
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के रहस्यात्मकता से गायब हो जाने के पश्चात बने जाँच आयोगों की तथाकथित सार्थकता, गंभीरता व सत्यता का विश्लेषण करने की जरुरत है। जिसके अंतर्गत काँग्रेस और इसके पुरोधाओं के असली कुरूप व निकृष्ट चरित्र का यथासंभव किंतु ऐतिहासिक सबूतों सहित तथ्यात्मक पोस्टमार्टम ही किया जाना है।

अन्त में जनप्रतिनिगण जस्टिस राधाविनोद पाल की अध्यक्षता में गैर-सरकारी जाँच आयोग के गठन का निर्णय लेते हैं। तब जाकर नेहरूजी 1956 में भारत सरकार की ओर से जाँच-आयोग के गठन की घोषणा करते हैं।
लोग सोच रहे थे कि जस्टिस राधाविनोद पाल को ही आयोग की अध्यक्षता सौंपी जायेगी। विश्वयुद्ध के बाद जापान के युद्धकालीन प्रधानमंत्री सह युद्धमंत्री जनरल हिदेकी तोजो पर जो युद्धापराध का मुकदमा चला था, उसकी ज्यूरी (वार क्राईम ट्रिब्यूनल) के एक सदस्य थे- जस्टिस पाल।
मुकदमे के दौरान जस्टिस पाल को जापानी गोपनीय दस्तावेजों के अध्ययन का अवसर मिला था, अतः स्वाभाविक रुप से वे उपयुक्त व्यक्ति थे जाँच-आयोग की अध्यक्षता के लिए मगर नेहरूजी को आयोग की अध्यक्षता के लिए सबसे योग्य व्यक्ति शाहनवाज खान नजर आते हैं।
शाहनवाज खान- उर्फ, लेफ्टिनेण्ट जनरल एस.एन. खान। कुछ याद आया? जी हाँ बॉलीवुडी शाहरूख़ खान की माँ लतीफ़ फातमा का पिता यानि शाहरूख़ खान का नाना तथा आईएनए / आजाद हिन्द फौज का तथाकथित मेजर जनरल शाहनवाज़ खान .
मेजर जनरल शाहनवाज़ खान, आजाद हिन्द फौज के भूतपूर्व सैन्याधिकारी, जो शुरु में नेताजी के दाहिने हाथ थे, मगर इम्फाल-कोहिमा फ्रण्ट से उनके विश्वासघात की खबर आने के बाद नेताजी ने उन्हें रंगून मुख्यालय वापस बुलाकर उनका कोर्ट-मार्शल करने का आदेश दे दिया था।
उनके बारे में यह भी बताया जाता है कि कि लाल-किले के कोर्ट-मार्शल में उन्होंने खुद यह स्वीकार किया था कि आई.एन.ए./आजाद हिन्द फौज में रहते हुए उन्होंने गुप्त रुप से ब्रिटिश सेना को मदद ही पहुँचाने का काम किया था। यह भी जानकारी मिलती है कि बँटवारे के बाद वे पाकिस्तान चले गये थे, मगर नेहरूजी उन्हें भारत वापस बुलाकर अपने मंत्रीमण्डल में उन्हें सचिव का पद देते हैं।

विमान-दुर्घटना में नेताजी को मृत घोषित कर देने के बाद शाहनवाज खान को नेहरू मंत्रीमण्डल में मंत्री पद (रेल राज्य मंत्री) प्रदान किया जाता है।
आजादी के असली नायक कौन? काँग्रेस या गुमनाम कर दिये गये सेनानी व शहीद ? भाग - 2

जस्टिस घनश्याम दास खोसला के बारे में तीन तथ्य जानना ही काफी होगा:
1. वे नेहरूजी के मित्र रहे हैं;
2. वे जाँच के दौरान ही श्रीमती इन्दिरा गाँधी की जीवनी लिख रहे थे, और
3. वे नेताजी की मृत्यु की जाँच के साथ-साथ तीन अन्य आयोगों की भी अध्यक्षता कर रहे थे।
सांसदों के दवाब के चलते आयोग को इस बार ताईवान भेजा जाता है। मगर ताईवान जाकर जस्टिस खोसला किसी भी सरकारी संस्था से सम्पर्क नहीं करते- वे बस हवाई अड्डे तथा शवदाहगृह से घूम आते हैं। कारण यह है कि ताईवान के साथ भारत का कूटनीतिक सम्बन्ध नहीं है।

