
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जम्मू कश्मीर कभी भी पूरी तरह इस देश का हिस्सा न बन पाए इसके लिए इतिहास में तरह-तरह के षडयंत्र रचे गए, इसकी कहानियां समय-समय पर सामने आती रही है। इसके लिए जो सबसे बड़ा कानूनी हथियार इस्तेमाल किया गया वो है अनुच्छेद 35A, जो कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दिमाग की उपज था। यह अनुच्छेद कश्मीर समस्या का भी सबसे बड़ा कारण है। खास बात यह कि इसे लाने के लिए नेहरू ने संविधान तक की धज्जियां उड़ा दीं। दरअसल जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 35A को असंवैधानिक करार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में बड़ी बहस शुरू हो चुकी है। अगस्त 2018 में सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पेश किया गया। लेकिन जम्मू कश्मीर सरकार की सिफारिश पर कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 2019 के जनवरी का समय तय किया है। हर किसी के मन में सवाल उठा कि आखिर ये अनुच्छेद 35A है क्या? इसे जानना जरूरी है तभी आप समझ पाएंगे कि कैसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ही करोड़ों भारतीयों की पीठ में छुरा भोंका था।
क्या है आर्टिकल 35A

35A के पीछे संवैधानिक साजिश
अनुच्छेद 35A संविधान की किसी भी किताब में नहीं मिलता। हालांकि संविधान में अनुच्छेद 35a (स्मॉल ए) जरूर है, लेकिन इसका जम्मू-कश्मीर से कोई सीधा संबंध नहीं है। भारतीय संविधान में आज तक जितने भी संशोधन हुए हैं, सबका जिक्र संविधान की किताबों में होता है। लेकिन 35A कहीं भी नज़र नहीं आता। दरअसल इसे संविधान के मुख्य भाग में नहीं बल्कि परिशिष्ट (अपेंडिक्स) में शामिल किया गया है। आज नतीजा ये है कि कई साल तक वकालत कर चुके लोगों को भी इसकी जानकारी नहीं है। जिन किताबों को लॉ स्टूडेंट और टीचर पढ़ते हैं, उसमें इस अनुच्छेद का जिक्र ही नही है। दरअसल नेहरू ने ये सच को छुपाने के मकसद से किया था। जिसमें इतने साल तक वो एक तरह से सफल भी रहे।
कौन चुका रहा है इसकी कीमत?
1947 में बंटवारे के वक्त हज़ारों हिंदू परिवार पकिस्तान से आकर जम्मू में बसे थे। इन परिवारों में लगभग 85 फीसदी दलित हैं। इस अनुच्छेद 35A की वजह से इन्हें न तो यहां होने वाले चुनावों में वोट देने का अधिकार है, न सरकारी नौकरी पाने का और न ही सरकारी कॉलेजों में दाखिले का। ये लोग अपने ही देश में शरणार्थी की तरह हैं। इससे भी बुरे हालात वाल्मीकि समुदाय के उन लोगों के हैं जो पचास के दशक में यहां आकर बस गए थे। इन्हें सरकार ने अपने फायदे के लिए सफाई कर्मचारी के तौर पर नियुक्त करने के लिए पंजाब से बुलाया था। क्योंकि उस वक्त जम्मू में सफाई कर्मचारी नहीं मिलते थे, लेकिन इन्हें बदले में क्या मिला? बीते छह दशक से ये लोग यहां सफाई का काम कर रहे हैं, लेकिन इन्हें आज भी जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं माना जाता और इसकी एक ही वजह है अनुच्छेद 35A।
अवलोकन करें:-
अवलोकन करें:-
धारा 370 से भी घातक 35A
संविधान की धारा 370 पर हमेशा बहस होती है, क्योंकि लोग सिर्फ इसी के बारे में जानते हैं। जबकि 35A का असर 370 से ज्यादा हानिकारक है। क्योंकि ये भारतीय नागरिकों के ‘मूलभूत अधिकारों’ की हत्या करता है और ये भी हो सकता है कि अनुच्छेद 370 हट जाने पर भी ये 35A बना रहे। सुप्रीम कोर्ट ने ‘केशवानंद भारती केस’ में ये फैसला दिया था कि संसद कानून के किसी भाग में तो संशोधन कर सकती है, लेकिन वो संविधान की ‘मूलभूत संरचना’ में बदलाव नहीं कर सकती। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकारों को मूलभूत संरचना का हिस्सा माना था। लेकिन अनुच्छेद 35A मूलभूत अधिकारों में दिये गए प्रावधानों के खिलाफ है।
No comments:
Post a Comment