आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भारत में इस्लामिक प्रथाओं में तलाक और हलाला आदि पर पाबन्दी लगाने पर जिसको देखो विधवा विलाप करने लगता है। मजहब में दखलदराजी नज़र आने लगती है। मानवाधिकार के साथ-साथ #metoo, #award vapsi, #intolerence, #mob lynching, #not in my name आदि पता नहीं कौन-कौन से गिरोह बाहर निकल आते हैं। जबकि भारत में किसी मुसलमान को रोज़ा रखने, टोपी पहनने, बुर्का या हिजाब पहनने, दाढ़ी रखने या फिर किसी भी इस्लामिक त्यौहार पर पाबन्दी नहीं। लेकिन इतने वर्षों से चीन में इस्लाम पर कुठाराघात हो रहे हैं, किसी की आवाज़ नहीं निकल रही। इन गिरोह को मानो साँप सूंघ गया हो।
ऐसा नहीं कि चीन में पहली बार हो रहा है, यह काम कई वर्षों से चल रहा है। पाकिस्तान को कश्मीर की चिंता है, लेकिन पाकिस्तान में किस तरह इस्लाम पर एक के बाद एक कुठाराघात हो रहे हैं, कभी यूएनओ तक में बोलने का साहस नहीं। भारतीय मुस्लिम ठेकेदारों और छद्दम धर्म-निरपेक्षों की भी बस भारत सरकार के ही विरुद्ध ज़ुबान खुलती है, चीन के खिलाफ सबके सब भीगी बिल्ली बने बैठे हैं। इतना ही नहीं, एक मुस्लिम के किसी हादसे में मर जाने पर समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष, #award vapsi, #metoo, #mob lynching, #not in my name आदि षड्यंत्रकारी गैंग विधवा-विलाप करने लगते हैं, परन्तु चीन में इस्लाम पर हो कुठाराघातों पर सबको साँप सूंघ गया है। सभी सूरदास बने बैठे हैं। क्या चीन और शेष विश्व के इस्लाम में अन्तर है? किसी में चीनी उत्पादनों के विरुद्ध बहिष्कार करने या फतवा देने तक का साहस नहीं।
चीन ने एक नया कानून पारित किया है, जो अगले 5 सालों में इस्लाम को समाजवाद के हिसाब से बदलने का प्रयास करेगा। देश में धर्म का पालन कैसे किया जाए, इसे फिर से लिखने के लिए चीन का यह नया कदम है। अलजजीरा के मुताबिक, चीन के प्रमुख अंग्रेजी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने जनवरी 5 को बताया कि आठ इस्लामिक संघों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के बाद सरकारी अधिकारियों ने इस्लाम को समाजवाद के अनुकूल करने और धर्म के क्रिया-कलापों को चीन के हिसाब से करने के कदम को लागू करने के लिए सहमति व्यक्त की।
चीन ने हाल के सालों में धार्मिक समूहों के साथ धर्म को चीन के संदर्भ में ढालने को लेकर आक्रामक अभियान चलाया है। चीन के कुछ हिस्सों में इस्लाम धर्म का पालन करने की मनाही है। मुस्लिम शख्स को नमाज अता करने पर, रोजा रखने पर, दाढ़ी बढ़ाने या महिला को हिजाब पहने पाए जाने पर गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है।
अवलोकन करें:--
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, चीन में 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को गुप्त शिविरों में रखे जाने का अनुमान है, जहां वे धर्म की निंदा करने और आधिकारिक रूप से नास्तिक सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति निष्ठा रखने के लिए मजबूर हैं। अमेरिका सरकार का आकलन है कि अप्रैल, 2017 से चीनी अधिकारियों ने उइगुर, जातीय कजाक और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कम से कम आठ लाख से बीस लाख सदस्यों को नजरबंदी शिविरों में अनिश्चितकाल के लिए बंद कर रखा है।
ह्यूमन राइट्स वाच की रिपोर्ट के अनुसार, इन शिविरों में बंद उइगर मुसलमानों को चीनी भाषा मैंडरिन सीखने पर मजबूर किया जाता है। इतना ही नहीं, उन्हें चीन का प्रॉपगैंडा गीत गाने पर भी मजबूर किया जाता है। अगस्त में, वॉशिंगटन पोस्ट के संपादकीय में कहा गया था कि दुनिया मुसलमानों के खिलाफ अभियान को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
चीन ने आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि वह अपने अल्पसंख्यकों के धर्म और संस्कृति की रक्षा करता है।
नजरबंदी शिविरों में बंद हैं आठ से बीस लाख धार्मिक अल्पसंख्यक: अमेरिका
ट्रंप प्रशासन ने संसदीय सुनवाई के दौरान अपने देश के सांसदों को बताया कि चीन के नजरबंदी शिविरों में करीब आठ से बीस लाख धार्मिक अल्पसंख्यक बंद हैं। संसदीय सुनवाई के दौरान ‘ब्यूरो ऑफ ह्यूमन राइट डेमोक्रेसी एंड लेबर’ में उप सहायक विदेश मंत्री स्कॉट बुस्बी ने आरोप लगाया कि चीन दुनिया के अन्य तानाशाह शासनों के ऐसे दमनात्मक कदमों का समर्थन कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘अमेरिका सरकार का आकलन है कि अप्रैल, 2017 से चीनी अधिकारियों ने उइगुर, जातीय कजाक और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कम से कम आठ लाख से बीस लाख सदस्यों को नजरबंदी शिविरों में अनिश्चितकाल के लिए बंद कर रखा है।’ सीनेट की विदेश मामलों की उपसमिति के समक्ष बुस्बी ने बताया कि सूचनाओं के अनुसार हिरासत में रखे गए ज्यादातर लोगों के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है और उनके परिजनों को उनके ठिकानों के बारे में बेहद कम या कोई जानकारी नहीं है।