हाँ, कथित विमान-दुर्घटना में जीवित बचे कुछ लोगों का बयान यह आयोग लेता है, मगर पाकिस्तान में बसे मुख्य गवाह कर्नल हबिबुर्रहमान खोसला आयोग से मिलने से इन्कार कर देते हैं।
खोसला आयोग की रपट पिछले शाहनवाज आयोग की रपट का सारांश साबित होती है।
अब अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री हैं, दो-दो जाँच आयोगों का हवाला देकर सरकार इस मामले से पीछा छुड़ाना चाह रही थी, मगर न्यायालय के आदेश के बाद सरकार को तीसरे आयोग के गठन को मंजूरी देनी पड़ती है।
इस बार सरकार को मौका न देते हुए आयोग के अध्यक्ष के रुप में (अवकाशप्राप्त) न्यायाधीश मनोज कुमार मुखर्जी की नियुक्ति खुद सर्वोच्च न्यायालय ही कर देता है।
जहाँ तक हो पाता है, कांग्रेसियों की सरकार मुखर्जी आयोग के गठन और उनकी जाँच में रोड़े अटकाने की कोशिश करती है, मगर जस्टिस मुखर्जी जीवट के आदमी साबित होते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी वे जाँच को आगे बढ़ाते रहते हैं।
आयोग सरकार से उन दस्तावेजों (“टॉप सीक्रेट” पी. एम. ओ. फाईल 2/64/78-पी.एम.) की माँग करता है, जिनके आधार पर 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संसद में बयान दिया था, और जिनके आधार पर कोलकाता उच्च न्यायालय ने तीसरे जाँच-आयोग के गठन का आदेश दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय और गृहमंत्रालय दोनों साफ मुकर जाते हैं- ऐसे कोई दस्तावेज नहीं हैं,,होंगे भी तो हवा में गायब हो गये!
आप यकीन नहीं करेंगे कि जो दस्तावेज खोसला आयोग को दिये गये थे, वे दस्तावेज तक मुखर्जी आयोग को देखने नहीं दिये जाते, ‘गोपनीय’ एवं ‘अति गोपनीय’ दस्तावेजों की बात तो छोड़ ही दीजिये। प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सभी जगह से नौकरशाहों का यही एक जवाब-
“भारत के संविधान की धारा 74(2) और साक्ष्य कानून के भाग 123 एवं 124 के तहत इन दस्तावेजों को आयोग को नहीं दिखाने का“प्रिविलेज” उन्हें प्राप्त है!”
भारत सरकार के रवैये के विपरीत ताईवान सरकार मुखर्जी आयोग द्वारा माँगे गये एक-एक दस्तावेज को आयोग के सामने प्रस्तुत करती है। चूँकि ताईवान के साथ भारत के कूटनीतिक सम्बन्ध नहीं हैं, इसलिए भारत सरकार किसी प्रकार का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष दवाब ताईवान सरकार पर नहीं डाल पाती है।
हाँ, रूस के मामले में ऐसा नहीं है। भारत का रूस के साथ गहरा सम्बन्ध है, अतः रूस सरकार का स्पष्ट मत है कि जब तक भारत सरकार आधिकारिक रुप से अनुरोध नहीं भेजती, वह आयोग को न तो नेताजी से जुड़े गोपनीय दस्तावेज देखने दे सकती है और न ही कुजनेत्स, क्लाश्निकोव- जैसे महत्वपूर्ण गवाहों का साक्षात्कार लेने दे सकती है। आप अनुमान लगा सकते हैं- आयोग रूस से खाली हाथ लौटता है।

