठाया गया है।View image on Twitter

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Harish Rawat,Congress on 10% reservation approved by Cabinet for economically weaker upper castes: 'Bohot der kar di meherbaan aate aate', that also when elections are around the corner. No matter what they do, what 'jumlas' they give, nothing is going to save this Govt
कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, 'बहुत देर कर मेहरबॉं आते-आते। वो भी तब, जब चुनाव नजदीक है। सरकार कुछ भी कर ले, कोई भी फैसला इनको नहीं बचा सकता।
एनसीपी ने सशर्त समर्थन देने का ऐलान किया है, एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा, 'हम बिल का समर्थन करेंगे लेकिन शर्त ये है कि सरकार में संशोधन लाए।' जिनको पहले से आरक्षण मिला हुआ है उनको दिया जा रहा है।
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'इसकी आवश्यकता पहले से थी, गरीब और सवर्णों को आरक्षण मिल रहा है  मेरी नजर में यह सरकार का क्रांतिकारी कदम है।'

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