पहले-पहल तो चीन ने ऐसे शिविरों के अस्तित्व से इंकार किया था लेकिन इस संबंध में सार्वजनिक रूप से खबरें आने के बाद चीनी अधिकारी अब बता रहे हैं कि ये केंद्र ‘व्यावसायिक शिक्षा केन्द्र’ हैं। बुस्बी ने कहा, हालांकि यह तथ्य गलत प्रतीत होता है क्योंकि उन शिविरों में कई लोकप्रिय उइगुर बुद्धिजीवी और सेवानिवृत्त पेशेवर भी शामिल हैं।
इन केन्द्रों से सुरक्षित बाहर निकले कुछ लोगों ने वहां के बुरे हालात के बारे में बताया है। उदाहरण के लिए उन शिविरों में नमाज सहित अन्य धार्मिक रीतियों पर प्रतिबंध है। बुस्बी ने कहा कि शिविरों के बाहर भी हालात कुछ ज्यादा अच्छे नहीं हैं। परिवारों को मजबूर किया जा रहा है कि वे चीनी अधिकारियों को लंबे समय तक अपने घरों में रहने दें। सशस्त्र पुलिस आने-जाने के रास्तों पर नजर रख रही है। हजारों मस्जिद तोड़ दी गई हैं, जबकि कुछ अन्य कम्युनिस्ट पार्टी के दुष्प्रचार का केन्द्र बन गई हैं।
चीन में उइगर मुसलमान ही नहीं ईसाई भी त्रस्त, प्रार्थना के लिए भी कोई जगह नहीं
चीन में उइगर मुसलमान ही नहीं, बल्कि ईसाई समुदाय के लोगों के लिए भी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। यहां की वामपंथी सरकार सभी धर्मों के लोगों को अपने हिसाब से ढालने की कोशिश कर रही है और उन पर एक खास तरह की विचारधारा थोप रही है। इसके लिए उन पर तरह-तरह के दबाव व पाबंदियां लगाई जा रही हैं।
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों से ज्यादती के बाद अब हेनान प्रांत में ईसाइयों के साथ भी ऐसा ही किए जाने की बात सामने आ रही है। यहां कई चर्च को अवैध ठहराते हुए ढाह दिया गया है, जिसके कारण कैथोलिक समुदाय के लोगों के पास प्रार्थना के लिए भी जगह नहीं बची है। इतना ही नहीं, सरकारी साइन बोर्ड के जरिये साफ तौर पर बच्चों को प्रार्थना में शामिल नहीं किए जाने की चेतावनी दी गई है।
पादरियों पर अपने समुदाय से जुड़ीं निजी जानकारियां साझा करने का दबाव बनाया जा रहा है। कई चर्च के शीर्ष पर लगे क्रॉस के चिह्न को हटा लिया गया है और वहां राष्ट्रध्वज फहराने के निर्देश दिए गए हैं। मुद्रित धार्मिक सामग्रियों और धार्मिक दृष्टि से पवित्र माने जाने वाली चीजों को भी जब्त कर लिया गया है। साथ ही चर्च की ओर से चलाए जाने वाले कई स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है।
चीन में कैथोलिक ईसाई समुदाय के लोगों की संख्या 1 करोड़ 20 लाख के आसपास है और बताया जा रहा है कि चीन सरकार इन्हें किसी भी तरह की धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दे रही है। सरकार के दबाव के कारण यह समुदाय भी यहां दो खेमों में बंटा नजर आ रहा है, जिनमें से एक तो सरकार की ओर से मंजूर पादरियों को मानता है, जबकि दूसरा समूह रोम समर्थक चर्च के नियमों को मानने पर जोर देता है।
इससे पहले चीन में उइगर मुस्लिम समुदाय के साथ ज्यादती की खबरें सामने आ चुकी हैं। उनके धार्मिक विश्वासों पर हमला करने के साथ-साथ उन्हें भी एक खास विचारधारा में ढालने की बातें सामने आ रही हैं। इसके अतिरिक्त, इस समुदाय से जुड़े लोगों को बड़ी संख्या में डिटेंशन सेंटर भेजे जाने की रिपोर्ट भी पिछले दिनों सामने आई थी।
ह्यूमन राइट्स वाच ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि चीन उइगर मुसलमानों पर क्यूआर कोड के जरिये नजर रख रखा है। इसके लिए चीन ने उनके घरों पर स्मार्ट डोरप्लेट्स रखा रखे हैं और उन्हें मोबाइल डिवाइस के साथ जोड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार पैनल ने अगस्त में चीन के विभिन्न डिटेंशन सेंटर्स में करीब 10 लाख उइगर मुसलमानों को नजरबंद रखे जाने की बात कही थी। बाद में इन बंदियों को तरह-तरह की यातनाएं देने की बात भी सामने आई।
ह्यूमन राइट्स वाच के मुताबिक, इन शिविरों में बंद उइगर मुसलमानों पर अलग राजनीतिक विचार थोपे जाते हैं और इन्हें नहीं मानने पर तरह-तरह की यातनाएं दी जाती हैं। इन्हें चीनी भाषा मैंडरिन सीखने और चीन का प्रॉपगैंडा गीत गाने पर भी मजबूर किया जाता है।
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