जी हाँ , यह बात सौ फीसदी सही है,दुरूस्त है। राष्ट्रवादी मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी के उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले मे बेलथरा रोड तहसील के G.m.inter College मे यह सब होता है।
बलिया ज़िला जहा से कभी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिह जी सांसद हुआ करते थे !
G.m.inter College मे पढ रहे सैकड़ो छात्रों का ऐसा आरोप है कि इस काॅलेज मे अगर कोई छात्र भारत माता की जय घोष करता है तो उसको यहा के शिक्षकों और प्रिंसीपल द्वारा सजा दी जाती है,शिक्षक उन विद्यार्थियों को मारते-पीटते है और उनके नंबर प्रेक्टीकल परिक्षा मे काट दिये जाते है!
छात्रों द्वारा वंदेमातरम कहने पर उनको मुर्गा बना दिया जाता है,उनको कक्षा से बाहर कर दिया जाता है, वंदेमातरम कहने पर कई छात्रों को तो परिक्षा मे बैठने तक नही दिया गया!काॅलेज मे प्रति दिन होने वाली प्रार्थना तक नही करने दी जाती है,क्योकि काॅलेज की इमारत का डिजाइन मस्जिद के आकार मे बना है।
जब कुछ पत्रकारों ने काॅलेज के मुख्य अध्यापक से इस विषय मे जानना चाहा तो उनका कहना था कि वंदेमातरम और भारत माता की जय के बारे मे कोई सरकारी आदेश नही आया है,इस लिए हम सजा देते है और रही बात काॅलेज मे प्रार्थना करने की तो यह इस्लाम में हराम है इसलिए यह सब यहां मनाही है।
छात्रों द्वारा वंदेमातरम कहने पर उनको मुर्गा बना दिया जाता है,उनको कक्षा से बाहर कर दिया जाता है, वंदेमातरम कहने पर कई छात्रों को तो परिक्षा मे बैठने तक नही दिया गया!काॅलेज मे प्रति दिन होने वाली प्रार्थना तक नही करने दी जाती है,क्योकि काॅलेज की इमारत का डिजाइन मस्जिद के आकार मे बना है।
जब कुछ पत्रकारों ने काॅलेज के मुख्य अध्यापक से इस विषय मे जानना चाहा तो उनका कहना था कि वंदेमातरम और भारत माता की जय के बारे मे कोई सरकारी आदेश नही आया है,इस लिए हम सजा देते है और रही बात काॅलेज मे प्रार्थना करने की तो यह इस्लाम में हराम है इसलिए यह सब यहां मनाही है।
अवलोकन करें:--
कुछ स्थानिय अखबारों में यह खबर छपने के बाद D.M. ने फौरी तौर पर जांच के आदेश दिए तो जांच करने गये अधिकारी मुख्य अध्यापक के साथ काॅलेज मे दोपहर का भोजन करने मे मशगूल थे ।
योगी जी आप तो राष्ट्रवादी है,आप के उत्तर प्रदेश में यह कैसा तालिबानी फरमान जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश को अफगानिस्तान बनने से बचा लो,वर्ना यह तालिबानी संस्कृति उत्तर प्रदेश को नेस्तनाबूत करके रख देगी !!
मंगल पांडे को फाँसी❓योगी जी आप तो राष्ट्रवादी है,आप के उत्तर प्रदेश में यह कैसा तालिबानी फरमान जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश को अफगानिस्तान बनने से बचा लो,वर्ना यह तालिबानी संस्कृति उत्तर प्रदेश को नेस्तनाबूत करके रख देगी !!
तात्या टोपे को फाँसी❓
रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेज सेना ने घेर कर मारा❓
भगत सिंह को फाँसी❓
सुखदेव को फाँसी❓
राजगुरु को फाँसी❓
चंद्रशेखर आजाद का एनकाउंटर अंग्रेज पुलिस द्वारा❓
सुभाषचन्द्र बोस को गायब करा दिया गया❓
भगवती चरण वोहरा बम विस्फोट में मृत्यु❓
रामप्रसाद बिस्मिल को फाँसी❓
अशफाकउल्लाह खान को फाँसी❓
रोशन सिंह को फाँसी❓
लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज में मृत्यु❓
वीर सावरकर को कालापानी की सजा❓
चाफेकर बंधू (३ भाई) को फाँसी❓
मास्टर सूर्यसेन को फाँसी❓
ये तो कुछ ही नाम है जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम और इस देश की आजादी में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया❓
कई वीर ऐसे है हम और आप जिनका नाम तक नहीं जानते ❓
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